बिल्सी।तहसील क्षेत्र के गांव दिधौनी में चल रही श्रीमदभागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक ममता शाक्य ने भगवान राम के जन्म की कथा को सुनाया। उन्होने कहा कि गुरु वशिष्ठ अपने आश्रम में ध्यान मुद्रा में बैठे हैं। इसी बीच राजा दशरथ का प्रवेश होता है। गुरुदेव उनसे आगमन का कारण पूछते हैं। इस पर राजा दशरथ कहते हैं गुरुदेव मेरा चौथापन आ गया है। मगर अब तक कोई संतान नहीं है। इस पर गुरुदेव उन्हें संतानोत्पत्ति के लिए यज्ञ कराने का निर्देश देते हैं। यज्ञ सफल होने पर अग्निदेव प्रकट होते हैं और द्रव्य देकर राजा दशरथ से कहते हैं कि इसे अपनी रानियों को दे दीजिए, इसका सेवन करने से संतान अवश्य होगी। अगले दृश्य में दशरथ महल के अंत:पुर का भव्य दर्शन होता है। राजा दशरथ के द्रव्य देने के बाद रानियां उन्हें ग्रहण करती हैं। भगवान विष्णु प्रकट होते हैं और कौशल्या हतप्रभ सी उनके दर्शन करती हैं। माता कौशल्या कहती हैं हे तात आप यह विराट रूप त्याग कर अत्यंत प्रिय बाललीला कीजिये। विष्णु जी अंतर्ध्यान होते हैं। फिर बच्चों के रोने की आवाजें सुनाई देती हैं और खुशी का संगीत बजने लगता है। रामजन्म के समाचार से राजा दशरथ सहित संपूर्ण अयोध्या में खुशी छा जाती है। तीनों रानियों को चार पुत्र होते है। जिसके बाद चारों भाइयों का नामकरण संस्कार किया जाता है। इस मौके पर रामप्रकाश सिंह ठाकुर, कृष्णमुरारी, देवपाल, राधेश्याम, विवेक कुमार सिंह, लोकपाल शाक्य, रामगोपाल शाक्य, सुरेंद्र प्रजापति, मोहनलाल, संजीव, नेम कुमार ,मुन्नालाल, लीलाधर, यशपाल, सुमित शर्मा, नैना देवी, कोमल, प्रियांशी देवी, निकिता, अंशू देवी, शप्पी देवी, ज्योति रानी आदि मौजूद रही।