मथुरा। वृंदावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में आराध्य ने माघ माह की पूर्णिमा से चांदी की अंगीठी, ऊनी मोजा, ऊनी पोशाक, शॉल सेवा में निवेदित नहीं किए जाएंगे। ठाकुरजी को सुबह और रात के समय हल्की जयपुरी रजाई ओढ़ाई जा रही है। शनिवार को ठाकुरजी के दर्शनों के लिए लाखों श्रद्धालु उमड़ पड़े।शनिवार को माघ माह की पूर्णिमा के अवसर पर बांकेबिहारी मंदिर के पट खुलने से पहले ही भक्तों की भीड़ मंदिर के प्रवेश द्वारा संख्या दो और तीन पर जमा हो गई। धीरे-धीरे यह भीड़ द्वार से लेकर विद्यापीठ चौराहा और दूसरी ओर जुगल घाट तक जमा हो गई। मंदिर के पट खुलते ही श्रद्धालुओं का रेला ने मंदिर में प्रवेश किया। मंदिर आराध्य के जयकारों से गुंजायमान हो गया। बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत दिनेश गोस्वामी ने बताया कि माघ की पूर्णिमा से ठाकुर बांकेबिहारी ने गर्म वस्त्र, ऊनी मोजा, चांदी की अंगीठी, ऊनी पोशाक, शॉल त्याग दिया है। अब सिर्फ मौसम को देखते हुए एक हल्की जयपुरी रजाई ओढ़ रहे हैं।वसंत पंचमी से ब्रज मंडल में होली का शुभारंभ हो गया। मंदिरों में सुबह शृंगार आरती और राजभोग आरती के बाद गोस्वामियों द्वारा ठाुकरी का प्रसादी गुलाल भक्तों पर बरसाने की परंपरा है। वृंदावन के सप्तदेवालयों में से एक राधारमण मंदिर में शनिवार को देश के कोने-कोने से आए भक्तों ने आराध्य के नयनाभिराम दर्शनों के बीच गुलाल और पुष्पों से होली खेली।ठाकुर राधारमण मंदिर में दोपहर को राजभोग आरती के बाद भक्त और भगवान के बीच गुलाल और गुलाब एवं गैंदा के पुष्पों से होली खेली गई। मंदिर के सेवायत आशीष किशोर गोस्वामी ने ठाकुर राधारमण लाल की राजभोग आरती करने बाद श्रीराधारानी और राधारमण लाल का चांदी के थालों में सेवित किया गया गुलाल भक्तों पर बरसाया। इसके बाद सेवित पुष्पों की पंखुड़ियों को भी भक्तों पर बरसाया। भक्तजन ठाकुरजी की प्रसादी गुलाल और पुष्पों को पाने के लिए आतुर दिखे।मंदिर के वरिष्ठ सेवायत पदमलोचन गोस्वामी ने बताया कि वसंत पंचमी से धुल्हैड़ी तक मंदिर में राजभोग आरती के बाद तस्तरी से श्रीजी का प्रसादी गुलाल भक्तों पर बरसाने की परंपरा है। भक्तों को होली का प्रसाद मिल जाता है। इसी परंपरा का निर्वाह मंदिर में हो रहा है। राजभोग आरती के बाद प्रसादी गुलाल सेवायत गोस्वामी द्वारा बरसाया जा रहा है।