संस्था-संस्थापक का जन्मदिवस ‘कुलगीत गायन तथा कवि गोष्ठी के माध्यम से पूर्णोल्लास से मनाया।
बदायूँ। विश्व शांति, विश्व मानवता,विश्व एकता तथा नारी उज्जागरण को पूर्णतया समर्पित अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन(AIPC) नामक वैश्विक संस्था के संस्थापक ,विभिन्न विषयक अन्तर्राष्ट्रीय शोध पत्र-पत्रिकाओं और साहित्यिक पत्रिकाओं के सिद्ध -प्रसिद्ध सम्पादक, इतिहासविद् प्रोफेसर (डॉ ) लॉरी आजाद साहब का जन्मोत्सव *बदायूंँ-अध्याय ,बदायूंँ उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में प्रदेश प्रभारी डॉ. कमला माहेश्वरी ‘कमल’ के आवासीय स्थल के सम्मोहक प्राकृतिक वातावरण में संस्था की प्रमुख कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा पूर्णोल्लास से सान्ध्य बेला में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ स्वरों की देवी माँ ज्ञानदा सरस्वती के पूजन, दीप प्रज्वलन एवं समवेत – वन्दन के साथ किया गया । डॉ.कमला माहेश्वरी ने सर्वप्रथम अपने वक्तव्य में संस्थापक की हजारी व स्वस्थ उम्र हेतु माँ से प्रार्थना की । तत्पश्चात संस्थागत परिचय,कारण, क्यों , उद्देश्य के साथ – साथ सन् 2000 से सतत् गति शीलता की सफलता के बारे में बताया। छवि माहेश्वरी,प्रमिला गुप्ता ,गहना माहेश्वरी, सुनीता मिश्रा व कमला माहेश्वरी आदि ने सामूहिक रूप से ए आई पी सी के कुलगीत का गायन उल्लास के साथ किया । हम झूमेंगे हम गाएंगे, जीवन का गीत सुनाएंगे। एआईपीसी का परचम हम देश-देश फहराएंगे।। सैकड़ों चिड़ियों ने भी अपने चहकीले स्वरों को मिलाकर हमारा सुखद साथ दिया । अब बारी थी काव्य गोष्ठी की । सबसे पहले एआईपीसियन जज प्रमिला गुप्ता जी पत्नी *आद. स्वतन्त्र प्रकाश जी गुप्ता हाल में ही राज्य सूचना आयुक्त के पद पर आसीन ने अपनी भावाभिव्यक्ति समर्पित करते हुए कहा- तुमको पता नहीं कितने अज़ीज़ हो तुम। ख्वाबों में आते हो, जब मुस्कुराते हो, तोऐसा लगता है , कितने करीब हो तुम ।। तुम्हारे आने का एहसास,हमें आनन्द देता है कभी मुस्कुराती हूँ, कभी खिलखिलाती हूंँ तुम्हारे जाने से मायूस हो जाती हूँ ।

एआईपीसियन-प्रवक्ता सुश्री सुनीता मिश्रा ने भी अपनी व्यथा को सुमधुर स्वर दिये –चांँद की आह से जगा होगा। साँस में प्रेम-रस पगा होगा । भीगी-भीगी सी भोर है, शायद रात अश्कों ने वो ठगा होगा।होली का अवसर है और ऐसे में अगर होली गीत की याद ना आए तो यह नामुमकिन है – होली है तो मस्ती है , अस्तु कमला ने भी इसी रंग में रँग कहा -मिटे हर द्वेष जीवन का ,समझ लो हो गई होली ।अगर आकर पढे़ं मन वे , समझ लो हो गई होली।कदम जब लड़खड़ाएं तो,किसी को दोष मत देना ,सजन जब प्रेम में रंँग दें,समझ लो हो गई होली । छवि माहेश्वरी ने जन्म दिवस के शुभ अवसर पर कहा “भगवान से मेरी यही प्रार्थना है कि सर की हर वाँछित प्रार्थना पूरी हो। ।ये ज्वार अब रुके ना । इक़रार अब रुके ना।नारी के जागरण की , झंकार अब रुके ना।छायांकन व प्रबन्धन एआईपीसियन कु.गहना माहेश्वरी द्वारा तथा संयोजन छवि माहेश्वरी जी द्वारा किया गया ।ये सच है कि उक्त ए आई पी सी एक संस्था मात्र नहीं, नारी जागरण का एक जीवन्त आन्दोलन है । उन्होंने यह भी बताया कि संस्था के शुभारम्भ की पहली सरस्वती वन्दना उन्हीं के द्वारा प्रस्तुत की गई थी । ये संस्था देश के साथ-साथ पाँच महाद्वीपीय पचास से अधिक देशों मेंसंस्थागत बहनों के साथ एक परिवार की भाँति पर्यटन, ज्ञानार्जन , प्रस्तुतिकरण ,सांस्कृतिक आदान- प्रदान कर चुकी है । इसके संस्थापक ने सम्मेलनों को नहीं एक महान संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य किया है।उनसे यदि पूछा जाय तो वे बड़ी सादगी से कहते हैं कि सिद्धांत के बिना क्या जीना !मैं केवल जीना नहीं चाहता, देश और समाज को एक आदर्श देना मेरा काल धर्म है”.अन्त में प्रभारी कमला माहेश्वरी ने सभी का आभार अभिव्यक्त किया और ईश्वर से यही प्रार्थना की कि हम सब भी अपने काल – धर्मानुसार एक आदर्श जीवन पूर्ण शुचिता के साथ देश व समाज हित में जियें।




















































































