आकाशवाणी बरेली: जैसा मैंने देखा !

बरेली। आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) बिजनौर के नजीबाबाद से प्रमोशन पाकर वर्ष 1991 के अगस्त माह में मैं बरेली आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) केन्द्र पर आया था। बरेली शहर मेरे लिए नया नहीं था 10 मई 1978 को यहां के प्रतिष्ठित परिवार में मेरा विवाह हुआ था पत्नी आशा के पिता स्व. मथुरा प्रसाद शर्मा की श्याम गंज में आढ़त थी और पूरा परिवार गंगापुर में रहता था। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन बरेली में भी आकाशवाणी केन्द्र बनेगा और कार्यक्रम अधिकारी के रूप में मेरी यहां नियुक्ति होगी। वह 2 अगस्त 1991 का शनिवार का दिन था। गंगापुर से 8 किलोमीटर दूर सूनसान क्षेत्र में आकाशवाणी का केन्द्र बन रहा था। जब मैं लालफाटक पार कर आकाशवाणी/ दूरदर्शन केन्द्र के परिसर में पहुंचा तो वहां मिट्टी बजरी के ऊंचे-ऊंचे ढेर लगे थे। मालूम हुआ कि वहां ट्रांसमीटर टावर का निर्माण कार्य चल रहा है जिसकी ऊंचाई 150 मीटर थी और कालांतर में इसी ट्रांसमीटर टावर के माध्यम से बरेली आकाशवाणी और दूरदर्शन के प्रसारण होने थे। मैं आकाशवाणी भवन में पहुंचा तो वहां एक कमरे के बाहर ड्यूटी रूम का बोर्ड लगा था जहां एक व्यक्ति बैठे कुछ कार्य कर रहे थे। मैंने उन्हें अपना परिचय देकर कहा कि मैं आकाशवाणी नजीवाबाद से प्रमोशन पाकर बरेली आया हूं और इस केन्द्र पर ज्वाइन करना है। एक क्षण के लिए उन्होंने मुझे देखा बैठने का इशारा किया और बोले कि मैं यहां इस्ट्रालेशन इंजीनियर हूं। आकाशवाणी स्टुडियो का निर्माण करके चला जाऊंगा। मुझे नहीं मालूम कि आप क्या कार्य करेंगे और कहां बैठेंगे क्योंकि यहां के सभी कमरों में निर्माण करने वाले कर्मचारियों ने ही अपना डेरा डाल रखा है। कुछ देर मौन के बाद मैंने उनसे कहा कि आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) महानिदेशालय के अनुसार मुझे आप ही के समक्ष ज्वाइन करना है और आपको ही मेरी रिपोर्ट आकाशवाणी महानिदेशालय दिल्ली को भेजनी है। समय बीत रहा था ऐसे कोई आसार नहीं थे कि जल्दी ही बरेली में आकाशवाणी केन्द्र का उद्घाटन होगा। मैं समय बे समय आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) आता रहा। इसी बीच मालूम हुआ दिल्ली और भोपाल से दो अधिकारियों ने यहां ज्वाइन कर लिया परन्तु मेरी उनसे मुलाकात नहीं हुई। एक दिन एक स्थानीय समाचार पत्र में समाचार देख कर दंग रह गया कि बरेली आकाशवाणी केन्द्र में चार अधिकारियों ने अपना पदभार ग्रहण कर लिया है परंतु कार्य करेंगे दो साल बाद। हम लोगों के वेतन की भी कोई व्यवस्था नहीं थी बड़ी परेशानी वाले दिन थे। काम कोई नहीं और वेतन भी नहीं, क्या होगा और कैसे होगा। इन्हीं दिनों हमारे एक साथी रामस्वरूप गंगवार आकाशवाणी रामपुर से प्रमोशन पाकर बरेली आये। बरेली के भाजपा सांसद संतोष कुमार गंगवार जी से उनकी जान पहचान थी। उन्होंने ही सांसद संतोष गंगवार जी से मिलकर हम चारों की समस्या बताई और कहा कि बरेली में जब आकाशवाणी केन्द्र तैयार ही नहीं था तो हम सबकी पोस्टिंग यहां क्यों की गई। जिस पर उन्होंने यह मामला संसद में उठाने का आश्वासन दिया और एक दिन यह मुद्दा संसद में उठाया। उन दिनों केन्द्र में कांग्रेस की सरकार में अजीत पांजा सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे। उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर अगले दिन जवाब देने का आश्वासन दिया। सांसद संतोष गंगवार के प्रयासों से हमारे पुराने समय का वेतन मिल गया और हमें आकाशवाणी रामपुर से संबद्ध कर दिया गया। जब मैं आकाशवाणी रामपुर गया तो वहां आकाशवाणी महानिदेशालय से आया एक पत्र मुझे दिया गया जिसमें तत्काल प्रभाव से हम चारों राजपत्रित अधिकारियों को उन्हीं केन्द्रों पर वापस 6 माह के लिए टूर पर वापस भेज दिया गया जहां से प्रमोशन पाकर हम आये थे। अंतता मैंने आकाशवाणी नजीवाबाद जाकर ज्वाइन कर लिया। आकाशवाणी केन्द्र के निदेशक नित्यानंद मेढाणी ने मुझे कृषि विभाग का कार्यभार सौंप दिया। चूंकि मेरी बेटी अभिलाषा ने बरेली के सेंट मारिया स्कूल में प्रवेश ले लिया था। वह और पत्नी आशा बरेली में ही रहे। मैं बरेली जब तब आता था तो बरेली आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) केन्द्र की प्रगति का संज्ञान लेता रहता था । वह भी बड़ी परेशानी भरे दिन थे। बरेली वापस लौटने के कोई आसार नहीं दिख रहे थे। कुछ समय बाद मैं इसी समस्या को लेकर आकाशवाणी महानिदेशालय दिल्ली गया और डिप्टी डायरेक्टर प्रशासन से मिला। उन्होंने कहा क्या चाहते हो बरेली आकाशवाणी केन्द्र के उद्घाटन में तो अभी देर है। मैंने कहा मुझे स्थायी रूप से नजीवाबाद स्थांतरित कर दिया जाये। उपनिदेशक प्रशासन ने तुरंत आर्डर कर दिया परंतु आर्डर के अंत में लिख दिया जैसे ही बरेली में आकाशवाणी केन्द्र का उद्घाटन होगा। आपको स्थायी रूप से वहां ज्वाइन करना होगा। कुछ समय बाद मुझे अपने एक व्यक्तिगत कार्य से इलाहाबाद जाना था। मेरी ट्रेन दिल्ली से थी। इसलिए मैं दिल्ली में महानिदेशालय चला गया ताकि वहां कोई और नया समाचार मिल जाये। आकाशवाणी महानिदेशालय दिल्ली में जाकर पता लगा कि मेरे बरेली लौटने का कोई आर्डर निकला है। यहीं नहीं बरेली आकाशवाणी का भी जल्दी ही उद्घाटन होना है। मैंने संबंधित विभाग से बरेली लौटने का आदेश लिया। वहां से इलाहाबाद के लिए रवाना हो गया। कार्य के उपरांत अंतः मैं आल इंडिया रेडियो नजीबावाद से बरेली लौट आया। इसी मध्य यहां स्टेशन इंजीनियर अनिल कुमार और सासाराम से के. जी. सिन्हा ने एएसडी के रूप में ज्वाइन कर लिया था। इसी मध्य मुझे एआईआर/डीडीके कालोनी में फ्लैट भी आवंटित हो गया था। फिर वो दिन भी आया जब आल इंडिया रेडियो बरेली केन्द्र के 17 जून 1993 को उद्घाटन होना की तिथि आ गई। उमस भरा दिन में परिसर में गहमागहमी थी। तय समय पर तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री सलमान खुर्शीद ने उद्घाटन किया। खुर्शीद आकाशवाणी फैजाबाद का उद्घाटन करने के बाद सीधे कार द्वारा बरेली पहुंचे थे। मेरा यह अभिलेख तीन भागों में निहित है। इसका एक भाग यही समाप्त होता है। अब मैं आरंभ करने जा रहा हूं अतीत का दूसरा भाग- एआईआर/डीडीके परिसर कालोनी बरेली से बस स्टैंड 8 किमी और रेलवे स्टेशन 5 किमी दूर था। आने जाने के कोई साधन नहीं थे रेल का लालफाटक अक्सर बंद रहता था क्योंकि यहां बहुत सी अप/डाउन ट्रेनें गुजरती थी। आकाशवाणी वाली कालोनी में चाहरदीवारी नहीं बनी थी। उस समय सिन्हा सहायक और ई. ए. देव शरण रहते थे। उस समय दूरदर्शन के स्टाफ क्वार्टर भी नहीं बने थे। कालोनी के आसपास जंगल था। दोस्तों इन सब विपरीत परिस्थितियों के चलते मैं अकेला ही कार्यक्रम अधिकारी था। हां एक ड्यूटी अफसर भरत चंद भट्ट भी थे और वह भी कालोनी में रहने आ गये थे। 17 जून 1993 का दिन बेहद गरम और उमसभरा था। खैर केन्द्र का उद्घाटन हुआ। पहली उद्घोषणा रामपुर केन्द्र से आये वरिष्ठ उद्घोषक चन्द्र मोहन सक्सेना की गई। पहले दिन के प्रसारण की क्यू शीट मेरे हस्ताक्षर से, उसमें उल्लेखित कार्यक्रमों के साथ प्रसारण आरंभ हुआ। ये क्यू शीट एक धरोहर है और एक प्रति आज भी मेरे पा सुरक्षित है। सांस्कृतिक साहित्यिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने में कल्चरल एसोसियेशन अग्रणी रही है। पूरे भारत के कलाकारों को बरेली में बुला कर उनकी नाट्य/नृत्य प्रतियोगिता करना एक बहुत बड़ा कार्य रहा है। वरिष्ठ रंगकर्मी जे. सी.पालीवाल, जो भारत सरकार से शांति के क्षेत्र में दिये जाने वाले कवीर पुरस्कार से सम्मानित हैं। ये वर्ष भर में तीन कार्यक्रम जनवरी में बरेली अन्तर्राष्ट्रीय नाट्य प्रतियोगिता, अगस्त में पांचाल महोत्सव का आयोजन करते रहे हैं। विगत एक वर्षों को छोड़कर 1993 से मैं भी इन तीनों कार्यक्रमों में जुड़ा रहा। इन आयोजनों में नाटकों के कलाकारों से भेंटवार्ता लेकर आकाशवाणी बरेली से प्रसारित किया। इसके अतिरिक्त बरेली में बहुत सारी साहित्यिक संस्थायें हैं, जो समय-समय पर कवि गोष्ठियां का आयोजन करती रहती हैं। इनमें साहित्य ज्योत्सना, कवि गोष्ठी आयोजन समिति, शब्दांगन, साहितय सुरभि और लेखिका संघ, इसमें निर्मला सिंह, निरूपमा अग्रवाल, अंजु अग्रवाल, मोना प्रधान, चित्रा जौहरी, तलत शम्शी, डा. मीरा प्रियदर्शी, सीमा असीम, कृष्णा खंडेलवाल, अल्पना, मीना अग्रवाल प्रमुख है। यह संस्था प्रत्येक माह किसी न किसी कवयित्री द्वारा अपने निवास पर कवि गोष्ठियों का आयोजन करती रहती है। इस संस्था में निर्मला सिंह एक ऐसी प्रतिभा है जिनकी दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सिंह एक स्थापित कलाकार है इन्होंने एक किन्नर को लेकर भी एक उपन्यास लिखा है जिस पर शोध हो रहा है इसी संस्था से जुड़ी डा. स्व. महाश्वेता चतुर्वेदी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी में भी कवितायें लिखती थी। उ.प्र. हिंदी संस्थान ने साहित्य भूषण से अलंकृत किया था। पूरे विश्व की तरह बरेली में भी रोटरी और लायंस क्लब जैसी समाजसेवी संस्थायें हैं परन्तु सामाजिक कार्यों में मानव सेवा क्लब ने इन दोनों संस्थाओं को पीछे छोड़ दिया है। इसके कार्यक्रम गरिमा लिये होते हैं। सर्व प्रथम वंदेमातरम् फिर इन्द्रदेव त्रिवेदी द्वारा रचित क्लब का गीत ‘हम मानव सेवा का एक क्लब चलाते है…और फिर शुरू होते है अन्य कार्यक्रम। वर्ष भर चलने वाले इन कार्यक्रम में धार्मिक राष्ट्रीय , महापुरूषों की जयंतियां, गरीब कन्याओं की शदियां करना, गरीब बच्चों की फीस भरना उन्हें किताबें आदि दिलवाना प्रमुख है और इस सबका श्रेय जाता है सुरेन्द्र बीनू सिन्हा को। मुझे सम्मान में ये कहना बीनू जी आप महान है क्लब की जान है…संरक्षक के तौर पर डा. वसीम बरेलवी, डा. एन.एल.शर्मा शारदा भार्गव प्रमुख है। शहर के अनेक गणमान्य नागरिक इस संस्था के सदस्य है। यह संस्था वरिष्ठ नागरिक शिक्षक, कवि, शायर, नाटककारों को सम्मानित करती रहती है। ये संस्था शहर के उन दिवंगत कवियों के सम्मान में एर्वाड देती है इसके अतिरिक्त निराला साहित्य सम्मान के अतिरिक्त अनेक क्षेत्रों में अर्वाड प्रदान करती है। मानव सेवा क्लब को स्व. सुधीर चंदन, निर्भय सक्सेना, इंद्र देव त्रिवेदी, सुरेश रस्तोगी, मुकेश सक्सेना संस्था के सचिव सतेन्द्र सक्सेना एडवोकेट, अभय भटनागर, चित्रा जौहरी, मधु वर्मा, अतुल वर्मा जैसे कर्मठ सदस्य है जो अधिकांश कार्यक्रमों में उपस्थित रहते हैं। महिलाओं द्वारा गठित साहित्य संस्था लेखिका संघ शहर की एक प्रसिद्ध संस्था है इस संस्था को सचिव निर्मला सिंह है जो स्थापित कहानीकार है। यह कविता और उपन्यास भी लिखती रही है। अनेक एवार्ड इन्हें मिल चुके हैं इस संस्था की अध्यक्ष स्व. कृष्णा खंडेलवाल कनक रही जो कविता के क्षेत्र में अग्रणी रही। इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हुई इसके अतिरिक्त डा. मीरा प्रियदर्शी, अल्पना नारायण, सीमा असीम, तलत शमशी, मीना अग्रवाल, मोनिका अग्रवाल, मोना प्रधान निरूपमा अग्रवाल, चित्रा जौहरी जैसी महिलायें लेखिका संघ की साहित्यकार है। छाया गुप्ता, सिया सचदेव भी इस संस्था से जुड़ी है। बरेली में कार्यरत रहे आयुक्त एम रामचन्द्रन, जो कालांतर में उत्तराखण्ड सरकार के प्रमुख सचिव रहे, के. के. सिन्हा, नसीम अहमद कमिश्नर रहे जो निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे। जिला अधिकारियों में देश दीपक वर्मा, दीपक सिंघल (जो बाद में बरेली के आयुक्त रहे) सीताराम मीणा, रमा रमण, सूर्य प्रताप सिंह मूलचंद यादव, आर.पी.सिंह उपरोक्त सभी अधिकारियों को हमने अपने स्टूडियों में आमंत्रित किया और मेरे द्वारा इनका इन्टरव्यू लिया गया। पुलिस अधिकारियों में होशियार सिंह बलवारिया, कंचन चौधरी भट्टाचार्य और आई जी डा. मंजूर अहमद को आमंत्रित किया और मैंने इनका इन्टरव्यू लिया। अनेक बार इफ्को के प्रबंध निदेशक डा. उदय शंकर अवस्थी, महाप्रबंधक अरोडा, बी के वाली, पिल्लई साहब, वी के सक्सेना के अतिरिक्त संयुक्त महाप्रवंधक पी. पी. मिश्रा को इफ्को आंवला में जाकर मैंने इन्टरव्यू किया और आकाशवाणी बरेली से इसका प्रसारण भी किया गया। इसी मध्य के.जी. सिन्हा का ट्रांसफर आकाशवाणी नजीवाबाद हो गया। कुछ समय के लिए मैं कार्यक्रम प्रमुख रहा। इसके पश्चात लगभग तीन माह के लिए सतीश माथुर ए.एस.डी आये जो आकाशवाणी नजीवाद चले गये। सतीश माथुर के बाद कश्मीर निवासी बशीर आरिफ आये जो यहां 6 वर्ष रहे। उनके कार्यकाल में आकाशवाणी बरेली ने अनेक कार्यक्रमों को आरंभ किया, जिनमें युवामंच और कार्यक्रम छोटी-छोटी बातें उस समय ये दोनों ही कार्यक्रम लोकप्रिय हुए इसी मध्य पियंका चौपड़ा मिस बरेली बनी। उन्हें स्टूडियो में बुलाकर मैंने उनका इन्टरव्यू लिया। प्रियंका का कहना था उन्हें मेरी आवाज बहुत अच्छी लगती है। युवामंच कार्यक्रम का उद्देश्य था कि वह युवा जो प्रतिभामान है और जौ बगैर स्वर परीक्षा के कोई कार्यक्रम नहीं दे सकते उन्हें इस कार्यक्रम में प्रत्येक मंगलवार को इसकी रिकार्डिंग होती थी और फिर रात्रि 9.30 बजे इसका प्रसारण होता था दोस्तों उन दिनों पत्रोत्तर कार्यक्रम भी बेहद लोकप्रिय था यह मेरा सौभाग्य रहा आकाशवाणी केन्द्र के आरंभ होने से लेकर और मेरे आकाशवाणी अल्मोड़ा जाते तक इस कार्यक्रम को आरंभ में ए एस डी के. जी. सिन्हा और वाद प्रसारित होता रहा। एक दूसरा कार्यक्रम जो उन दिनों बेहद लोकप्रिय हुाआ वह था छोटी छोटी बातें ये कार्यक्रम समस्याओं पर आधारित था मिसाल के तौर पर कहीं पर जुआ हो रहा है इस बार ये हमें फोन आये है तो कोई भी शख्स जिसने जुआ होते देखा है हमें फोन करता था हमारा एक व्यकित फोन पर शिकायत नोट करके अस्थाई उदघोषक के माध्यम से मेरे पास स्टुडियों में भेजता था। हम तुरंत उस शिकायतकर्ता को शिकायत अगले दिन हमें क्लेक्ट्रेट जाकर जिलाधिकारी सूर्य प्रकाश सिंह को और वी के सिंह को बताया। अगले दिन अखबार में छापा मारा गया और पुलिस ने 10 जुआरियों को पकड़ कर जेल भेजा। एस.एस.पी सिंह ने फोन करके हमें धन्यवाद दिया। इसी कार्यक्रम में एक शिकायत मिली कि गंगापुर में एक कोटेदार राशन का सामान ब्लैक कर रहा है हमने इसकी सूचना एस.पी. सिंह को दी। बस अगले दिन डी.एस. ने गंगापुर छोटे की दुकानों के अतिरिक्त तीन अन्य स्थानों पर छापेमारी कर उन्हें निरस्त कर दिया। यह जलवा था कार्यक्रम छोटी सी बातों का। इसके अतिरिक्त मैंने पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगोड़ा पूर्व मुख्यमंत्री अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की एक सभा मीरगंज को कवर करके रेडियो रिपोर्ट प्रसारित की। इसी प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की जनसभा को मेरा द्वारा रिकार्ड करके प्रसारित किया गया। पूर्वोत्तर रेलवे के मंण्डल रेलप्रबंधकों में सुरिन्दर चौपड़ा, सुख्दिर जैन, भार्गव, मित्तल, पन्नू तथा सरोज राजवाड़े को उनके कार्यालय में और स्टुडियों में बुलवाकर उनकी भेंटवार्ता को प्रसारित किया गया। एशिया का गौरव और बरेली का महागौरव भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान में अनेक वैज्ञानिक गोष्ठियां कवि सम्मेलनों के अतिरिक्त वहां कार्यरत रहे कई निदेशकों को स्टुडियों में बुलाकर और उनसे भेंटवार्ता लेकर प्रसारित किया गया इनमें प्रमुख थे डा. वालेन डा. किरन सिंह, डा. मोहन्ती सिंह, डा. महेश चन्द्र शर्मा, डा. एम.पी.यादव प्रमुख हैं। मैंने अपने आकाशवाणी कार्यकाल में एमजेपी रूहेलखंड विश्वविद्यालय पर रूपक, रूहेलखंड में शिक्षा का गौरव, रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, मानसिक चिकित्सालय में जाकर वहां इलाज करा रहे मानसिक रोगियों को वहां के डाक्टरों की उपस्थिति में बात करके एक रूपक बनाया। कथ्य था सूनी डाल का खामोश बसेरा और जिसका प्रसारण राज्य स्तरीय में किया गया। इफ्को आंवला पर खाद संयत्र इफ्को आंवला नाम से रूपक तैयार किया। रेल सप्ताह के अंतर्गत ‘पटरियों पर दौड़ती, भारतीय सद्भाव से लवरेज हमारी रेलें’ नामक रूपक तैयार किया। नववर्ष 1993 में हास्य व्यंग्य और गीतों से भरपूर मनोरंजक कार्यक्रम दस्तक और 1994 में नववर्ष की पूर्व संध्या पर बेहद रोचक कार्यक्रम ‘झुमका गिरा रे’ का प्रसारण किया गया। इस कार्यक्रम में मेरे साथ अस्थाई उद्घोषक आशा राण और मेरा स्वर था। यह था इस अतीत का दूसरा भाग। वर्ष 2003 में मेरा स्थानांतरण आकाशवाणी अल्मोड़ा को हो गया। वहां में वर्ष 2006 तक रहा। दिसंबर में आकाशवाणी अल्मोड़ा से मैं अगस्त 2007 तक आकाशवाणी रामपुर में रहा। 31 अगस्त 2007 को मैं सेवानिवृत्त होकर अपने निवास महानगर टाउनशिप बरेली में चला आया। रिटायरमेंट के 8 महीने बाद 20 मई 2008 को कान्ट्रेक्ट वेस पर पुनः आकाशवाणी बरेली को ज्वाइन किया। और यही से शुरू होता है मेरे अतीत का तीसरा अध्याय। अब मेरा कार्य आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की मानीटरिंग करना, कार्यक्रमों का मूल्यांकन करके उनकी रिपोर्ट लिखना होता था। अब मुझे शिफ्ट में भी ड्यूटी के साथ ही अस्थाई प्रसारण अधिकारी के रूप में यह सारे कार्य ड्यूटी रूम में बैठकर करने होते थे। मुख्य कार्य था उद्घोषकों द्वारा क्यू शीट के अनुरूप कार्यक्रम का सावधानी पूर्वक प्रसारण कराना। महानगर के आकाशवाणी बरेली करीब 15 कि.मी. दूर है। आकाशवाणी में तीन प्रसारण सभाएं ;शिफ्टद्ध प्रातः दोपहर और सायं होती हैं। आकाशवाणी जाने के लिए मुझे सरकारी वाहन की सुविधा मिलती थी एक सप्ताह का ड्यूटी चार्ट बनाकर मुझे आवश्यकतानुसार बुलाया जाता था ड्यूटी अफसर का कार्य काफी चुनौतीपूर्ण होता है प्रसारण के मध्य कोई व्यवधान आने पर उसका तुरंत हल निकालना होता था। अतीत के इस काल में मेरे साथी उद्घोषकों में रवीन्द्र मिश्रा, संजय कुमार, सुदेश सैनिक, वृजेश तिवारी, गजेंद्र सिंह, कु. अमृता सिंह, हरीश कुमार मो. परवेज, श्रंगार शेखर पाठक, मुकेश पांडेय नीलम जोशी, कंचन रायजादा रोचना मिश्रा, डोली शर्मा रश्मि आर्य, सीमा सक्सेना, शिप्रा मिश्रा, विभा भटनागर, विद्या वर्मा, शीवा खान बसुंधरा रावत, देवेन्द्र प्रताप सिंह रावत, शीश पाल संजोली गोस्वामी, जया अग्रवाल, जया गुप्ता। मेरे इसी अस्थाई सेवा काल में रेडियो हेल्पलाइन कार्यक्रम पहले से ही चल रहा था जिसमें मुख्य रूप से डाक्टरों को बुलाया जाता है। यह डाक्टर एक निर्धारित फीस पर अपना पंजीकरण करते हैं फिर निर्धारित समय पर स्टुडियों में आकर रिकार्डिंग कराते हैं। और एक अधिकारी आने वाले डाक्टर से इंटरव्यू करके कार्यक्रम के मध्य में चिकित्सा संबंधी जानकारी के बारे में श्रोताओं की भी प्रश्नों का उन विशेषज्ञ डाक्टरों से उत्तर दिलवाया जाता है। रेडियो हेल्प लाइन में आने वाले डाक्टर में डा. शालिनी माहेश्वरी, डा. नीरज अग्रवाल, डा. ए.के. चौहान, डा. कनुप्रिया अग्रवाल, डा. सोमेश मेहरोत्रा का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है। किसानों के लिए आकाशवाणी महानिदेशालय से कार्यक्रम अनिवार्य रूप से प्रसारित करने के स्पष्ट आदेश है। ये कार्यक्रम प्रत्येक दिन प्रसारित होता है। इसके लिए कार्यक्रम में बाहरी स्थलों पर जाकर किसानों से बातचीत रिकार्ड कर किसान वाड़ी में प्रसारित किया जाता है। प्रातः 10 मिनट का कृषि संदेश कार्यक्रम का प्रसारण होता है इन सभी कार्यक्रमों का प्रसारण करने की जिम्मेदारी एम.आर. यदुवंशी की रही।यह जिम्मेदारी उन्होंने अपै्रल 2022 तक उठाई, इसके बाद वह सेवानिवृत हो गये। वर्तमान में प्रवीण कुमार, कार्यक्रम अधिशासी अनेक कार्यक्रमों का संचालन कर रहे हैं एक कार्यक्रम अधिशासी रमेश चन्द्रा के आकाशवाणी अल्मोड़ा चले जाने के कारण प्रवीण कुमार अग्रले सारे कार्यक्रमों को देख रहे हैं। अतीत के इस अध्याय में एक नाम लेना बहुत आवश्यक है, और वह नाम हे, डा. अजय वीर सिंह का महाराष्ट्र में अनेक केन्द्रों पर वह प्रसारण अधिकारी रहे, फिर उत्तर प्रदेश में आने पर आप आकाशवाणी नजीवाबाद, पौड़ी आकाशवाणी केन्द्रदों पर कार्यक्रम अधिकारी रहे। आप बरेली में भी इसी पद पर रहे वर्तमान डा. अजयवीर सिंह आकाशवाणी बरेली/दूरदर्शन केन्द्र बरेली के केन्द्र अध्यक्ष है। अतीत की कुछ बातें याद नहीं रहती है याद आते है वह दिन जब यहां मीनू खरे आकाशवाणी बरेली की केन्द्र अध्यक्ष ;वर्तमान में आकाशवाणी लखनऊ मेंद्ध थी उन्होंने यहां दो कार्यक्रम नमस्ते बरेली और आइये मेहरवान शुरू किया मेरा सौभाग्य रहा है उन्होंने मुझे नमस्ते बरेली कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए अधिकृत किया, देखते ही देखते ये कार्यक्रम बरेली का सरताज कार्यक्रम बन गया। कार्यक्रम की प्रशंसा मेरी सभी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाती रही। करीब 10 वर्ष तक आकाशवाणी बरेली में मेरी ये अस्थाई सेवा अभी मेरेखून में रची वसी हे, जेसा कि मैंने पहले भी कहा की अतीत की बहुत सारी यादें समय के साथ धुंधला जाती है जब कोई अतीत की बात करता है, तो वो यादें सामने आ जाती है, आकाशवाणी बरेली में बिताये ये साल मेरे जीवन की अनमोल धरोहर है, ये मैंने सहज कर रक्खी है। और आज ये यादें वरिष्ठ पत्रकार निर्भय सक्सेना की कलम बरेली की-3 की किताकब का हिस्सा बनकर अमर हो गई है। आज जब में पूर्णरूप से सेवानिवृत्त हो चुका हूं तब अतीत की चंद यादें मुझे आकाशवाणी बरेली से जोड़े रखती है अक्सर मैं इन यादों में खो जाता हूं एक कवि हूं ना;छोटा ही सहीद्ध आज भी अतीत की यादों का समापन में इस मुक्तक से करना चाहता हूं।
मेरे खून में कविता और प्रसारण का जीवाणु रहता है जो हमेशा मेरे जहन में तूफान उठाये रहता है दर्द के गीतों पर मरहम लगाता प्रसारण किसी मासूम बच्चे की तरह बाहर निकलने को मचलता रहता है। कलम बरेली की से साभार राजेश गौड़ पूर्व कार्यक्रम अधिकारी आकाशवाणी बरेली