नई दिल्ली। इस वर्ष सावन मास में अधिमास पड़ने की वजह से ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती के शिष्य व डोली रथ यात्रा के राष्ट्रीय प्रभारी शैलेन्द्र योगीराज सरकार ने एक अर्जेन्ट याचिका सिविल जज शिखा यादव की अदालत में दाखिल की थी जिससे याचिकाकर्ता शैलेन्द्र योगीराज सरकार ने कोर्ट से कहा था कि हम हिन्दुओं के लिए श्रावण मास में शिव पूजा का विशेष महत्व है। हम हिन्दू लोग श्रावण मास में मिट्टी का पार्थिव शिव लिंग बना कर पूजा करते है। जबकि ज्ञानवापी परिसर में साक्षात शिव लिंग दिखाई पड़ रहा है। ऐसे में इस बार सावन के महीने में अधिमास भी पड़ रहा है जो कई वर्षों बाद पड़ता है इस अधिमास का बहुत महत्व होता है। ऐसे में ज्ञानवापी परिसर में प्रकट हुए शिव लिंग की पूजा अर्चना व राग भोग किया जाना नितांत आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश ड्रयूली प्रोटेक्शन के आदेश के तहत मूर्ति को पूजा पाने का अधिकार मिलना चाहिए। ऐसे मे इस अर्जेन्ट याचिका को स्वीकार करते हुए ज्ञानवापी परिसर में प्रकट हुए शिव लिंग को श्रावण मास में पूजा करने का अधिकार दिया जाए। जिस पर सिविल जज शिखा यादव ने दोनों पक्षों को सुना लम्बी बहस चली और इसके बाद अर्जेन्ट याचिका को स्वीकार करते हुए पाँच अगस्त को सुनवाई के लिए अगली तारीख मुकर्रर कर दी। याचीकर्ता की तरफ से एडवोकेट डाक्टर एस के द्विवेदी बच्चा जी व एडवोकेट भूपेन्द्र सिंह एवं सरकार की तरफ से शासकीय अधिवक्ता महेन्द्र पाण्डेय ने पक्ष रखा था। अब पाँच अगस्त को अर्जेन्ट याचिका पर सुनवाई होगी।