केदारनाथ में हेलिकॉप्टर हादसा: राख, चीखें और टूटे सपने… फिर रो पड़ा धाम

केदारनाथ। एक बार फिर केदारनाथ घाटी चीख उठी। रविवार की सुबह गुप्तकाशी लौट रहा आर्यन हेलिकॉप्टर केदारनाथ से कुछ ही दूरी पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में हेलिकॉप्टर में सवार सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। राख और धुएं के बीच सिर्फ जले हुए शव बचे। इस हादसे ने सिर्फ लोगों की जान नहीं ली, बल्कि कई परिवारों का सुकून भी उजाड़ दिया।
भावनाओं का मलबा: तुष्टि, मासूम काशी और नवपिता पायलट का अंत
बिजनौर निवासी वकील धर्मपाल सिंह की पत्नी विनोदा देवी और नातिन तुष्टि सिंह की दर्दनाक मौत ने पूरे परिवार को तोड़ दिया। तुष्टि फैशन डिजाइनिंग की छात्रा थी और अपनी मां की जिद पर नानी के साथ तीर्थ यात्रा पर गई थी। रविवार को पहली शटल में सवार होकर गुप्तकाशी लौटते वक्त दोनों का निधन हो गया। हादसे में 23 महीने की मासूम काशी की भी जान चली गई। मौके पर पहुंचे एक रेस्क्यूर ने बताया कि बच्ची नीचे गिरी हुई थी और संभवतः पत्थर से टकराने के कारण उसकी मौत हुई। पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल (सेनि) राजवीर सिंह चौहान भी इस हादसे में मारे गए। वह दो माह पहले ही जुड़वा बच्चों के पिता बने थे। जयपुर निवासी चौहान हाल ही में आर्यन हेलीकॉप्टर कंपनी से जुड़े थे और उनके पास केदारनाथ मार्ग का अच्छा अनुभव था।
रेस्क्यू ऑपरेशन: धुआं, राख और बिखरे शरीर
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार के मुताबिक सुबह 6.15 बजे सूचना मिलते ही एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ और पुलिस बल मौके पर भेजे गए। रेस्क्यू अभियान में एनडीआरएफ के 22, एसडीआरएफ के 8, डीडीआरएफ के 6 और पुलिस के 8 जवान शामिल रहे। सभी सात शवों को गौरीकुंड पहुंचाने में कई घंटे लगे, क्योंकि रास्ता दुर्गम था और शव बुरी तरह झुलसे हुए थे।
सिस्टम पर सवाल: तीसरी हेलीकॉप्टर दुर्घटना, फिर भी कोई ठोस कार्ययोजना नहीं
2013 की विनाशकारी केदारनाथ आपदा के 12 साल बाद भी सुरक्षा इंतजामों की पोल खुलती जा रही है।
यह हादसा कोई पहला नहीं है—पिछले तीन वर्षों में यह तीसरी हेलीकॉप्टर दुर्घटना है जिसमें अब तक कुल 19 श्रद्धालु जान गंवा चुके हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि खराब मौसम के साथ-साथ हेलीकॉप्टरों की अंधाधुंध उड़ानें, मुनाफे की होड़ और सुरक्षा मानकों की अनदेखी इन हादसों की प्रमुख वजह हैं।