4 साल 8 माह के बच्चे का विद्यालय के अध्यापकों द्वारा किया जा रहा है मानसिक उत्पीड़न
बरेली। आमतौर पर बच्चों के मानसिक उत्पीड़न की शिकायत तो आपने सरकारी स्कूलों, इंटर कॉलेज और विश्वविद्यालय में ही सुनी होंगी, लेकिन कभी आपने निजी स्कूलों में 4 साल 8 माह के बच्चे का मानसिक उत्पीड़न होते हुए देखा है या सुना है। जी हां उत्पीड़न तो होता है लेकिन उस उत्पीड़न को कोई भी माता-पिता सामने लेकर नहीं आता। वह अपने बच्चों की ही गलती मानता है। लेकिन पहली बार एक मां ने ऐसी हिम्मत दिखाई है कि उसके बच्चे का मानसिक उत्पीड़न हुआ और उसने अपनी आवाज जिले के जिलाधिकारी तक पहुंचा दी। क्योंकि एक मां जो होती है वह बच्चे की प्राथमिक पाठशाला ही होती है। अपने बच्चे का स्कूल द्वारा मानसिक उत्पीड़न को लेकर एक मां ने बुधवार को जिलाधिकारी रविंद्र कुमार को प्रार्थना पत्र देते हुए स्कूल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने नौनिहाल बच्चे के मानसिक उत्पीड़न की पूरी गाथा डीएम के सामने रखते हुए मांग की है कि बीच सत्र में उनके बच्चे को स्कूल से नाम कटवाने के लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा कहा जा रहा है वहीं विद्यालय प्रबंधन अपनी किसी भी गलती को मानने से इनकार कर रहा है इसको लेकर बच्चे के माता-पिता स्तब्ध है, कि आखिर उनके बच्चे के साथ ऐसी कौन सी घटना हुई है जिससे बच्चा इतना डरा और सहमा हुआ है जिसके कारण वह स्कूल जाने से कतरा रहा है।
दरअसल नौनिहाल बच्चे के साथ मानसिक उत्पीड़न का यह मामला शहर के सोबतीस पब्लिक स्कूल ग्रीन पार्क का है जहां पर एलकेजी कक्षा का एक छात्र जिसकी उम्र मात्र चार वर्ष आठ माह है। बच्चा रोजाना की तरह अपने विद्यालय समय से पहुंचता है वहीं उसके माता-पिता बचपन से ही अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा व संस्कार देने की मंशा से उसको दिए हुए स्कूल द्वारा गृह कार्य एवं कक्षा कार्य को अच्छे से देखते हैं और अपने बच्चे को अपनी क्षमता के अनुरूप घर में भी अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करते रहते हैं। लेकिन विद्यालय के अध्यापकों द्वारा 5 जुलाई और 10 जुलाई को बच्चे की कॉपी में कुछ काम इतनी जल्दबाजी में चैक कर दिया गया जिसके कारण कुछ गलतियां स्कूल के शिक्षकों द्वारा छोड़ दी गई, इस बात की शिकायत जब बच्चे की माँ ने स्कूल के अध्यापकों से की, तब उन्होंने भविष्य ऐसा न होने की बात कहकर बात टाल दी। इतनी सी बात को लेकर विद्यालय प्रबंधन बच्चे तथा बच्चे के माता पिता के खिलाफ हो गए और 4 साल 8 माह के बच्चे का मानसिक उत्पीड़न शुरू कर दिया। जिससे बच्चा अब विद्यालय जाने से कतरा रहा है। जब इस बात की शिकायत लेकर बच्चे के माता-पिता विद्यालय पहुंचे, तब विद्यालय अपनी गलती मानने की बजाय बच्चे को ही गलत साबित करने पर उतारू हो गया। विद्यालय प्रबंधन द्वारा तमाम दलीलें देते हुए अपनी कार्यशाली को उत्कृष्ट बताने का प्रयास किया जाता रहा। विद्यालय के प्रबंधन द्वारा एक बार भी बच्चे के माता-पिता का मानसिक स्तर जानने की कोई भी कोशिश नहीं की गई और न ही बच्चे के भविष्य को लेकर विद्यालय प्रबंधन ने कोई सुधार करने का कोई ठोस कदम उठाया। बल्कि बच्चे की मां से विद्यालय प्रबंधन कहने लगा कि यदि आपको विद्यालय से ज्यादा ही परेशानी है तो आप अपने बच्चे का नाम यहां से कटवा सकते हैं अब बच्चे के माता-पिता के सामने एक बड़ी समस्या सामने है कि वह बीच शैक्षिक सत्र में अपने बच्चे का नाम कहां लिखवायें। और यदि इस सोबतीस पब्लिक स्कूल ग्रीनपार्क में बच्चे को समझा बुझा के भेज भी दें, तो क्या विद्यालय उनके बच्चे का दोबारा मानसिक उत्पीड़न नहीं करेगा। अपने बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित माता-पिता ने जिलाधिकारी रविंद्र कुमार से न्याय की मांग की है।