रोज़ा उर्स ए मोहम्मदी का आगाज़ निकाला परचम कुशाई का जुलूस
बरेली। कुतुबुल अक़ताब किब्ला अल्हाज अश्शाह मौलाना वली मोहम्मद रहमतुल्लाह अलैह (वली मियां) के 35 वें सालाना चार रोज़ा उर्स ए मोहम्मदी का आगाज़ हो चुका है, उर्स से पहले जुमेरात को पर्चम की रस्म की रिवायत है । हर साल की तरह इस साल भी नीम की चड़ाई स्थित सलमान शमसी के घर से ताहिर जमाल शमसी व आरिफ़ उल्लाह की ज़ेरे कयादत ठीक 3 बजे पर्चम की शुरूआत हुई । इस से कब्ल सुबह बाद नमाज़ फ़ज्र कुरान ख्वानी हुई । परचम कुशाई में मोहम्मद ज़फ़र शमसी आगे हाथ में पर्चम लिए हुए चल रहे थे और साथ में नात ख्वां हज़रात नात व मंंकबत पढ़ते हुए चल रहे थे, य़ह एक ऐसा जुलूस है जिसमें कोई साउंड सिस्टम नहीं रहता है। पर्चम का सबसे पहले नीम की चढ़ायी पर उमर कादरी, सईद शमसी,फ़राज़ शम्सी आदि ने जुलूस में चल रहे लोगों का इस्तकबाल किया । फूटा दरवाज़ा पर समीर अजीज़,मुजीब,हाजी तौसीफ़, महताब ने लंगर का इन्तेजाम किया, पर्चम खन्नू मोहल्ला से होता हुआ ज़ख़ीरा बज़रिया स्थित मोहम्मद असलम अंसारी केे घर पहुंचा वहाँ फ़ातिहा हुई व शिजरा पढ़ा गया । गली बशीर उद्दीन पहुंचने पर रूमान शमसी,असलम खां, फ़राज़, अबु ज़र आदि ने खाने के पैकेट बाँट कर इस्तकबाल किया, ” चिड़ीमार का कुआं पर भइये, मुस्तजाब अली,हारून खान, फुरकान आदि ने शर्बत बांटा”, ज़खीरा में औरते व बच्चे भी अपने घर की छतों से फूल बरसाते नज़र आये । लोग ख़ामोशी से कलमा शरीफ पढ़ते हुए चल रहे और ‘ शहर-शहर गली-गली या वली या वली के नारे लगा रहे थे। जामा मस्जिद पर ताहिर जमाल शमसी, मोहम्मद आरिफ़, मुदस्सर सिद्दिकी, मोहम्मद अरीब वग़ैराह ने इस्तकबाल किया । किला व्यापार मंडल की ओर से हाजी सईद अहमद, मोहम्मद उस्मान,अतीक़ अहमद, फैज अहमद आदि ने फूल बरसाकर इस्तकबाल किया । यहाँ से आगे बढ़कर अपने क़दीमी रास्ते किला फ़ाटक,तिलक स्कूल,इंग्लिश गंज,चिश्तिया पैलेस, दुलहा मियाँ का मज़ार होता हुआ वली चौक दरगाह वली मियां पहुँचा, वहाँ पहुँच कर शिराज़ शमसी ने असर की नमाज़ से पहले सज्जादानशीं अल्हाज अनवर मियाँ हुज़ूर को पर्चम सौंपा और हज़रत वली मियां हुज़ूर रहमतुल्लाह अलैह केे मज़ार मुबारक पर चादर पेश की । सज्जादानशीं अनवर मियाँ हुज़ूर ने सभी केे लिए दुआ ए ख़ैर की और हाज़िरीन ने असर की नमाज़ अदा की । इस मौके पर सय्यद नाज़िर अली (चाँद),वारिस उल्लाह,शराफ़त,अब्दुल कय्यूम,कैफ़ी उल्लाह,कौसर इकबाल,हाजी रेहान खान,ज़ुबैर,दानिश शम्सी,साकिब,गुल्लू,ताहिरआदि मौजूद रहे। रात बाद नमाज़ ईशा प्रोग्राम का आगाज़ हाफ़िज़ व कारी गुलाम यासीन ने कलाम ए पाक की तिलावत से किया, सलीम सपुरी,आफताब,नवेद मोहम्मदी, आदि ने नात व मंकबत पड़ी, हज़रत मौलाना साजिद खां साहब ने दौरान खिताब में औलिया अल्लाह की दीनी ख़िदमात और सूफी ए किराम की हिन्दू मुस्लिम भाई चारा की बेमिसाल कुर्बानियों का जिक्र किया और एकता पर ज़ोर दिया,खुसूसी नसीहत करते हुए कहा ये मुल्क हम तमाम हिन्दुस्तानियों का है यहां पर अमन- अमान,भाई चारा,आपसी इत्तेहाद, देश की हिफाज़त, विरासत का तहफ्फुज रिवायतों की अमानत हम सबकी जिम्मेदारी है मैं तमाम लोगोँ से मुल्की मफाद में काम करने की अपील की, मौलाना कारी इलियास कादरी ने अपने बयान में कहा कि हमारे जो औलिया इकराम है सूफिया इकराम इनके ज़रिए जो हमें इस्लाम मिला अब अगर हम इस इस्लाम को फ़ौलो करते हैं और उनके नक्शे कदम पर चलते हैं तो हमारी दुनिया भी बेहतर है और मरने के बाद की भी ज़िन्दगी बेहतर है और अगर हम इनके फ़रमान पर अमल न करें और इनके नक्शे कदम पर न चले तो आज की तारीख़ में वही मुसलमान परेशान हैं बाकी मुसलमान के लिए बुजुर्गों की जिंदगी एक आईना है हम बस इनको देखते रहे हमारे बुजुर्गों ने दुनिया और माल नहीं जोड़ा बल्कि उन्होंने अमाल इकठ्ठा किए और कब्र अखिरत के लिए फ़िक्र की और अल्लाह की मखलूक के सामने अल्लाह और उसके रसूल का हुक्म बयान किया।
दरगाह के सज्जादानशीं अल्हाज अनवर मियां हुज़ूर ने आतंकवाद के ख़ात्मे और मुल्क में अमन चैन के लिए दुआ की।




















































































