79 वाँ सालाना उर्से बशीर मियाँ, कुल शरीफ़ से हुआ उर्स का समापन

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बरेली। बुध मुताबिक़ 27 जमादिल अव्वल उर्स बशीरी के तीसरे व आख़िरी दिन का आग़ाज़ सुबह क़ुरआन ख्वानी से हुआ। ख़ानक़ाहे सक़लैनिया शराफ़तिया पर सुबह 9:00 बजे कुल शरीफ़ की फ़ातिहा की गई, कुल शरीफ़ की रस्म ख़ानक़ाह शरीफ़ के सज्जादानशीन हज़रत शाह मोहम्मद ग़ाज़ी मियाँ हुज़ूर ने अदा की। कुल शरीफ़ के मुबारक मौक़े पर हज़रत सादक़ैन सकलैनी, हाफ़िज़ गौसी मियाँ, मौलाना रिफ़ाक़त सकलैनी, मौलाना मुफ़्ती फ़हीम अज़हरी, मौलाना हाशिम सकलैनी, ग़ुलाम मुर्तुज़ा, हमज़ा सकलैनी, फ़ैज़याब सकलैनी, महफ़ूज़ अहमद, मुंतसिब सकलैनी, मुनीफ़ सकलैनी, लतीफ़ सकलैनी ख़ास तौर पर शामिल रहे। कुल शरीफ़ के बाद सज्जादानशीन ने शहर व देश के अमन-चैन व सलामती के लिए दुआएँ कीं और सभी ज़ायरीन को अपनी ख़ूब दुआओं से नवाज़ा, कुल शरीफ में हज़ारों की तादाद में अक़ीदतमंदों ने शिरकत की।
कुल शरीफ के बाद सुबह 10:00 बजे हर साल की तरह इस साल भी सज्जादनशीन के साथ हज़ारों मुरीदीन व अक़ीदतमंद दरगाह बशीर मियाँ हुज़ूर मोहल्ला नगर चादर पोशी व हाज़िरी के लिए गए, दरगाह बशीर मियाँ पर पहुँच कर हज़रत ग़ाज़ी मियाँ हुज़ूर ने फ़ातिहा की और मज़ार शरीफ़ पर चादर पोशी व गुलपोशी की, इस मौक़े पर सभी अक़ीदतमंदों, शहर और मुल्क के अमन ओ सलामती और आपस में मेल-मोहब्बत भाईचारे के लिए दुआएँ माँगी गईं। उर्स ए बशीरी में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में ज़ायरीन आए और उर्स के फ़ैज़ान से ख़ूब मालामाल हुए। दरगाह बशीर मियाँ से वापसी पर दरगाह शाह शराफ़त मियाँ पर पहुँच कर सभी ज़ायरीन ने सज्जादानशीन हज़रत ग़ाज़ी मियाँ हुज़ूर से क़तार में लगकर मुलाक़ात की और अपने हक़ दुआएँ करायीं, और इसी के साथ दूर-दराज़ के ज़ायरीन ख़ाना खाकर अपने-अपने घरों को रुख़सत हो गए।

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