वृंदावन कॉरिडोर के खिलाफ उठी भावनाओं की लहर: गोस्वामी समाज की महिलाओं ने खून से लिखा पीएम और सीएम को पत्र

वृंदावन। बांके बिहारी मंदिर से जुड़े प्रस्तावित कॉरिडोर और ट्रस्ट निर्माण की योजना के खिलाफ स्थानीय गोस्वामी समाज का विरोध अब और तेज हो गया है। सोमवार को इस ऐतिहासिक मंदिर से पीढ़ियों से जुड़ी गोस्वामी समाज की दो दर्जन से अधिक महिलाओं ने अनोखे और मार्मिक अंदाज़ में अपनी पीड़ा प्रकट की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने खून से पत्र लिखकर इस योजना को वापस लेने की अपील की। पत्रों में महिलाओं ने लिखा है कि बांके बिहारी मंदिर केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि वृंदावन की आत्मा है। यह सिर्फ एक धार्मिक स्थान नहीं बल्कि संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का जीवंत केंद्र है। गोस्वामी समाज सदियों से इसकी सेवा में लगा रहा है और यह सेवा परंपरा ही मंदिर की आत्मा को जीवित रखती है।
सेवा परंपरा और जीवनशैली पर संकट
मनीषा गोस्वामी ने कहा कि यह योजना केवल एक विकास परियोजना नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान पर सीधा प्रहार है। “कॉरिडोर और ट्रस्ट निर्माण से न सिर्फ मंदिर की पारंपरिक व्यवस्था बाधित होगी, बल्कि हमारी सेवा परंपरा भी समाप्त हो जाएगी।” नीलम गोस्वामी ने कहा, “यह हमारी जीवनशैली, हमारे अधिकार और मंदिर की पवित्रता को तोड़ने वाला प्रयास है। हम इस योजना का हर स्तर पर विरोध करेंगे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि स्थानीय व्यापारी, सेवायत और आम श्रद्धालु सभी इससे आहत और नाराज़ हैं।
महिलाओं का भावुक और एकजुट विरोध
इस विरोध में भाग लेने वाली प्रमुख महिलाओं में शामिल रहीं:
सुनीता गोस्वामी, सुमन गोस्वामी, मधु गोस्वामी, पुष्पा गोस्वामी, नीलम गोस्वामी, अनुराधा गोस्वामी, अदिति गोस्वामी, श्रद्धा खंडेलवाल, निशा शर्मा, मधु शर्मा, राधा मिश्रा, मनीषा गोस्वामी, मीरा गोस्वामी, शिवानी गोस्वामी, पारुल गोस्वामी, राखी गोस्वामी, माला गोस्वामी, पूनम गोस्वामी, अंजना गोस्वामी, ममता गोस्वामी, रमा गोस्वामी, सीमा गोस्वामी, भावना गोस्वामी आदि। महिलाओं ने एक सुर में कहा कि “विकास की आड़ में यदि हमारी धार्मिक परंपराएं टूटती हैं, तो यह विकास नहीं, विनाश है।” वृंदावन की आध्यात्मिक गरिमा और धार्मिक परंपरा के संरक्षक के रूप में गोस्वामी समाज इसे आस्था और अस्मिता का प्रश्न मान रहा है।