लखनऊ में मोहन भागवत बोले, भगवद् गीता विश्व को देता है कालातीत समाधान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने रविवार को कहा कि नैतिक भ्रम, संघर्ष और शांति की कमी से जूझ रही दुनिया के लिए भगवद् गीता कालातीत मार्गदर्शन का स्रोत है। वे लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि लोगों को गीता के अनुसार जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है।

भागवत ने कहा कि हम “गीताजीवी” हैं, यानी गीता को जीवन में जीते हैं। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि गीता में 700 श्लोक हैं और यदि प्रतिदिन केवल दो श्लोकों का अध्ययन किया जाए तो एक वर्ष में जीवन गीतामय हो सकता है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्यायों में वर्णित 700 श्लोक सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए जीवन मंत्र हैं। धर्म को केवल उपासना विधि तक सीमित नहीं माना गया है, बल्कि यह जीवन जीने की कला है। गीता हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा “जीयो और जीने दो” की अवधारणा को आगे बढ़ाया है और वसुधैव कुटुंबकम का संदेश भी दुनिया को दिया है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने रविवार को कहा कि नैतिक भ्रम, संघर्ष और शांति की कमी से जूझ रही दुनिया के लिए भगवद् गीता कालातीत मार्गदर्शन का स्रोत है। वे लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि लोगों को गीता के अनुसार जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है।

भागवत ने कहा कि हम “गीताजीवी” हैं, यानी गीता को जीवन में जीते हैं। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि गीता में 700 श्लोक हैं और यदि प्रतिदिन केवल दो श्लोकों का अध्ययन किया जाए तो एक वर्ष में जीवन गीतामय हो सकता है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्यायों में वर्णित 700 श्लोक सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए जीवन मंत्र हैं। धर्म को केवल उपासना विधि तक सीमित नहीं माना गया है, बल्कि यह जीवन जीने की कला है। गीता हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा “जीयो और जीने दो” की अवधारणा को आगे बढ़ाया है और वसुधैव कुटुंबकम का संदेश भी दुनिया को दिया है।