बिल्सी। तहसील क्षेत्र स्थित आर्य समाज मंदिर में श्रावणी उपाकर्म का पावन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सर्वप्रथम यज्ञ कराया यज्ञ के पश्चात श्रावणी का अर्थ है अच्छे प्रकार सुनकर कर्म करो, अर्थात ज्ञान देने वाले के पास बैठकर अर्थात सद ज्ञान ले करके ही कर्म करो। सद्ज्ञान लेकर जो कर्म करता है वह कभी पाप कर्म नहीं कर सकता। मां हमेशा सद्ज्ञान देती है पिता गुरु आचार्य और राजा हमेशा सद्ज्ञान ही देते हैं। इसलिए इनके साथ जुड़ कर के ही ध्यान पूर्वक कर्म करना चाहिए, क्योंकि अज्ञान ही दुखों का सबसे बड़ा कारण है। ज्ञान ही सुख का मूल है। इस अवसर पर आर्य संस्कारशाला की प्रधान शिक्षिका प्रज्ञा आर्य ने सुंदर भजन गाए। संस्कारशाला की बच्चियों ने वेद पाठ किया। इस दौरान विचित्र पाल सिंह, भानुप्रताप सिंह, अंशुल कुमार सिंह, सुखवीर सिंह, कृष्ण आर्य, भावना रानी, अंजलि रानी, सूरजवती देवी आदि मौजूद रहे।