बदायूँ। उप कृषि निदेशक दुर्गेश कुमार सिंह ने समस्त किसानों को अवगत कराया है कि जनपद में धान की खेती हो रही है, जिसमें फसल कटाई के उपरान्त सामान्यतः कृषकों द्वारा फसल अवशेषों को खेतों में ही जला दिया जाता है, जिससे वातावरण प्रदूषित होता है। जमीन में लाभदायक जीवाणुओं की क्रियाशीलता कम होती है। खेत में मौजूद केंचुऐ मर जाते हैं, जिससे फसलों की पैदावार में कमी हो जाती है। पराली जलाना पाये जाने पर 2500 रुपए से 15000 रुपए तक राजकीय दण्ड का प्राविधान भी है। इसलिये किसान पराली बिलकुल न जलायें। पराली जलाने की सूचना किसान सम्बन्धित तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी तथा उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी कार्यालय तहसील लेखपाल , प्राविधिक सहायक कृषि बी0टी0एम0 आदि को दे सकते हैं। उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन का तरीका बताते हुए कहा कि फसल अवशेषों की मिटटी में ही जुताई कर मिटटी में मिलायें एवं सिचाई करें तथा इस कचरे से नाडेप कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट वना सकते हैं तथा वेस्ट डिकम्पोजर का प्रयोग कर फसल अवशेष को खेत में ही डिकम्पोज कर सकते हैं। खेत की जलधारण क्षमता वढती है। खेत में जीवांश की मात्रा वढने से लाभदायक जीवाणु केंचुआ आदि पनपते हैं। किसान फसल अवशेष प्रवंधन हेतु कृषि यन्त्र यथा सुपर स्ट्ा मैनेजमैन्ट सिस्टम (सुपर एस0एम0एस0, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, जीराटिल सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल, श्रव मास्टर, पैडी स्ट्ा चौपर, श्रेडर, मल्चर, रोटरी श्लेशर, हाईड्ोलिक रिवर्सिविल एम0बी0प्लाउ, बेलिंग मशीन, क्रॉप रीपर, स्ट्ा रैक एवं रीपर कम वाइण्डर का प्रयोग कर पराली /फसल अवशेष प्रवंधन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त किसान यदि पराली बेचना चाहते हैं तो एच0पी0सी0एल0 कम्पनी सैजनी वि0ख0 दातागंज जनपद बदायूं में मृणाल सिन्हा को फोन नम्बर 9829853222 पर सम्पर्क कर सकते हैं।