वायू प्रदूषण बढ़ा सकता है बच्चों में अस्थमा अटैक का खतरा, जानें कैसे कर सकते हैं इससे बचाव

स्वास्थ्य। हवा की गुणवत्ता खराब होना केवल प्रकृति ही नहीं बल्कि आपकी सेहत के लिए भी कितना हानिकारक होता है, इसका अंदाजा आप लगा चुके होंगे। वायु प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जो आपके फेफड़ों के साथ-साथ आपके दिल, रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स आदि को भी प्रभावित कर सकता है। वैसे तो, यह सभी के लिए हानिकारक होता है, लेकिन बच्चों की कमजोर इम्यूनिटी की वजह से यह उनके लिए और भी अधिक हानिकारक हो सकता है। इस बारे में हाल ही में एक स्टडी भी सामने आई है, जिसके अनुसार वायु प्रदूषण बच्चों के लिए काफी नुकसानदेह हो सकता है। लांसेट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल में आई इस स्टडी में पाया गया है कि स्मोग के दो फैक्टर्स ओजोन और पार्टिकुलेट मैटर्स की थोड़ी-सी मात्रा भी बच्चों में अस्थमा अटैक के खतरे को बढ़ा देती है। इस स्टडी में 6-17 साल की उम्र के 208 बच्चों को शामिल किया गया, जो अस्थमा से पीड़ित थे। यह खतरा खासकर उन बच्चों और टीनेजर्स में अधिक पाया गया, जो कम विकसित शहरी इलाकों में रहते हैं। इसलिए वायू प्रदूषण को कम करके और इससे बचाव करने से ही इस खतरे को कम किया जा सकता है। मायो क्लीनिक के अनुसार, अस्थमा अटैक एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें अस्थमा के लक्षण और अधिक बिगड़ने लगते हैं। इसमें गले की एयर पैसेज की मांसपेशियों में सूजन हो जाती है और बलगम इकट्ठा होने लगता है। इस वजह से एयर पैसेज संकरा हो जाता है और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। खांसी होना, सांस लेने में तकलीफ, छाती में घरघराहट जैसा महसूस होना, अस्थमा अटैक के आम लक्षणों में शामिल हैं। समय पर इलाज न मिलने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। स्टडी में वायू प्रदूषण की वजह से बच्चों में अस्थमा अटैक के खतरे को बढ़ाने का एक बड़ा फैक्टर माना गया है, इसलिए जरूरी है कि आप अपने बच्चों को प्रदूषण से बचाकर रखने की कोशिश करें। कुछ बातों का ध्यान रख, आप बच्चों को प्रदूषण की वजह से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं। बच्चों को बाहर कम से कम निकलने दें। खेलना, एक्सरसाइज करना आदि बच्चों के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है, लेकिन वायू प्रदूषण की वजह से, बाहर जाना उनके लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए जब तक जरूरत न हो, इन्हें बाहर न जाने दें और घर के अंदर ही एक्सरसाइज आदि कराएं। आपके घर के अंदर भी प्रदूषण हो सकता है, इसलिए अपने घर में एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें। यह हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर्स के साथ-साथ धूल-मिट्टी को भी फिल्टर करता है, जो अस्थमा के मरीजों के लिए लाभदायक है। बच्चों को कहीं लेकर जाने से पहले, यह चेक कर लें कि उस जगह का AQI कितना है। अगर AQI अधिक हो, तो उस जगह जाने से बचें या फिर उस समय जाएं, जब वहां कि वायू गुणवत्ता बेहतर हो। आपके बच्चे के खान-पान का असर उनकी सेहत पर होता है। इसलिए उनकी डाइट में हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, फैटी फिश, नट्स, दूध आदि को शामिल करें। अपने घर में अगरबत्ती, धूप, मोमबत्ती आदि कम से कम जलाने की कोशिश करें। इनसे निकलने वाला धुंआ, हवा की गुणवत्ता को और अधिक बिगाड़ सकता है। साथ ही, इनसे निकलने वाला धुंआ अस्थमा अटैक को ट्रिगर भी कर सकता है। घर में इंडोर प्लांट्स, जैसे- स्पाइडर प्लांट, स्नेक प्लांट आदि लगाएं। ये पौधे घर की हवा को शुद्ध करते हैं और ऑक्सिजन रिलीज करते हैं। इसलिए इन्हें घर में लगाने से घर के अंदर के प्रदूषण को कम किया जा सकता है।