शिक्षक और छात्र-छात्राओं ने शांतिपाठ कर दी श्रद्धांजलि बदायूं। संस्कृत महाविद्यालय वेदामऊ वैदिक विद्यापीठ पर संयासी स्वामी श्रद्धानन्द का बलिदान दिवस मनाया गया। स्वामी जी के बलिदान दिवस पर उनके समाज सेवा कार्र्याें तथा उनके जीवन का उल्लेख किया गया। विद्यालय के संस्थापक एवं संरक्षक संस्कृत मनीषी वेदव्रत आर्य ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द का प्रारंभिक नाम मुंशीराम था। इनके पिता शहर के कोतवाल हुआ करते थे। स्वामी दयानन्द के सान्ध्यि को प्राप्त कर तथा उनके विचारों को सुनकर समाज में कुछ करने के लिए इनके हृदय में परिवर्तन हुआ। समाज सेवा के लिए इन्होंने (पुरातन) प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुर्नजीवित करने के लिए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना की। इस गुरुकुल को विदेशों द्वारा भारत से पूर्व ही विश्व विद्यालय स्तर की मान्यात प्रदान की गई थी। समाज के सही मार्ग दर्शन एवं शिक्षा, उच्च शिक्षा के लिए आज यह विश्वविद्यालय आर्य समाज के प्रमुख गुरुकुल के रुप में विख्यात है। स्वामी जी ने शुद्धि आन्दोलन चलाकर तथा हिन्दू समाज में घर वापसी क लिए कार्यक्रमों को चलाया। भारतीय हिन्दू शुद्ध सभा आज भी उनके इन कार्यों को सफल बनाने के लिए सजग रहती है। आज भी भारत के आर्य समाज उनके इन कार्यक्रमों को बढ़ावा देते रहते हैं। स्वामी जी के बलिदान दिवस के अवसर पर विद्यालय के प्राचार्च वेदमित्र आर्य ने भी विस्तार से अपने विचार प्रस्तुत किये। विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य शिव सिंह यादव, आचार्य सर्वेश कुमार गुप्ता, अंकिता गुप्ता, महेंद्र पाल सिंह यादव, चिम्मन लाल आदि ने भी स्वामी जी के बलिदास दिवस पर के अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये। इसके साथ ही शिक्षकों व छात्र-छात्राओं द्वारा दो मिनट का मौन धारण कर स्वामी जी को श्रद्धांजलि दी गई। वहीं शक्ति पाठ भी किया गया।