इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार की अम्बेडकर नगर, कन्नौज, जालौन व सहारनपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण के सम्बंध में पारित शासनादेशों को रद्द करने के एकल पीठ के फैसले के खिलाफ दाखिल विशेष अपील पर बृहस्पतिवार को आदेश सुना दिया है। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील पर शुरुआती सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को हफ्ते भर में यह वचन (अंडरटेकिंग) दाखिल करने का निर्देश दिया कि वह आरक्षण अधिनियम 2006 के प्रावधानों का पालन करेगी। कोर्ट ने मौजूदा काउंसिलिंग जारी रखने की अनुमति तो दे दी लेकिन कहा कि दाखिले, अपील के अंतिम निर्णय के अधीन होंगें। कोर्ट ने अपील पर अगली सुनवाई 6 अक्तूबर को नियत की है।अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से पूछा था कि एकल पीठ के निर्णय में क्या कमी है? राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जे एन माथुर ने दलील दी थी कि एकल पीठ के फैसले व आदेश से इन चारों जिलों के मेडिकल कालेजों में दाखिलों के लिए फिर से काउंसिलिंग करनी पड़ेगी। इससे प्रदेश के ने जिलों के मेडिकल कालेजों में दाखिलों के लिए हो रही काउंसिलिंग पर भी असर पड़ेगा। नई काउंसिलिंग से पहले सीट के अभ्यर्थी बाहर हो जाएंगे। अन्य मेडिकल कालेजों में काउंसिलिंग पूरी होने की वजह से उनके पास विकल्प भी नहीं बचेंगे। उधर, याची अभ्यर्थी के अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने एकल पीठ के फैसले को आरक्षण के कानूनी प्रावधानों के तहत कहकर इस पर पूरी तरह से अमल किए जाने का तर्क दिया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था जिसे कोर्ट ने सुनाया। हालांकि, याची के अधिवक्ता के मुताबिक शुरुआत में याचिका दाखिल करने वाली अभ्यर्थी सबरा अहमद को अंबेडकरनगर या पास के किसी मेडिकल कालेज में उसके आवेदन पर दाखिला देने का निर्देश भी दिया है।