प्रतापगढ़ में शंकराचार्य के आह्वान पर निकली आदि विश्वेश्वर डोलीयात्रा
प्रतापगढ़। लिंग पुराण में कहा गया है कि- वरं प्राणपरित्यागः शिरसो वापी कर्तनम्। न तु असम्पूज्य भुंजीत शिवलिंगे महेश्वरम्।। शिव लिंग का अपूजित रहना महापाप है बता दे कि 16 मई 2022 सोमवार वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कोर्ट के आदेश पर सर्वेक्षण के दौरान ज्ञान वापी परिसर के वजूखाना में शिव लिंग मिला था। आज एक वर्ष से अधिक समय बीत जानें से छुब्ध होकर परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी महाराज ने काशी से चातुर्मास्य के लिए प्रस्थान करने से पूर्व शंकराचार्य घाट स्थित श्रीविद्यामठ में स्फटिक के शिवलिंग पर प्रकट हुए आदि विशेश्वर की प्रतीक पूजा किया था और कहा था कि पूरे देश में रथ यात्रा निकाल कर सौ करोड़ सनातनियो के बीच कही जाएगी अपनी बात। इसी क्रम में ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज के शिष्य व (राष्ट्रीय प्रभारी) आदि विश्वेश्वर प्रतीक पूजा एवं ग्यारह लाख शिवलिंग स्थापना काशी शैलेन्द्र योगीराज सरकार ने निकाली ज्ञानवापी के वजूखाने में मिली आदि विश्वेश्वर शिवलिंग पूजा, राग भोग के लिए आदि विश्वेश्वर डोली रथ यात्रा निकालते हुए।
राष्ट्रीय प्रभारी शैलेन्द्र योगीराज सरकार ने देश के सनातनधर्मियों को एक संदेश जारी करते हुए कहा कि आदि विश्वेश्वर को प्रकट हुए एक वर्ष से अधिक समय बीत गया है लेकिन अभी तक उनके पूजन,राग भोग की व्यवस्था सुनिश्चित नही की जा सकी है।हम सबको सुर दुर्लभ मनुष्य शरीर प्राप्त है जिसकी खुशी है।वहीं दुख भी है कि हम भारत देश मे अपने देवी देवताओं का प्रसन्नता के साथ पूजा अर्चन नही कर पा रहे हैं।आज हम 11 लाख से अधिक संख्या में जिन जिन सनातनधर्मियों ने आदि विश्वेश्वर से की प्रतीक पूजा की है उन सभी से एक एक शिवलिंग काशी आकर देने की अपील करते हैं।और उन 11 लाख शिवलिंगों को काशी स्थापित कर उनकी प्रतीक पूजा की जायेगी। ओमप्रकाश पाण्डेय अनिरुद्ध रामानुजदास ने कहा कि अब भगवान आदि विश्वेश्वर की पूजा-अर्चना होनी ही चाहिए। ज्योतिषाचार्य आलोक ॠषिवंश ने कहा कि आदि विश्वेश्वर की पूजा-अर्चना का अधिकार न मिलना समस्त सनातनियो का अपमान है। ज्ञातव्य है कि पिछले वर्ष काशी में आदि विश्वेश्वर के प्रकट होने पर ब्रम्हलीन द्वयपीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी महाराज के आदेश पर वर्तमान ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज आदि विशेश्वर शिवलिंग की पूजा करने जा रहे थे।उस समय प्रशासन ने उन्हें रोक दिया था।जिससे क्षुब्ध होकर पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज भीषण गर्मी में काशी स्थित श्रीविद्यामठ में निर्जल तपस्या पर बैठ गए थे।और अपनी तपस्या पर अडिग होकर 108 घण्टे तक बैठे रहे उनका स्वास्थ जब अत्यधिक बिगड़ने लगा तो और इसकी जानकारी ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद जी महाराज को हुई तो उन्होंने वर्तमान शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज को आदेश दिया कि तुम अपना तपस्या समाप्त करो और प्रकट हुए आदि विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा करो।
अकाट्य गुरु आज्ञा को मानकर वर्तमान ज्योतिष्पीठाधीश्वर जी महाराज ने अपना तपस्या समाप्त कर दिया।और देश वासियों से उनके नजदीक स्थित शिवलिंग पर आदि विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा करने की अपील की।जिसके बाद पूरे देश मे 11 लाख से अधिक सनातनधर्मियों ने प्रतीक पूजा की।और सम्बंधित छायाचित्र व चलचित्र पूज्यपाद महाराज जी के पास भेजा। आज एक वर्ष से अधिक समय व्यतीत होने पर भी आदि विश्वेश्वर की पूजा व्यस्था प्रारम्भ नही हो पाने से मर्माहत ज्योतिष्पीठाधीश्वर जी महाराज ने समस्त समस्त सनातनधर्मियों से एक शिवलिंग देने का आग्रह किया।और कहा कि आदि विशेश्वर के पूजन हेतु न्यायालय में लंबित केस को इस न्यायालय से उस न्यायालय इस तारीख से उस तारीख पर टाला जा रहा है।और कोई सार्थक निर्णय लिया जा रहा है।जिससे हमारे सहित 100 करोड़ से अधिक सनातनधर्मी अत्यंत मर्माहत व व्यथित हैं।जब किसी बच्चे,व्यक्ति महिला का मुकदमा चलता है तो उसे भूखा नही रखा जाता तो क्यों आदि विश्वेश्वर को भोग राग पूजन इत्यादि से वंचित रखा जा रहा है।जल्दी ही न्यायालय को 100 करोड़ से अधिक सनातनधर्मियों के भावनाओं को ध्यान में रखकर प्रकट आदि विश्वेश्वर केस में उचित निर्णय लेना चाहिए। इसी क्रम में ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती के शिष्य व (राष्ट्रीय प्रभारी) आदि विश्वेश्वर प्रतीक पूजा एवं शिवलिंग स्थापना काशी शैलेन्द्र योगीराज सरकार एवं ओमप्रकाश पाण्डेय अनिरुद्ध रामानुजदास ने सुरू की ज्ञानवापी के वजूखाने में मिली आदि विश्वेश्वर शिवलिंग पूजा, राग भोग डोली रथ यात्रा। यह यात्रा बलीपुर के श्री दुर्गा मंदिर से चल कर ट्रेजरी चौराहे पर स्थित हनुमान मंदिर पर समाप्त हुई उक्त जानकारी धर्माचार्य धर्म गुरू ओमप्रकाश पाण्डेय अनिरुद्ध रामानुजदास ने दी इस अवसर पर ज्योतिषाचार्य आलोक ॠषिवंश आचार्य संजय शांडिल्य अशोक शर्मा ,सैकड़ों लोगों सहित भारी संख्या में भक्त व सन्त उपस्थित थे।