बदायूँ। रुहेलखण्ड के मिनी कुम्भ के रूप में विख्यात मेला ककोड़ा में पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाकर एकादशी का पर्व मनाया गया। देर शाम को तंबुओं में देवों को उठाया गया। धार्मिक आयोजनों की धूम रही। देवोत्थान एकादशी पर दान पुण्य किया गया। गंगा तट पर संतो के द्वारा भी यज्ञ और भंडारे के आयोजन किये गए। मेला पहुंचने वालों की ट्रैक्टर ट्रालियों को रेला ककोड़ा मेला को रुख किए रहे। मेला में एकादशी पर्व पर सिंघाड़े और गन्नों की भी खूब बिक्री हुई। रामदास अपनी चार पीढ़ियों के साथ एकादशी पर्व पर गंगा स्नान को पहुंचे। जर्जर काया चलने फिरने से असमर्थ फिर भी एकादशी का पर्व गंगा स्नानकर मनाया। उनके बेटा ने बताया कि पिताजी ने कभी भी एकादशी का पर्व ककोड़ा मेला का नहीं छोड़ा उनकी इसी इच्छा के अनुरूप परिवार की चार पीडिय़ों के साथ गंगा तट पर आकर बसे हैं। शरीर से कमजोर होने के कारण बेटों ने गंगा में कुर्सी पर बैठाकर स्नान कराया। मेला में आने वाले श्रद्वालुओं का कारवां बढने लगा है। कारवां रात दिन चलने से मेला मे भीड़ भी बढने लगी है। वहीं खेल तमाशे वालों ने भी अपने खेल तमाशे चालू कर दिए है। कुर्मी क्षेत्र में रौनक बढ़ती जा रही है।। तुलसी विवाह की रस्म निभाई गई। परिवारों के साथ टैंटों में रह रह लोगों ने यहां देवोत्थान एकादशी मनाई।