मान्यवर कांशीराम की पुण्यतिथि पर सपाइयों ने किया याद
बरेली। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर आज पुरे प्रदेश में सपा मुख्यालयों पर मान्यवर कांशीराम की पुण्यतिथि मनाई गई। इसी कड़ी में आज बरेली सपा कार्यालय पर पुण्यतिथि के अवसर पर मान्यवर कांशीराम के चित्र पर सपा नेताओं द्वारा पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष शिवचरन कश्यप की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी का आयोजन कर मान्यवर कांशीराम के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम का संचालन बाबा साहब अम्बेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सोनकर द्वारा किया गया। इस मौके पर जिलाध्यक्ष शिव चरन कश्यप ने विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा ” मान्यवर कांशीराम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोपड़ जिले में हुआ था। बताया जाता है कि कांशीराम जब पुणे की गोला बारूद फैक्ट्री में नियुक्त हुए थे, तो उस दौरान उन्हें पहली बार जातिगत आधार पर भेदभाव झेलना पड़ा, इस घटना का उनके जीवन पर गहरा असर पड़ा और उन्होंने साल 1964 में दलितों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी। वह बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की किताब “एनीहिलिएशन ऑफ कास्ट” से काफी प्रभावित हुए। शुरुआत में तो उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) का समर्थन किया, मगर बाद में इससे उनका मोहभंग हो गया। आपकी ‘चमचा युग’ किताब ने बटोरीं थी। इसी कड़ी में महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी ने कहा कि साल 1971 में उन्होंने अखिल भारतीय एससी, एसटी-ओबीसी और अल्पसंख्यक कर्मचारी संघ की स्थापना की। साल 1978 में यह बामसेफ बन गया, इसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्गों और अल्पसंख्यकों के शिक्षित करना था उन्होंने उन्होंने तर्क दिया कि दलितों को अन्य दलों के साथ काम करके अपनी विचारधारा से समझौता करने के बजाय अपने स्वयं के समाज के विकास को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक रूप से काम करना चाहिए। वहीं पूर्व विधायक विजय पाल सिंह ने कहा कि उन्होंने 1984 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नींव रखी। उन्होंने अपना पहला चुनाव साल 1984 में छत्तीसगढ़ की जांजगीर-चांपा सीट से लड़ा था। साल 1991 के आम चुनाव में कांशीराम जी और मुलायम सिंह यादव ने गठबंधन किया और कांशीराम ने इटावा से चुनाव लड़ा और बड़ी जीत दर्ज की। होशियारपुर से जीतकर दूसरी बार संसद पहुंचे कांशीराम ने 1996 में होशियारपुर से 11वीं लोकसभा का चुनाव जीता और दूसरी बार लोकसभा पहुंचे। कांशीराम ही थे, जिन्होंने मायावती को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए साल 2001 में मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। उत्तर प्रदेश में जितनी बार भी बसपा की सरकार बनी, उन्होंने खुद को आगे बढ़ाने के बजाए सुश्री मायावती को ही आगे किया था। मान्यवर कांशीराम को बहुजन नायक, मान्यवर या साहेब जैसे कई नामों से जाना गया। 20 वीं सदी के अंतिम दशक में कांशीराम भारतीय राष्ट्रीय राजनीति में एक ऐसा चमकता हुआ सितारा बन गए, जिन्होंने दलित समाज के हित में काम करने का बीड़ा उठाया। इस कार्यक्रम में ज़िला उपाध्यक्ष मनोहर पटेल, महानगर महासचिव पंडित दीपक शर्मा, ज़िला कोषाध्यक्ष अशोक यादव, राजेश मौर्या, नदीम अली, सूरज यादव, हरिशंकर यादव, ज़िला सचिव ब्रजेश श्रीवास्तव, राम बहादुर लोधी, जितेंद्र मुंडे, नाजिम कुरैशी, संजय वर्मा एड. महिला सभा जिलाध्यक्ष स्मिता यादव, भारती चौहान, बाबा साहब वाहिनी के जिलाध्यक्ष ब्रजेश आजाद व महानगर अध्यक्ष सुनील सागर, अल्पसंख्यक सभा जिलाध्यक्ष असलम खान, जमुना प्रसाद मौर्या, छेदा लाल लोधी, संदीप मौर्या, संजीव कश्यप, हेमा बत्रा, अमर राठौर, इंद्रजीत माथुर, प्रमोद प्रजापति, सैय्यद जमील अहमद, अमित गिहार, रमीज़ हाशमी आदि पार्टी पदाधिकारी गण मौजूद रहें।