खाद्य विभाग की टीम ने मसाले व पनीर के सेम्पल कलेक्ट किए, सिंथेटिक दही नजर नहीं आया ?

उझानी। खाद्य सुरक्षा विभाग के सहायक आयुक्त ‘सीएल यादव’ ने कहा कि मिलावट के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। बीते दिवस छापेमारी में कई दुकानों से मसालें व पनीर के नमूने लेकर जांच को भेज दिए। वहीं दुकानों पर बिकता दही के नाम पर जहर नजर नहीं आया। नगर में पाउडर से बना दही भी बाजार में बेचा जा रहा है। नगर में गर्मियों के मौसम में अब पनीर के बाद दही भी मिलावटखोरों के निशाने पर आ गया है। शहर के कई हिस्सों में नकली दही बेचे जाने की शिकायतें मिल रही है। यह वही दही है जिसका उपयोग गर्मियों में लस्सी, आलू की टिक्की या शादी समारोह में रायता बनाने में सबसे अधिक होता है।नगर में कुछ दुकानदार दही को गाढ़ा और टिकाऊ बनाने के लिए उसमें ‘हाइड्रोजेनेटेड ऑयल’ मिला रहे है, जिसमें ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा काफी ज्यादा होती है। यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। जिससे ‘बेड कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ता है और हृदय रोग सहित कई समस्याएं हो सकती है। पाउडर से बनी दही शहर में ऐसे मामले भी सामने आए है। जहां दही ‘मिल्क पाउडर और केमिकल्स’ से बनाई जा रही है। लोग इसे शुद्ध दही समझकर खरीद रहे है, लेकिन यह स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है। गर्मियों में दही और लस्सी का सेवन फायदेमंद है। लेकिन मिलावटी दही से नुकसान हो सकता है। इसलिए सतर्क रहना जरूरी है। ज्ञात रहे दो दिन पहले एक शादी समारोह में एक्सपायर मसालों से बने खाने से 25 घराती बाराती फूड प्वाइजनिंग का शिकार होने के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने नगर के कई दुकानदारों से मसालें व पनीर के नमूने एकत्र कर जांच को भेज दिए हैं। मगर दही खोआ पर नजर नहीं गई। जबकि शादियों में सबसे ज्यादा दही का प्रयोग होता है। ज्यादातर कार्यक्रमों में रेडीमेड सिंथेटिक दही ही प्रयोग हो रहा है। नगर के प्रसिद्ध लस्सी बेचने वाले ‘श्याम मोहन स्वीट्स’ के सचिन वार्ष्णेय सोनू का कहना है कि उनकी दुकान की लस्सी में भैंस के शुद्ध दूध से बने दही का ही इस्तेमाल होता है। “हम खुद दही बनाते हैं ताकि हमारे ग्राहकों को कोई दिक्कत न हो उन्होंने कहा दही की खुशबू और स्वाद पर ध्यान दें। ज्यादा सफेद और अधिक गाढ़ी दही से सतर्क रहे। हमेशा रेगुलर और भरोसेमंद दुकानदार से ही खरीदें।