ककराला। हमदरदे कौमो मिल्लत मशहूर समाजी शख्सियत रईसे ककराला हाजी असगर अली खां साहब की अहलिया हज्जिन मुसर्रत बेगम का बीमारी के चलते मंगल की शाम बरेली के एक हास्पीटल में इन्तिकाल हो गया, उन का जनाजा ककराला उन के घर लाया गया, यह खबर सुनते ही घर वालों में और पूरे कस्बे में सोग की लहर दौड़ गई, हाजी असगर साहब के मकान पच्छिम पुल पर भीड़ लगना शुरू हो गई, मरहूमा निहायत गरीब परवर थीं कई गरीब बेसहारा लड़कियों को पाल पोस कर शादी भी कर चुकी थी मस्जिदों मदरसों गरीब मरीज़ और बेसहारा लोगों की मदद करने के लिए हज्जिन के पास लाइन लगी रहती थी, हज्जिन मरहूमा की औलाद में सिर्फ़ एक लड़का मोहसिन खान था जो कोरोना की पहली लहर की नज्र हो गया था, अब पसमांदगान में शौहर,पुत्र बहू ,एक नातिन और एक नाती है, नमाजे जनाजा शाम पांच बजे हज़रत शाह शुजाअत अली मियां की दरगाह में मौलाना रिफाकत अली खां साहब सकलैनी ने पढ़ाई, और हजारो सोगवारों की मौजूदगी में सुपुरदे खाक किया गया, इस मोके पर मुफ्ती ककराला फहीम अजहरी इमाम ईदगाह हाफिज रफ़ी अहमद मौलाना इस्मत हाफिज आमिल सकलैनी मौलाना मकसूद इमाम जामा मस्जिद कारी मुकद्दस इमाम जियारत शरीफ हाफिज मुस्तकीम चेयरमैन इंतखाब सकलैनी वरिष्ठ पत्रकार हामिद अली खां राजपूत महबूब सकलैनी हाफिज जान मुहम्मद सकलैनी जमीरुल इंजीनियर मौलाना मकसूद इंजीनियर मुसव्वीर अली खां युनुस सकलैनी ताईफ खान हाजी इस्ताक अली खां और ओर पास के गांवों से सैकड़ों लोगों ने शिरकत की।