बदायूं। साईं मंदिर के पुजारी मनोज शंखधार हत्याकांड का पुलिस ने भले ही खुलासा कर दिया हो, लेकिन घटना के बाद कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब अब भी गायब हैं। मंदिर से उठाए गए सीसीटीवी की डीवीआर और पुजारी का मोबाइल फोन अब तक बरामद नहीं हुए हैं, जबकि यही दो सबूत घटनाक्रम को पूरी तरह स्पष्ट कर सकते थे। पुलिस प्रेस नोट में मुकुट की बरामदगी का उल्लेख है, लेकिन मोबाइल और डीवीआर का नहीं। इसी कारण स्थानीय लोग पूछ रहे हैं, क्या मोबाइल और डीवीआर नष्ट कर दिए गए? उन दोनों में कौन-सा ऐसा डेटा था जिससे आरोपी डर रहे थे? क्या हत्या सिर्फ प्रेम-प्रसंग में हुई या कोई और वजह भी थी, जिसे सबूत मिटाकर छिपाया गया? पुजारी वर्ष 2016 से मंदिर में ही रहते थे और बेहद कम बाहर जाते थे।लोगों का कहना है “जो व्यक्ति नौ साल से मंदिर में 24 घंटे रहता था, वह विवाहित महिला को लगातार कैसे परेशान कर रहा था?” “क्या वह महिला मंदिर आती थी? या मनोज छुपकर बाहर जाता था?”पुलिस ने इसका कोई ठोस आधार नहीं बताया। आरोपी पक्ष की चुप्पी, रिश्तेदारों में चर्चा। गांव काजमपुर और परौर दोनों जगह रिश्तेदार इस मामले पर खुलकर बोलने से बच रहे हैं, लेकिन लोग निजी बातचीत में इस हत्या को लूट की साजिश, पुरानी रंजिश, या किसी अन्य विवाद से भी जोड़कर देख रहे हैं। मंदिर परिसर में सुरक्षा सवालों के घेरे में घटना के बाद क्षेत्र में यह भी सवाल उठ रहा है कि मंदिर में लगे सीसीटीवी सुरक्षित क्यों नहीं थे? डीवीआर को इतनी आसानी से कैसे निकाला गया? क्या मंदिर प्रबंधन ने सुरक्षा व्यवस्था पर कभी ध्यान नहीं दिया?पुलिस ने कहा—जांच जारी पुलिस अधिकारियों का कहना है कि— “मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन मोबाइल व डीवीआर की बरामदगी के प्रयास जारी हैं।”पुलिस का यह बयान संकेत देता है कि जांच अभी अधूरी है और आने वाले दिनों में नई जानकारियाँ सामने आ सकती हैं।