महारानी दुर्गावती का बलिदान दिवस मनाया
बरेली। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आह्वान पर आज पूरे उत्तर प्रदेश में सपा कार्यालयों पर महारानी दुर्गावती के बलिदान दिवस के मौके पर उन्हें याद कर नमन किया गया। इस कड़ी में बरेली मिशन कंपाउंड स्थित पार्टी कार्यालय पर आज रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस मनाया गया, इस दौरान रानी दुर्गावती के चित्र पर सपा नेताओं ने माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। चन्देलों की बेटी थी, गौंडवाने की रानी थी, चण्डी थी, रणचण्डी थी, वह दुर्गावती भवानी थी, ये पंक्तियां वीरांगना रानी दुर्गावती के लिए प्रसिद्ध हैं, धर्म एवं राज्य की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाली, अदम्य साहस और शौर्य की प्रतिमूर्ति, महान वीरांगना रानी दुर्गावती का आज बलिदान दिवस है रानी दुर्गावती, जिनकी तुलना केवल काकतीय वंश की रुद्रमा देवी और फ्रांस की जोन ऑफ आर्क से की जा सकती है वह 52 में से 51 युद्धों में रानी दुर्गावती अपराजेय रहीं, वह युद्ध के नौ पारंपरिक व्यूहों जैसे वज्र व्यूह, क्रौंच व्यूह, अर्धचंद्र व्यूह, मंडल व्यूह, चक्रशकट व्यूह, मगर व्यूह, औरमी व्यूह, गरुड़ व्यूह और श्रींगातका व्यूह से भली-भांति परिचित थीं. खासकर, क्रौंच व्यूह और अर्द्धचंद्र व्यूह में उनकी महारत थी। क्रौंच व्यूह का प्रयोग बड़ी सेना के लिए होता था, जिसमें पंखों में सेना और चोंच पर वीरांगना रानी दुर्गावती होती थीं। दूसरी ओर अर्द्धचंद्र व्यूह का प्रयोग छोटी सेना के साथ बड़े दुश्मन पर आक्रमण करने के लिए किया जाता था। रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर उनके जीवन के बारे में पार्टी नेताओं ने प्रकाश डाला। इस मौके पर जिलाध्यक्ष शिवचरन कश्यप ने कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए रानी दुर्गावती के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अकबर की सेना ने रानी दुर्गावती पर तीन बार आक्रमण किया, लेकिन रानी ने तीनों बार उन्हें पराजित कर दिया। एक महिला शासक से इतनी बार हारने के बाद अकबर का सेनापति आसफ खां गुस्से से भर गया और 1564 में उसने एक बार फिर रानी के राज्य पर आक्रमण कर दिया। उसने छल-कपट का सहारा लेते हुए सिंगारगढ़ को चारों ओर से घेर लिया और युद्ध में बड़ी तोपों का इस्तेमाल किया, युद्ध के दौरान रानी दुर्गावती और उनके कई सैनिक घायल हो गए, रानी की आंख पर एक तीर लग गया उनके कुछ सैनिकों ने उन्हें युद्धभूमि छोड़ने की सलाह दी, लेकिन रानी ने बहादुरी से इनकार कर दिया। इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष शमीम खाँ सुल्तानी ने कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा “नारी सशक्तिकरण की दिशा में भी रानी दुर्गावती ने अद्वितीय कार्य किए। उन्होंने गढ़ा में पचमठा में स्त्रियों के लिए पहला गुरुकुल स्थापित किया, भेड़ाघाट में स्थित प्राचीन तांत्रिक विश्वविद्यालय – गोलकी मठ का जीर्णोद्धार भी उनके कार्यकाल में हुआ, जहां संस्कृत, प्राकृत और पाली भाषा में शिक्षा प्राप्त होती थी” इस मौके पर महानगर महासचिव पंडित दीपक शर्मा, सुरेन्द्र सोनकर, गोविन्द सैनी, अशोक यादव, राजेश मौर्या, द्रोण कश्यप, जितेंद्र मुंडे, नमन मिश्रा, सचिन आंनद, नाजिम कुरैशी,परवेज यार खाँ,बलराम यादव, संजीव कश्यप,अनूप सागर, शिवम प्रजापति, इश्तियाक सक्लेनी,अतुल गंगवार, चंद्रसेन पाल आदि प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे।