मणिपुर में कुकी आदिवासी महिलाओं के साथ अमानवीय यौन हिंसा करने वालो को फांसी की मांग

बदायूँ। क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के साथ शहर के अन्य न्याय प्रिय संगठनों के प्रतिनिधियों ने मणिपुर की कुकी समुदाय की महिलाओं के खिलाफ हुई जघन्य घटना के खिलाफ बदायूं में मालवीय आवास पर विरोध प्रदर्शन किया । और अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति महोदया को जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा। सभा मे वक्ताओ ने इस अमानवीय घटना की एक स्वर में कड़े शब्दों में भर्त्सना की। वक्ताओं ने कहा किसी भी सभ्य समाज ने ऐसी घटनाएं कलंक की तरह हैं। इस तरह की घटनाएं महिलाओं की स्वतंत्रता ,समानता और बराबरी की भावनाओं जो क्षति पहुंचाती हैं पिछले ढाई महीने से भी ज्यादा समय से मणिपुर जातीय , साम्प्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा है। इसके लिए वहां लंबे समय से चल रही साम्प्रदायिक/ फासीवादी राजनीति और उस राजनीति के आधार पर समाज को हिन्दू बनाम ईसाई आदिवासी और घाटी बनाम पहाड़ी आवादी के नाम पर समाज को बांटना जिम्मेदार है। साम्प्रदयिक फासीवादी संगठनों द्वारा जनता की छोटी छोटी समस्याओं को भी जातीय और साम्प्रदायिक रंग दिया जाता रहा है।इसी विभाजनकारी राजनीति के आधार पर सरकारें बनती बिगड़ती रही है। आज मणिपुर के लोग एक दूसरे पर भरोसा खो चुके हैं।और वहां मौजूद सरकार भी लोगों का भरोसा खो चुकी है। इस मामले में केंद्र सरकार का रवैय्या भी बहुत संदेहास्पद रहा है।सरकारों ने दंगे को रोकने के कोई खास प्रयास नही किये । बल्कि सरकार खुद घटनाओं के बचाव या मामले को दबाने में लगी रही । कई बार तो ऐसा लगा कि जिन लोगो को दंगा रोकने की जिम्मेदारी है। वे खुद एक पार्टी बन जा रहे हैं।
ऐसे में मणिपुर के हालात बहुत खराब है। हजारो लोग घरवार छोड़ गए।सैकड़ो मौतें हुई, घर जलए गए। व महिलाओं के साथ दरिंदगी के वीडियो हमारे सामने ही हैं। वक्ताओं ने ये भी कहा कि अब मणिपुर को बचाने और दंगो को शांत करने के लिए इंसाफ पसंद नागरिकों को आने की जरूरत है।और सरकार पर दबाव बनाया जाए कि हिंसा को रोकने के हरसंम्भव प्रयास किये जाएं।तथा मणिपुर की जनता में जो फासीवादी साम्प्रदायिक राजनीति के प्रभाव मे आने के कारण जो दूरियां बनी हैं उन्हें भी ठीक करने की जरूरत है।तथा अपने मतभेदों को मिलकर हल करने की जरूरत है नाकि विभाजनकारी राजनीति के प्रभाव में आकर अपने ही लोगो से संघर्ष करने की। बल्कि आज जरूरत है कि जातिवादी, साम्प्रदायिक , फासीवादी राजनीति और इस तरह की विभाजन कारी राजनीति करने बालों को बेनकाब किया जाए। कार्यक्रम में सतीश, ब्रजभान, प्रेमपाल, कृष्णपाल , एड पवन गौतम, एड सी एल गौतम, एड एस पी सिंह, एड समीरुद्दीन , एड चिरंजी लाल, एड अजय भारती, एड सुमन कश्यप, एड बाबू राम, एड सोमेंद्र पाल, एड अवधेश गौतम, एड ओमवीर सिंह, एड श्याम सिंह पाल, एड सत्य पाल सिंह, एड राजेन्द्र सिंह, एड ओमप्रकाश सागर, एड प्रेम शंकर, आदि लोग मौजूद रहे।