वॉशिंगटन। अमेरिका के एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर भारत को यूक्रेन में शांति सुनिश्चित करने और रूस के साथ बातचीत करने में रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए। अमेरिकी अधिकारी का यह बयान प्रधानमंत्री मोदी की हालिया रूस यात्रा के बाद सामने आया है। जब प्रधानमंत्री मोदी रूस दौरे पर थे तो अमेरिका में नाटो देशों की अहम बैठक चल रही थी, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की भी मौजूद रहे। अमेरिकी विदेश विभाग में यूरोपीय सुरक्षा और राजनीतिक मामलों के निदेशक लियाम वासली ने कहा कि ‘भारतीयों को यह समझना चाहिए कि राष्ट्रपति पुतिन और उनका देश अमेरिका के यूरोपीय सहयोगियों और नाटो गठबंधन के लिए कितना बड़ा खतरा है। यह लोकतंत्र के एक अरब लोगों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।’ वासली ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि भारतीय लोग समझ सकते हैं कि यह हमारे नाटो सहयोगियों की समझ और दृष्टिकोण को कैसे प्रभावित कर रहा है।’ 32 सदस्यीय नाटो गठबंधन के नेता इस सप्ताह वाशिंगटन डीसी में 75वीं वर्षगांठ की शिखर बैठक में शामिल हुए, जहां यूक्रेन, चीन में रूस के मुद्दे पर काफी बात हुई। वासली से सवाल किया गया कि क्या भारत नाटो में शामिल नहीं होना चाहता है? इसके जवाब में अमेरिकी शीर्ष अधिकारी ने कहा कि ‘भारत, दुनिया के एक बहुत बड़े हिस्से में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदाता है। हमें लगता है कि भारत का बहुत बड़ा प्रभाव है और उसकी आवाज सुनी जाती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा का वातावरण बनाने और भविष्य के विकास पर भारत का व्यापक प्रभाव होगा। यही वजह है कि मुझे लगता है कि भारत यूक्रेन में शांति लाने में एक रचनात्मक भूमिका निभा सकता है।’ उल्लेखनीय है कि रूस दौरे पर पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सामने ही यूक्रेन युद्ध का मुद्दा उठाया था और युद्ध में बच्चों की मौतों पर नाराजगी जाहिर की थी। पीएम मोदी ने एक बार फिर दोहराया कि यह युद्ध का समय नहीं है और बातचीत से ही किसी विवाद का हल निकाला जा सकता है।