हस्तिनापुर बाढ़ पीड़ितों का विरोध: कहा— “राहत नहीं, जीवन चाहिए”, राज्यमंत्री के सामने ठुकराई सामग्री

मेरठ। हस्तिनापुर क्षेत्र के बस्तौरा नारंग गांव में गंगा नदी का पानी लगातार बढ़ रहा है, जिससे ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गुरुवार को राज्य मंत्री दिनेश खटीक प्रशासनिक अधिकारियों के साथ गांव पहुंचे और बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। अधिकारियों ने बाढ़ राहत सामग्री वितरित करनी शुरू की, लेकिन ग्रामीणों ने राहत सामग्री लेने से साफ इनकार कर दिया।दरअसल, गंगा कटान से प्रभावित बस्तौरा नारंग गांव में गुरुवार को राज्य मंत्री दिनेश खटीक डीएम डॉ. वीके सिंह और एसएसपी विपिन ताडा के साथ पहुंचे। उन्होंने बाढ़ चबूतरे पर ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि शासन और प्रशासन स्तर से हर संभव मदद की जा रही है। साथ ही गंगा किनारे पक्के तटबंध की परियोजना भी शासन को भेजी जाएगी, जिससे भविष्य में लोगों को राहत मिले।जिलाधिकारी डॉ. वीके सिंह ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि हर स्थिति पर नजर रखी जा रही है। प्रशासनिक अधिकारी लगातार तैनात हैं और प्रभावित परिवारों की मदद कर रहे हैं। लेकिन गंगा के लगातार कटान से ग्रामीणों में डर का माहौल है। कई परिवार पिछले तीन दिनों से गांव छोड़कर पलायन कर चुके हैं, जबकि कुछ परिवारों का कहना है कि उनके पास जाने के लिए कोई स्थान नहीं है।
राहत सामग्री वितरित करते ही भड़के ग्रामीण
इस बीच जब प्रशासन ने राहत सामग्री वितरित करनी शुरू की तो ग्रामीण भड़क गए। उन्होंने राज्य मंत्री और अधिकारियों के सामने ही राहत सामग्री लेने से इनकार कर दिया। ग्रामीणों का कहना था कि राशन से केवल कुछ दिन गुजारा होगा, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान तब होगा जब उन्हें सुरक्षित ठिकाने और रहने के लिए मकान उपलब्ध कराए जाएं।
ग्रामीणों का कहना था कि इस आपदा की घड़ी में उन्हें केवल कुछ दिनों का राशन देकर समस्या का समाधान नहीं होगा। गंगा उनके घर के बाहर दस्तक दे रही है और उनके पास रहने के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं है।
ग्रामीणों ने राहत सामग्री लौटाते हुए साफ कहा-हमें राशन नहीं, जीवन चाहिए। हंगामा बढ़ता देख मंत्री और अफसर बिना सामग्री वितरित किए ही लौट गए। इस घटनाक्रम से गांव में तनाव और आक्रोश का माहौल बना रहा।ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की कि उन्हें सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराया जाए, साथ ही उनके पशुओं के लिए चारे की भी व्यवस्था की जाए। उनका कहना है कि चार दिन का राशन खाने से हालात सामान्य नहीं होंगे। जब तक शासन-प्रशासन की ओर से उन्हें उचित शरणस्थल नहीं मिलता, तब तक वे कोई राहत सामग्री स्वीकार नहीं करेंगे।घटना के दौरान मौके पर मौजूद ग्रामीणों और प्रशासन के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। इससे वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया। अधिकारियों ने कहा कि शासन स्तर पर बाढ़ पीड़ितों की सुरक्षा और आवश्यक इंतजामों के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।