आर्य समाज विद्यापीठ पुरम में धूमधाम से मनाई गई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
जन्मोत्सव से पूर्व किया गया राष्ट्र रक्षा यज्ञ
बदायूं। आर्य समाज विद्यापीठ पुरम में सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इससे पूर्व राष्ट्र निर्माण के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें मौजूद आर्य समाज के लोगों ने आहुतियां डालीं। वक्ताओं ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की महिमा का विस्तार से वर्णन किया।

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर्व पर आर्य समाज विद्यापीठ पुरम में हुए यज्ञ में आचार्य वेदव्रत आर्य के साथ वेदभानु आर्यए वेदवीर आर्यए वेदमित्र आर्यए वेदरत्न आर्यए डॉण् रामपाल सिंह आदिन ने आहूतियां डालीं। इसके बाद श्रीकृष्ण की महिला का बखान करते हुए आचार्य वेदव्रत आर्य ने कहा कि जब से सृष्टि की रचना हुई है तब से दो ही महापुरूषों ने पृथ्वी पर जन्म लिया एक भगवान राम व दूसरे भगवान श्रीकृष्ण। भगवान राम 12 सर्वगुण थे जबकि भगवान श्रीकृष्ण सोलह सर्वगुण थे। दोनों ने दुष्टों के सर्वनाश व शांति की स्थापना के लिए जन्म लिया था। उन्होंने कहा कि हमें भी सत्य के मार्ग पर चलकर अपना जीवन सफल बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वेदए वेदांग और अन्य शास्त्रों में और शक्ति में इस समय कोई भी कृष्ण के समकक्ष नही है। श्रीकृष्ण योगए वेदए शास्त्रों में तो पारंगत थे हीए इसके साथ ही वो मल्लयुद्धए गदा युद्धए तीर.कमान युद्ध आदि सभी प्रकार की युद्ध कला में निपुण थे। उन्होंने कहाकि श्रीकृष्ण एक श्रेष्ठ याज्ञिक भी थे। महाभारत के अनुसार जहां भी यज्ञ का समय होता थाए वह अपना काफिला रोककर पहले यज्ञ करते थे। हमें भी उनका अनुकरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मरण उपरांत सिवाय कर्मों के कुछ भी साथ नही जाता। यदि हम अच्छे कर्म करेंगे तभी हमें सदगति की प्राप्ति होगी। इसके अलावा शकुन ने योगीराज श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर स्वलिखित काव्यपाठ प्रस्तुत किया। अंत में उपस्थित लोगों में प्रसाद का वितरण किया गया।
