कृषि व्यापारियों पर कार्रवाई से उप्र में फैला भय, व्यापारियों ने दी अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी

बरेली। उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग द्वारा लगातार खाद, बीज और कीटनाशक व्यापारियों पर की जा रही छापेमारी और कानूनी कार्रवाइयों से व्यापारियों में भारी आक्रोश है। प्रदेश भर के कृषि आदान व्यापारियों ने एकजुट होकर इसे अनावश्यक प्रताड़ना बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कोई समाधान नहीं निकला तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे, जिससे खरीफ सीजन में किसानों को खाद-बीज की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। व्यापारियों का कहना है कि उर्वरक निर्माता कंपनियां यूरिया 242 से 246 रुपये प्रति बैग में होलसेलर को दे रही हैं और केवल 4 से 5 रुपये ही भाड़ा दे रही हैं, जबकि वास्तविक परिवहन लागत 25 से 30 रुपये तक है। इसके अतिरिक्त लोडिंग-अनलोडिंग का 10 रुपये और जबरन टैगिंग किए गए अन्य उत्पादों की लागत व्यापारियों को उठानी पड़ रही है। इससे निर्धारित मूल्य 266.50 रुपये पर यूरिया बेचना संभव नहीं है। यही स्थिति DAP और NPK जैसे अन्य उर्वरकों की भी है। कीटनाशकों को लेकर भी व्यापारियों ने गंभीर आपत्तियाँ जताई हैं। उनका कहना है कि जिन उत्पादों की सेल परमीशन लखनऊ से होती है और जो निर्माता कंपनियों के गोदाम से सीधी सप्लाई होती है, उनकी गुणवत्ता पर सवाल उठाकर व्यापारी का लाइसेंस निलंबित कर दिया जाता है। जबकि कीटनाशक अधिनियम के अनुसार यह जिम्मेदारी पूरी तरह से निर्माता कंपनी की होनी चाहिए, क्योंकि व्यापारी तो मूल पैकिंग में ही माल बेचते हैं बीज व्यापार को लेकर भी व्यापारी असमंजस की स्थिति में हैं। उन्हें एक जिले से दूसरे जिले में बीज बेचने के लिए अलग से लाइसेंस की बाध्यता दी जा रही है, जबकि बीज अधिनियम 1966 और बीज नियंत्रण आदेश 1983 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही सब्जी बीजों के स्टॉक बोर्ड पर विवरण अंकित करने की शर्त को भी अव्यवहारिक बताया गया है। व्यापारियों ने सरकार से मांग की है कि निर्माता कंपनियों को एफओआर (गोदाम तक माल पहुंचाने) की सुविधा अनिवार्य की जाए, टैगिंग बंद हो और सभी जिम्मेदारियों का भार विक्रेताओं पर न डालकर निर्माता कंपनियों पर डाला जाए। जिन व्यापारियों पर 3/7 जैसी धाराओं में कार्यवाही की गई है, उसे भी निरस्त किया जाए। यदि सरकार ने शीघ्र व्यापारियों की मांगों को नहीं माना, तो पूरे प्रदेश में उर्वरक-बीज की सप्लाई ठप हो सकती है। आज एक दिवसीय सांकेतिक बंदी के तहत व्यापारियों ने इस आंदोलन की शुरुआत की है और आगे की रणनीति सरकार की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगी।