न्यायालय में मृत व्यक्ति के नाम पर दाखिल हुआ जमानतनामा, गंभीर धोखाधड़ी का आरोप
बरेली। न्यायिक प्रक्रिया को धता बताते हुए मृत व्यक्ति के नाम पर जमानतनामा दाखिल कर आरोपी को जमानत दिलाए जाने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। यह मामला थाना बारादरी क्षेत्र से संबंधित है। अब इस प्रकरण में शारिक अब्बासी ने फर्जीवाड़े की जांच कर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2023 में रोहली टोला मदीना शाह का इमामबाड़ा, थाना बारादरी निवासी की ओर से दर्ज मुकदमे में मोहम्मद साजिद, रईस मियां, शमशाद हुसैन, नजीबुर्रहमान, इदरीस मियां, सईद मियां व अब्दुल शब्बीर के खिलाफ अभियोग पंजीकृत किया गया था। मामला वर्तमान में न्यायालय एसीजेएम प्रथम, बरेली में विचाराधीन है। 23 अक्टूबर 2024 को आरोपी नजीबुर्रहमान, शमशाद हुसैन, रईस मियां और इदरीस मियां ने अदालत में आत्मसमर्पण कर जमानत याचिका दाखिल की। न्यायालय ने 20,000 रुपये के निजी बंधपत्र और दो-दो जमानतदार प्रस्तुत करने पर रिहाई का आदेश दिया। इसी दौरान आरोपी शमशाद हुसैन की ओर से जमानतदार अनीस अहमद पुत्र अब्दुल मजीद, निवासीचक महमूद, पुराना शहर, बरेली दाखिल कराया गया और साथ में आधार कार्ड एवं वाहन आरसी प्रस्तुत की गई। जमानतनामे पर फोटो व अंगूठे का निशान भी मौजूद था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
लेकिन बाद में यह गंभीर तथ्य सामने आया कि जमानतदार अनीस अहमद की मृत्यु 27 जून 2023 को ही हो चुकी थी। उनकी मौत का प्रमाणपत्र नगर निगम में 30 अगस्त 2023 को दर्ज है। इस तरह मृतक के नाम पर फर्जी जमानतनामा दाखिल कर आरोपी को राहत दिलाने का आरोप लगाया गया है। सूत्रों के अनुसार, जमानतनामा दाखिल होने के दिन ही किसी व्यक्ति ने उसकी फोटो मोबाइल से ले ली, जिसके आधार पर फर्जीवाड़े का शक गहराया। जब दस्तावेज की प्रमाणित प्रति के लिए नकल विभाग से आवेदन किया गया तो नकल उपलब्ध नहीं कराई गई। शारिक अब्बासी का आरोप है कि आरोपीगण ने साजिद सकलैनी (तत्कालीन लिपिक राजकुमार का करीबी बताया जा रहा है) की मदद से मूल जमानतनामा रिकॉर्ड से हटवाकर दूसरा जमानतनामा दाखिल करा दिया। 3 अप्रैल 2025 को पुराने जमानतनामे की तलाश के आवेदन पर तत्कालीन लिपिक राजकुमार ने लिखा कि आरोपी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज स्पष्ट न होने के कारण पुनः प्रस्तुत करने को कहा गया था। शिकायतकर्ता पक्ष इसे पूरी तरह फर्जी बताते हुए लिपिक पर भी मिलीभगत का आरोप लगा रहा है। शिकायत में मांग की गई है कि शमशाद हुसैन द्वारा दाखिल जमानतनामा, अन्य अभियुक्तों के जमानतनामे, न्यायालय की स्टांप तथा पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षरों की फॉरेंसिक हैंडराइटिंग जांच कराई जाए। साथ ही, शारिक अब्बासी ने मांग की है कि इस धोखाधड़ी में शामिल नजीबुर्रहमान, शमशाद हुसैन, रईस मियां, इदरीस मियां, साजिद सकलैनी, राजकुमार सहित अन्य अज्ञात आरोपियों पर मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। बताया जा रहा है कि आरोपी साजिद सकलैनी वर्तमान में आईएमसी युवा के जिला अध्यक्ष हैं। उन पर हाल ही के विवाद में 15,000 रुपये का इनाम भी घोषित है। फर्जी जमानतनामा प्रकरण के बाद न्यायिक और पुलिस प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। पीड़ित ने जांच कर कार्रवाई की मांग की है।




















































































