“उधमिता में महिलाओं की भागीदारी एवं आत्मनिर्भरता” विषय पर हुई निबंध प्रतियोगिता
बदायूं। गिन्दो देवी महिला महाविद्यालय बदायूं की ” राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में आज़ादी के अम्रत महोत्सव एवं मिशन शक्ति अभियान” के तहत आयोजित किये जा रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज दिनांक 25 सितंबर 2021 को “प्राचार्या डॉ०गार्गी बुलबुल के संरक्षण में मिशन शक्ति कार्यक्रम प्रभारी व कार्यक्रम अधिकारी असि० प्रो० सरला देवी चक्रवर्ती के संयोजन एवं निर्देशन में “उधमिता में महिलाओं की भागीदारी एवं आत्मनिर्भरता” विषय पर निबंध प्रतियोगिता कराई गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या डॉ गार्गी बुलबुल की अध्यक्षता में माँ सरस्वती के समक्ष पुष्प अर्पित कर की गई। प्राचार्या डॉ गार्गी बुलबुल ने कहा कि महिला उद्यमिता को किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। महिला उद्यमी न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाती हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ाती है। कार्यक्रम प्रभारी असिस्टेंट प्रोफेसर सरला देवी ने बताया कि भारतीय समाज में महिला उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक मोर्चों पर बदलाव लाने की जरूरत है। हम सभी को महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, उन्हें आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए। इक्कीसवीं सदी नारी जीवन में सुखद सम्भावनाओं की सदी है। महिलाएँ अब हर क्षेत्र में आगे आने लगी हैं। आज की नारी अब जाग्रत और सक्रीय हो चुकी है। किसी ने बहुत अच्छा कहा है कि “नारी जब अपने ऊपर थोपी हुई बेड़ियों एवं कड़ियों को तोड़ने लगेगी, तो विश्व की कोई शक्ति उसे नहीं रोक पाएगी।” वर्तमान में नारी ने रुढ़िवादी बेड़ियों को तोड़ना शुरू कर दिया है। यह एक सुखद संकेत है। लोगों की सोच बदल रही है, फिर भी इस दिशा में और भी प्रयास करने की आवश्यकता है। डॉ इति अधिकारी ने कहा कि उद्यमिता के लिए आत्मविश्वास के साथ-साथ जोखिम उठाने और पूंजी की भी आवश्यकता होती है। हमारे समाज की मानसिकता ऐसी है कि वह लड़कों के लिए तो जोखिम उठाने और पूंजी लगाने को तैयार हो जाते हैं पर लड़कियों के मामले में नजरिया बदल जाता है। उन्हें लगता है कि लड़कियों को उद्यमी बनाने की बजाए विवाह करके अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर लेना चाहिए। स्वयंसेविका पलक वर्मा ने कहा कि अभी जो महिलाएं उद्यमी बन रही हैं उनमें से ज्यादातर संपन्न परिवारों की महिलाएं हैं। सामान्य परिवारों से आने वाली कुछ महिलाएं ही उद्यमी बन पा रही हैं। विश्व भर में महिलाओं की प्रतिभा को सशंकित दृष्टि से ही देखा जाता है और इसका उदाहरण 2010 से लेकर 2015 तक चले केलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का सर्वेक्षण है जिसमें 18000 से अधिक उद्यमियों को शामिल किया गया। इसमें स्पष्ट रूप से महिला उद्यमियों के साथ भेदभाव की बातें उभर कर सामने आईं। निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें स्वयंसेविकाओं ने बढ़ चढ़ कर प्रतिभाग किया परिणाम इस प्रकार रहा प्रथम शालिनी, द्वितीय- स्नेहा यादव, तृतीय- सलोनी, सौम्या, उजाला संयुक्त रूप से सभी को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई।