प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों को दी है अनेकों सुविधाएं

बदायूँ । उत्तर प्रदेश देश में गन्ना क्षेत्रफल एवं गन्ना उत्पादन में सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। गन्ना और चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था के विकास में गन्ने की खेती और चीनी मिलों का महत्वपूर्ण योगदान है। इस प्रकार चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग, प्रदेश में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए प्रदेश के लगभग 46 लाख गन्ना किसान परिवारों के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में गन्ना किसानों को ससमय गन्ना मूल्य का भुगतान कराया जा रहा है। वर्तमान सरकार द्वारा अब तक कुल रू0 2,88,795.78 करोड़ गन्ना मूल्य का भुगतान गन्ना किसानों को कराया गया है। प्रदेश में पेराई सत्र 2016-17 में गन्ना क्षेत्रफल 20.54 लाख हेक्टेयर था, जो वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अद्यतन गन्ना क्षेत्रफल 29.51 लाख हेक्टेयर हो गया है। गन्ना क्षेत्रफल में 2016-17 के सापेक्ष 43.67 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पेराई सत्र 2016-17 में गन्ना उत्पादकता 72.38 टन प्रति हेक्टेयर था। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में पेराई सत्र 2024-25 में 10.87 टन प्रति हेक्टेयर की वृद्धि के साथ गन्ना उत्पादकता 83.25 टन प्रति हेक्टेयर हुई है।
प्रदेश के विकास में चीनी उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका के साथ-साथ उससे जुड़े हितधारकों जैसे गन्ना किसान, गन्ना विकास समितियां और चीनी मिलों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए गन्ना विकास विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य में गन्ना और चीनी उद्योग के विकास के लिए प्रदेश सरकार ने कई कार्यक्रम संचालित किये गये है। स्मार्ट गन्ना किसान प्रोजेक्ट – कार्यक्रम के अन्तर्गत गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग की स्मार्ट गन्ना किसान ै.ळ.ज्ञ ऐसी व्यवस्था है, जिसके अन्तर्गत प्रदेश के समस्त गन्ना किसानों को गन्ना सर्वेक्षण, बेसिक कोटा, बेसिक सट्टा, गन्ना कैलेंडरिंग, पर्चियों का निर्धारण एवं निर्गमन व गन्ना आपूर्ति की जानकारी एकीकृत एवं पारदर्शी व्यवस्था के अन्तर्गत घर बैठे एस.जी. के पोर्टल ूूण्बंदमनचण्पद एवं ष्ई-गन्ना एपष् के माध्यम से ऑनलाईन उपलब्ध करायी जा रही हैं। सम्पूर्ण प्रदेश में एक समान पारदर्शी व्यवस्था लागू होने से विगत आठ वर्षों में गन्ना माफियाओं पर पूर्ण अंकुश लगा है, फलतः 4.30 लाख फर्जी सट्टे सिस्टम के द्वारा बन्द हुए तथा विगत सात वर्षों में 17.19 लाख नये गन्ना किसानों ने गन्ने की बुवाई कर गन्ना समितियों की सदस्यता ग्रहण की। तौल लिपिकों के पाक्षिक स्थानान्तरण में मनमानी, स्थानीय दबाव एवं घटतौली रोकने हेतु एस. जी. के. के माध्यम से ऑनलाईन लाटरी द्वारा तौल लिपिकों के पाक्षिक स्थानान्तरण किये जा रहे हैं, जिससे काफी हद तक तौल संबंधी अनियमितताओं पर रोक लगी है। फार्म मशीनरी बैंक – के अन्तर्गत गन्ने की खेती में लागत को कम करने के उद्देश्य से यंत्रीकरण को बढ़ावा देने हेतु प्रदेश की 148 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गयी है, जिसमें 979 कृषि यंत्र तथा 78 सक्षम सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में 55 एच.पी. के 78 ट्रैक्टरों को शामिल करते हुए सदस्य गन्ना कृषकों को गन्ना खेती में प्रयोग हेतु न्यूनतम किराये की दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इन यंत्रों के प्रयोग से जहाँ एक ओर गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाने से होने वाले पर्यावरणीय क्षति से बचाया जा रहा है, वहीं दूसरी और मृदा की उर्वरता भी बढ़ रही है। गन्ना संघ का भविष्य निधि ट्रस्ट साफ्टवेयर विकसित- इस कार्यक्रम के अन्तर्गत गन्ना संघ स्तर पर स्थायी कार्मिकों (संघ/समिति) के भविष्य निधि धनराशि के रख-रखाव विनियोजन हेतु गन्ना संघ (भविष्य निधि ट्रस्ट) का गठन 1979 में किया गया था। कार्मिकों के अंशदान/जमा धनराशि आदि समस्त लेखा का विवरण पूर्ण लपारदर्शिता के साथ सुगमता से उपलब्ध कराने हेतु आनलाईन सी.पी.एफ. साफ्टवेयर एवं मोबाईल एप विकसित कराया गया है। टोल फ्री गन्ना किसान कॉल सेन्टर- इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश के गन्ना किसानों की जिज्ञासाओं के त्वरित एवं प्रभावी समाधान हेतु गन्ना विकास विभाग के मुख्यालय पर कन्ट्रोल रूम (टोल-फ्री) की स्थापना की गयी है। इस कन्ट्रोल रूम के माध्यम से टोल-फ्री नम्बर 1800-121-3203 पर अनुभवी एवं दक्ष कार्मिकों द्वारा गन्ना किसानों को 24 घण्टे अनवरत सहायता प्रदान की जा रही है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में टोल फ्री नम्बर पर पंजीकृत हुईं लगभग 1,07,62,025 शिकायतों का निस्तारण किया गया है। एस्क्रो एकाउन्ट मैकेनिज्म एवं टैगिंग- वर्तमान सरकार द्वारा कृषकों को गन्ना मूल्य भुगतान समय से सुनिश्चित कराने हेतु ष्एस्क्रो एकाउन्ट मैकेनिज्मश्श् प्रारम्भ किया गया है। इस व्यवस्था के फलस्वरूप धनराशि का व्यावर्तन रूका है तथा गन्ना मूल्य के भुगतान में तेजी आई है। वर्तमान सरकार द्वारा कृषकों का गन्ना मूल्य भुगतान समय से सुनिश्चित कराने के लिए चीनी के साथ-साथ चीनी मिल के अन्य उपोत्पाद यथा-शीरा, खोई व प्रेसमड के विक्रय मूल्य का 85 प्रतिशत भी टैग किया गया है। अतिरिक्त पेराई क्षमता का सृजन- इस कार्यक्रम के अन्तर्गत चीनी मिलें प्रदेश की अर्थव्यवस्था और विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग गन्ने के सामयिक पेराई कराकर गन्ना फसलों की समय से बुवाई कराने हेतु लगातार प्रयास कर रहा है। उत्तर प्रदेश शासन के तमाम प्रयासों का ही प्रतिफल है कि प्रदेश की चीनी मिलों एवं खाण्डसारी इकाईयों की पेराई क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। प्रदेश में नवीन लाइसेंस प्राप्त 285 खाण्डसारी इकाईयों की स्थापना से भी 73,700 टी.सी.डी. की अतिरिक्त पेराई क्षमता सृजित हुई है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में 03 नई चीनी मिलों की स्थापना, 06 चीनी मिलों के पुर्नसंचालन एवं 38 निजी क्षेत्र की चीनी मिल, 01 निगम क्षेत्र एवं 01 सहकारी क्षेत्र की चीनी मिल में क्षमता विस्तार किया गया, जिससे कुल 1,10,600 टी.सी.डी. की अतिरिक्त पेराई क्षमता का सृजन हुआ है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में चीनी मिलों एवं खाण्डसारी इकाईयों के अन्तर्गत बढ़ी हुई 1,84,300 टी.सी.डी. (टन पेराई क्षमता प्रतिदिन) पेराई क्षमता से 5000 टी.सी.डी. की लगभग 37 चीनी मिलों की क्षमता के बराबर अतिरिक्त पेराई क्षमता का सृजन हुआ है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बढ़ाई गयी पेराई क्षमता से इन चीनी मिल क्षेत्रों के गन्ना किसान लाभन्वित हो रहे है। स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हो रहा है एवं चीनी मिलों की कार्य दक्षता भी बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होने के फलस्वरूप प्रदेश के आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी।
कृषकों की गन्ना आपूर्ति में सुविधा हेतु सट्टा नीति में परिवर्तन- इसके अन्तर्गत प्रति कृषक गन्ना सट्टे की सीमा सीमान्त कृषक के लिए अधिकतम 900 कुन्तल, लघु कृषक के लिये 1800 कु0 तथा सामान्य कृषक के लिये 4500 कु0 की गई। उपज बढ़ोत्तरी की दशा में सट्टे की अधिकतम सीमा सीमान्त, लघु एवं सामान्य कृषक हेतु क्रमशः 1400 कु0, 2800 कु0 तथा 7000 कु0 निर्धारित की गई। गन्ना आपूर्ति के बेसिक कोटा में वृद्धि हेतु 02 वर्ष, 03 वर्ष एवं 05 वर्ष की औसत गन्ना आपूर्ति में से अधिकतम औसत को बेसिक कोटा निर्धारित किया गया। 72 कुन्तल तक बेसिक सट्टा वाले छोटे किसानों की सुविधाजनक गन्ना आपूर्ति हेतु इन्हें मिल चलने के 45 दिन के पेड़ी गन्ने तथा पौधे गन्ने को 01 फरवरी से 45 दिन के अन्दर क्रय किये जाने की व्यवस्था की गयी है।