बदायूं में 8 नवंबर को होगा 184वें सालाना उर्से क़ादरी का आगाज़, कुल शरीफ 10 को होगा

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बदायूं। शहर में चक्कर की सड़क स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह आलिया कादरिया पर हुजूर शाह ऐनुल हक हजरत मौलाना अब्दुल मजीद कादरी बदायूंनी रहमतुल्लाह अलैह के 184वें सालाना उर्स-ए-पाक की तीन रोजा महफिल का आगाज बड़े ही शानो शौकत के साथ 8 नवंबर शनिवार को होगा। जिसमे देश भर से बड़ी तादाद में जुटेंगे अकीदतमंद ज़ायरीन। तीन रोजा उर्स की तैयारियां मुकम्मल हो गई हैं। खानकाह ने उर्स के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर ली है।

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सोमवार को दरगाह आलिया कादरिया के सामने दीवान खाने पर नाजिमे उर्स हाफिज अब्दुल कय्यूम क़ादरी साहब की ओर से खानकाह के प्रवक्ता मोहम्मद तनवीर कादरी ने प्रेसवार्ता कर बताया कि दरगाह आलिया कादरिया पर हुजूर शाह ऐनुल हक हजरत मौलाना अब्दुल मजीद कादरी बदायूंनी रहमतुल्लाह अलैह के 184वें सालाना उर्स-ए-पाक की तीन रोजा महफिल का आगाज 8 नवंबर को खानकाहे कादरिया के साहिबे सज्जादा काज़ी ए ज़िला हज़रत मौलाना अब्दुल गनी मोहम्मद अतीफ मियां कादरी की सरपरस्ती एवं निगरानी में शुरू होगा। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि 8 नवंबर को कुरआन ख्वानी व तबर्रुकात शरीफ के जुलूस से उर्स का आगाज़ होगा। हल्का-ए-जिक्र की महफिल सजेगी, दिन भर उलमाओं की तक़रीर समेत नात ख्वाहों द्वारा रूहानी कलामो की महफिल सजेगी। नौ नवंबर को बाद नमाज़ ए जुहर दरगाहे कादरी में तबर्रुकात शरीफ की जियारत कराई जाएगी उसी दिन बाद नमाजे इशा रात में बड़ी “क़ादरी मजीदी कांफ्रेस” आयोजित होगी। दस नवंबर सोमवार को बाद नमाजे फज्र कुल शरीफ की फातिहा के साथ उर्स की महफिल का समापन होगा। प्रवक्ता ने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी देशभर से बड़ी संख्या में जायरीनों के आने की उम्मीद है। जिनके ठहरने व खानपान का प्रबंध मदरसा आलिया कादरिया द्वारा किया गया है। उर्स के सारे इंतज़ाम पर हुज़ूर ताजदारे अहले सुन्नत के छोटे साहबजादे हज़रत मौलाना अज़्जाम मियां क़ादरी की देखरेख में हो रहे हैं। प्रवक्ता ने बताया कि साहिबे उर्स हजरत हुजूर शाह ऐनुल हक मौलाना अब्दुल मजीद कादरी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह अपने वक्त के बड़े सूफी और आलिम थे आप हुजूर अच्छे मियां शम्से मारहरा के खलीफा है। आपकी विलादत 1765 ईसवी में हुई थी आप हर पल अल्लाह की इबादत में मशगूल रहते थे और लोगों को अपने फैज से नवाजते रहते थे आपका विसाल 17 मुहर्रम उल हराम 1263 हिजरी को हुआ था। क़ादरी दरगाह पर प्रतिदिन सभी धर्मो के लोग हाजरी लगाने आते है और फैजयाब होते हैं। यहां सभी मजहबों के लोगों की मन्नते पूरी होती है। और साहिबे उर्स से लोग बड़ी अकीदत रखते है। उर्से क़ादरी की खास बात यह है कि यह उर्स बड़े ही अदबों ऐहतिराम व शानों शौकत से आयोजित होता है।

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