बदायूं में भाजपा ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती धूमधाम से मनाई, 30 स्थानों पर मंडल संगोष्ठी हुई

बदायूं। भारतीय जनता पार्टी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्म जयंती को बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास से 30 स्थानों पर मंडल संगोष्ठी आयोजित करके मनाया। अलग-अलग स्थान पर विभिन्न वक्ताओं ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन परिचय पर अपना विषय रखा। 30 मण्डल में भाजपा नेताओं ने बताया डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन। मंडल सलारपुर, वजीरगंज में प्रदेश मंत्री डीपी भारती, मंडल मुजरिया, दहगवां, सहसवान नगर, सहसवान ग्रामीण में जिला महामंत्री सुधीर श्रीवास्तव, मंडल सिविल लाइन, जगत, बसोमा, बिनावर में जिला महामंत्री एमपी सिंह राजपूत, मंडल उझानी नगर, उझानी ग्रामीण, बदायूं नगर में जिला उपाध्यक्ष दुर्गेश वार्ष्णेय, मंडल इस्लामनगर, उघैती में चेयरमैन मुड़िया अनुपम पाठक, मंडल दातागंज नगर, दातागंज ग्रामीण, समरेर में जिलाध्यक्ष पिछड़ा मोर्चा धीरज पटेल, मंडल कादरचौक, हरदोईपट्टी, म्याऊं में जिला प्रवक्ता शैलेंद्र मोहन शर्मा, मंडल उसावां, गौतरा में जिला कोषाध्यक्ष डॉ आशीष शर्मा, मंडल करनपुर, बिसौली नगर, बगरैन में जिला मीडिया प्रभारी आशीष शाक्य, मंडल बिल्सी नगर, बिल्सी ग्रामीण में जिला संयोजक आईटी विभाग संदीप चौहान, मंडल बिसौली ग्रामीण, आसफपुर में पूर्व जिलाध्यक्ष युवा मोर्चा अनुज माहेश्वरी ने बतौर मुख्य अतिथि संबोधित किया।

प्रदेश मंत्री डीपी भारती ने कहा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण भारत माता के चरणों में समर्पित कर दिया। उन्होंने देश की एकता, अखंडता और आत्मसम्मान के समर्पण कर दिया। 6 जुलाई 1901 को कोलकाता में जन्म लिया, लॉ ग्रेजुएट की शिक्षा ग्रहण की और मात्र 33 वर्ष की कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। 1947 में पंडित नेहरू के आमंत्रण पर अंतरिम सरकार में उद्योग मंत्री बने, लेकिन जब नेहरू लियाकत समझौता 1950 के तहत पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार के बावजूद तत्कालीन भारत सरकार मौन रही तो उन्होंने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की जो आज भारतीय जनता पार्टी का विशाल वटवृक्ष बनकर खड़ा हुआ है।

1952 के संसदीय आम चुनाव में भारतीय जनसंघ ने 3% से अधिक मत पाकर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल किया। डॉ. मुखर्जी ने लोकसभा चुनाव जीता और संसद में पहुंचे। उन्होंने संसद में कहा कि केवल संसद बहस का मंच नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण का यज्ञमंच भी है। 1952 में जम्मू कश्मीर से धारा 370 को समाप्त करने के लिए जन आंदोलन शुरू किया। 11 मई 1953 को जम्मू कश्मीर में बिना परमिट के घुस जाने पर गिरफ्तार हुए और जेल भेजे गए। 30 जून 1953 को संदिग्ध परिस्थितियों में जेल में उनका स्वर्गवास हो गया। डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी के अधूरे सपनों को मोदी सरकार पूरा कर रही है।