राजकीय महाविद्यालय में संगोष्ठी और हस्ताक्षर अभियान के साथ आपातकाल विरोधी वर्ष का शुभारंभ

बदायूँ। आवास विकास स्थित राजकीय महाविद्यालय में 25 जून 1975 को घोषित राष्ट्रीय आपातकाल के पचास वर्ष पूरे होने पर 25 जून 2025 से 25 जून 2026 तक चलने वाले आपातकाल विरोधी लोकतंत्र की रक्षा वर्ष का शुभारंभ किया गया। सांस्कृतिक परिषद के द्वारा विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ तथा लोकतंत्र की रक्षा को तत्पर रहने के लिए शपथ लेने का हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि बरेली कॉलेज बरेली के वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रोफेसर भूपेंद्र सिंह ने कहा कि आज ही के दिन 1975 में भारत में घोषित आपातकाल देश के संवैधानिक ढांचे, लोकतांत्रिक अधिकारों और न्यायिक व्यवस्था पर एक अभूतपूर्व हमला था। संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत घोषित आपातकाल का उपयोग तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने और न्यायिक आदेशों के प्रभाव से बचने के लिए किया गया। उन्होंने कहा कि इस अवधि में मौलिक अधिकारों को निलंबित किया गया, हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों को बिना मुकदमा जेल में डाला गया, प्रेस पर सेंसरशिप लगी और न्यायपालिका की स्वतंत्रता सीमित की गई। मुख्य वक्ता बरेली कॉलेज बरेली में वाणिज्य के प्रोफेसर डॉ ओमकार सिंह ने कहा कि इस कालखंड ने भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को झकझोर दिया। न्यायपालिका और छात्र शक्ति के बल पर की गई जेपी की समग्र क्रांति के दबाव में आपातकाल समाप्त हुआ और भारत ने लोकतांत्रिक पुनरुत्थान का मार्ग अपनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ नरेंद्र कुमार बत्रा ने कहा किआपातकाल भारतीय लोकतंत्र की चुनौतीपूर्ण परीक्षा थी। इसने यह सिखाया कि संविधान का मूल ढांचा न्यायिक स्वतंत्रता, मौलिक अधिकार, और विधि का शासन किसी भी स्थिति में बाधित नहीं किया जाना चाहिए। एनसीसी प्रभारी डॉ श्रद्धा गुप्ता ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता, एक सजग नागरिक समाज और मीडिया की भूमिका लोकतंत्र की रक्षा के लिए अनिवार्य है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ राकेश कुमार जायसवाल ने कहा कि केशवानंद भारती केस में उच्चतम न्यायालय की 13 जजों की पीठ ने यह निर्धारित किया कि संसद को संविधान के मूल ढांचे को बदलने का अधिकार नहीं है। फिर भी आपातकाल में हुए संवैधानिक संशोधन लोकतंत्र की हत्या के कारक सिद्ध हुए। डॉ अनिल कुमार ने कहा कि हमारा संविधान किसी भी सत्ता को यह अधिकार नहीं देता कि वह आपातकाल के दौरान बंदी प्रत्यक्षीकरण के अधिकार से उच्च न्यायालयों को वंचित कर सके। इस अवसर पर महाराणा प्रताप राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ पंकज कुमार सिंह, डॉ पवन कुमार शर्मा, डॉ रविन्द्र सिंह यादव, डॉ हुकुम सिंह आदि उपस्थित थे।