कानपुर। वैष्णो देवी के नए यात्रा मार्ग पर सोमवार को हुए भूस्खलन में वहां के बंदर हनुमान बनकर आए। हादसे में जान गंवाने वाली कानपुर के बाबूपुरवा बगाही भट्ठा निवासी नेहा के पति अमित का कहना है कि भूस्खलन से ठीक पहले कुछ बंदरों ने टीन शेड पर उत्पात मचाना शुरू कर दिया था। इससे डरकर उनके साथ ही सैकड़ों श्रद्धालु जहां थे, वहीं रुक गए। इसी दौरान ऊपर से पत्थर आकर गिरने लगे।कुछ पत्थर ठीक उनके आगे भी गिरे। वे लोग भी रुके न होते तो पत्थरों की चपेट में आ जाते। उनकी पत्नी कुछ आगे थी और पत्थरों की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। बता दें हादसे में नेहा व पंजाब की एक महिला की मौत हो गई थी। मंगलवार दोपहर को एंबुलेंस से नेहा का शव उसके बगाही स्थित घर पहुंचा। जहां पहले से मौजूद उसकी मां व छोटी-छोटी बहनें शव देखते ही चीख पड़ीं। परिजनों की चीख सुनकर पास पड़ोस की महिलाएं भी फफक पड़ीं। सुहाग के जोड़े में नेहा को जब अंतिम विदाई दी जाने लगी तो अमित भी चीख पड़ा। मोहल्ले के लोगों ने उसे किसी तरह संभाला। अंतिम संस्कार से लौटे अमित ने बताया कि अचानक टीन शेड पर बंदर कूदने लगे और कुछ देर बाद ही पत्थर गिरने लगे। वह मां श्रीदेवी के साथ वहीं खड़ा हो गया। अमित व नेहा के साथ पड़ोस में रहने वाली पांच साल की अनन्या भी अपने नाना लालता के संग यात्रा पर गई थी। जिस वक्त हादसा हुआ, अनन्या नेहा का ही हाथ पकड़े हुए थी। एकदम से पत्थरों के गिरने से नेहा से उसका हाथ छूट गया और पीछे गिरी तो कुछ पत्थर उसके सिर से टकरा गए। घायल अनन्या घर आने के बाद भी सोते हुए मंजर को याद कर चीख पड़ती है। यात्रा में अमित की मां श्रीदेवी भी बेटे और बहू के साथ थी। भरे हुए गले से उन्होंने बताया कि बेटे की शादी की मन्नत मांगी थी। सवा साल पहले बहू के घर आने पर सबके साथ वैष्णो देवी यात्रा पर गई थी। क्या पता था कि इस तरह सबकुछ खत्म हो जाएगा। उसके लिए नेहा सिर्फ बहू ही नहीं बल्कि बेटी भी थी। मैने तो हादसे में बहू और बेटी दोनों गंवा दी है। अब कैसे जीवन बीतेगा।