लखनऊ। विधानसभा सत्र के पहले दिन दिनेश कुमार गोयल, सदस्य विधान परिषद व विजय बहादुर पाठक सदस्य विधान परिषद द्वारा नियम 110 के अन्तर्गत लखनऊ शहर में लगे अवैध होर्डिग से सम्बन्धित समस्या को सदन के सम्मुख प्रस्तुत किया। उन्होने कहा कि लखनऊ शहर खतरनाक अवैध होर्डिग से भरा पडा है। घरों की छतों से लेकर चौराहा पर लगी अवैध होर्डिग किसी बडे हादसे को दावत देते हुए दिखाई पड़ते है। कमोवेश यही स्थिति प्रदेश के दूसरें महानगरों की भी है। महानगरों मे लगी ऐसी होर्डिग विज्ञापनों से भरी पडी रहती है, इन होर्डिग्स को लगाते समय किसी भी प्रकार के सुरक्षा मानकों को ध्यान नही रखा जाता है। लखनऊ महानगर में ही अकेले घरों की छतों पर एक हजार से अधिक होर्डिग लगे हुए है विज्ञापन एजेंसियो को इन होर्डिग्स जहां करोडों की कमाई होती है, वही नगर निगम को कुछ भी नही मिलता। अवैध होर्डिग प्रदेश के शहरों और महानगरों मे रहने वाले लोगो के लिए बडी मुसीबत बनते जा रही है। होर्डिग्स लगने के बाद सड़कें सिकुड़ सी जाती है जिससे आवागमन साफ नजर नही आता है। ट्रैफिक संचालन मे भी बाधा उत्पन्न होती है, कही-कही यह होर्डिग्स जानलेवा साबित होते है। शहरों और महानगरों में होर्डिग लगाने के लिए सरकार नगर निगम या नगर निकाय को जवाबदेही निर्धारित करती है। तेज हवाओं के साथ मानसून में इन होर्डिग्स के गिरने का खतरा बना रहता है। हादसों के बाद शासन/प्रशासन हरकत में आता है और कुछ समय बाद शुरू की गई कार्यवाही बंद हो जाती है। एक साल पहले पुणे में ऐसा ही जानलेवा हादसा हो चुका था। लखनऊ के लाल कुआं मे भी अवैध होर्डिग मकान की छत पर गिरने से काफी नुकसान हुआ था शासन/प्रशासन हरकत में आया किन्तु नतीजे पर पहुंचा नही जा सका। शहरों व महानगरों में रहने वालों का इन अवैध होर्डिंग से जीना दुर्भर हो गया। इस लोक महत्व के प्रश्न पर व्यक्तव्य की मांग की है।