प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि योजना का मूल्यांकन एवं परिणाम” विषय पर कार्यशाला हुई
शाहजहांपुर। स्वामी शुकदेवानंद महाविद्यालय के वाणिज्य संकाय व महात्मा ज्योतिबा फूले रोहिलखंड विश्वविद्यालय बरेली के अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के द्वारा अनुदानित परियोजना के अन्तर्गत, “प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि योजना का मूल्यांकन एवं परिणाम” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला परियोजना के निष्कर्षों के बारे में लोगों को बताने और योजना के बारे में जागरूक करने के लिए की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वामी शुकदेवानंद सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि और दीप प्रज्जवलन से हुआ। छात्राओं ने सभी अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र उढ़ाकर व स्मृति चिन्ह देकर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि हमें विश्वविद्यालय से खेत की ओर नहीं बल्कि खेत से विश्वविद्यालय की ओर आना चाहिए क्योंकि किसानों को खेती की असल समस्या पता होती है । किसान को प्यासी जमीन के लिए पानी और फसल के लिए खाद की जरूरत होती है इसलिए वर्तमान सरकार ने इस परेशानी को समझते हुए सम्मान निधि योजना की शुरुआत की , मुझे उम्मीद है कि यह योजना और व्यापक होकर व्यवहारिक दृष्टिकोण से धरातल पर लागू होगी । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला कृषि अधिकारी सतीश चंद्र पाठक ने किसान सम्मान योजना को विश्व की सबसे बड़ी योजना बताया और उन्होंने इसके बारे में विस्तार से सभी को जानकारी दी उन्होंने बताया की कितना आसान तरीके से कोई भी किसान इस योजना का लाभ उठा सकता है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में चितकारा विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो धीरेश कुलश्रेष्ठ ने कहा की खेती से हमारी सकल घरेलू उत्पाद में 14 परसेंट से 16 परसेंट तक का योगदान देते है। उन्होंने बताया की एक ब्रिटिश अर्थशास्त्री एंगल मेडिसिन ने 70 के दशक में कहा था कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसमें सबसे ज्यादा फसल का उत्पादन होता है लेकिन आज भी भारत की गिनती विश्व के समृद्ध देशों में नहीं है । किसानों को अपनी जमीन पर प्राकृतिक खेती की ओर ध्यान देना चाहिए और व्यवसायीकरण को अपना कर ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना चाहिए । योजना के समन्वयक प्रोफेसर आशुतोष प्रिय अध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग , महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय ने सभी का धन्यवाद करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में शुरू हुई योजना बड़ी कारगर साबित हो रही है और करीब 2500 किसानों से मिलने के बाद यह पाया गया की किसान इस योजना से ज्यादातर खुश हैं उन्होंने इस प्रोजेक्ट से आए हुए परिणामों के बारे में जानकारी दी और कहा की इस योजना को और व्यापक बनाते हुए सरकार किसने की बहुत सहायता कर सकती है ।
वाणिज्य विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर अनुराग अग्रवाल ने कुशल संचालन करते हुए तीनों सत्रों के बारे में बताया विभिन्न तकनीकी सत्रों में योजना के बारे में पूर्ण जानकारी दी गई बताया गया कि यह परियोजना कैसे शुरू हुई किस विधि से मूल्यांकन हुआ और किस प्रकार के परिणाम प्राप्त हुए । आज के इस कार्यक्रम में बहुत सारे किसानों ने छात्रों ने , शिक्षकों ने और अधिकारियों ने भाग लिया। समापन सत्र में मुख्य वक्ता डॉ सुनील विश्वकर्मा ने कहा कि किसानों को उत्पादकता पर नहीं बल्कि गुणवत्ता पर ध्यान देना है। मुख्य अतिथि डॉ सुरेश मिश्रा ने कहा कि सरकार द्वारा दी जाने वाली यह छोटी राशि बहुत ही लाभकारी है मुख्य रूप से लघु और सीमांत किसानों के लिए। समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो ए के मिश्रा ने कहा पहले महाजन से पैसा लेकर किसान संसाधन जुटाता था । अब सरकार ने सम्मान के रूप में धनराशि देकर किसानों को इससे बाहर आने कर आने की एक किरण दिखाई है जिससे किसानों को मनोबल ऊंचा हो रहा है और वह ज्यादा सक्षम दिखाई देते हैं । कार्यक्रम के अंत में डॉक्टर रुचि द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया और सभी को सफल आयोजन की बधाई दी। कार्यक्रम संयोजक डॉ अनुराग अग्रवाल ने बताया कि तकनीकि सत्रों में छात्रों द्वारा प्रस्तुत शोध पत्रों का मूल्यांकन किया जा रहा है कल पुरुस्कार वितरण किया जायेगा।