प्रकाशनार्थभारतीय राष्ट्रवाद एक जीवंत संस्कृति
शाहजहाँपुर। स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में नौ दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक जागरूकता अभियान के अंतिम दिन समापन सत्र का उद्घाटन पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर पुष्पांजलि से हुआ इसके बाद उनकी स्मृति में “भारतीय चिंतन में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुमुक्षु शिक्षा संकुल के अधिष्ठाता, स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती जी ने बताया कि विश्व की किसी संस्कृति में वह उदारता नहीं है, जो भारतीय संस्कृति में है। भारत की धरती विश्व को उजाला देती है क्योंकि हम विश्व को एक परिवार के रूप में देखते हैं। राज्यों की सीमाएं बदलती रहती हैं परंतु राष्ट्र की कोई सीमा नहीं होती। भारत कोई भौगोलिक देश नहीं है, एक जीवंत संस्कृति है। यह धरती ही दुर्गा है इसे कोई जीत नहीं पाया, भारत ना बदला है ना बदलेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. सूर्य प्रकाश सिंह “मुन्ना” जी ( प्राचार्य, टी.डी. लॉ कॉलेज, जौनपुर) कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है । हमारे देश में मानवीय संवेदना एवं सह-अस्तित्व की भावना सदैव से रही है। पूरे विश्व को हम एक परिवार के रूप में देखते आए हैं यही हमारी राष्ट्रीयता का पहचान है। हम सौभाग्यशाली हैं जहां पर सब कुछ मिला हुआ है केवल हमारे आदर्श में गिरावट आई है, जिसमें हम अपने कर्तव्यों को भूल गए है। मुख्य अतिथि, डॉ.हरीश रौतेला, प्रांत प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, ब्रज प्रांत ने कहा कि मनुष्य की आत्मा की गहराई को नापने का कार्य केवल संस्कृति ही कर सकती है। राष्ट्र निर्माण के लिए पश्चिम के देश भूमि तथा जन को ही महत्वपूर्ण मानते हैं जबकि भारतीय परिवेश में राष्ट्र की संकल्पना भूमि तथा जन के साथ ही मातृभूमि के साथ भावनात्मक लगाव से है, जो भारतीय संस्कृति के साथ समाहित है।
शिक्षक जब अपने दायित्व का निर्वाह करके समाज के अंतिम छोर पर पड़े व्यक्ति को शिक्षित करता है, तो एकात्मक मानववाद चरितार्थ होता है ।सर्वे भवन्तु सुखिनः का सूत्र हम भारतीयों का आधार है। हमारे देश में ऋषि, मुनियों के हजारों सालों तक की तपस्या हमारी मातृभूमि को एक अलग पहचान और स्वरूप प्रदान करती है। मुख्य वक्ता, डॉ. संतोष शुक्ला जी अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, प्रयागराज ने बताया कि पश्चिम का राष्ट्रवाद सदैव भारतीय राष्ट्रवाद को देखने का काम करती है। जब धार्मिक मान्यताएं टूटी तो पश्चिम में राष्ट्रवाद का विचार आया, भाषा के आधार पर भी वहां राष्ट्रवाद का उदय हुआ, परंतु भारतीय राष्ट्रवाद भाषा पर आधारित ना होकर बल्कि संस्कृति पर आधारित है। हमारे यहां वैदिक कल से ही राष्ट्र की संकल्पना अस्तित्व में थी। भारत की राष्ट्रीय संकल्पना वसुधैव कुटुंबकम अर्थात एक परिवार की अवधारणा पर आधारित है। विशिष्ट अतिथि संजय मिश्रा, संगठन मंत्री ,अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना ने बताया कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने एकात्म मानववाद का जो दर्शन दुनिया को दिया वह उस समय के पूंजीवादी एवं समाजवादी दर्शन के बीच सेतु का कार्य किया। उनका दर्शन समयानुकूल और राष्ट्र के अनुकूल तो था ही, साथ ही साथ मानव जीवन को जीने की दिशा को भी दर्शाता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुराग अग्रवाल वाणिज्य संकायाध्यक्ष एस.एस.पी.जी. कॉलेज ने किया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. विकास खुराना, अध्यक्ष इतिहास विभाग, एस.एस. कॉलेज के द्वारा लिखी पुस्तक, शाहजहांपुर का इतिहास एवं विवेक विद्रोही जी के द्वारा लिखित पुस्तक, दामोदर स्वरूप विद्रोही समग्र का भी विमोचन किया गया। इतिहास विभाग की दो दिवसीय सेमिनार का समापन भी हुआ। सेमिनार संयोजक डा दीपक गुप्ता ने बताया कि दो दिन में 132 शोध पत्र पढ़े गए। सेमिनार में विशेष सहयोग हेतु साहू राम स्वरुप महिला महाविद्यालय बरेली की इतिहास विभाग की अध्यक्ष डा सीमा गौतम, रोहिलखंड शोध संस्थान के अध्यक्ष डा प्रशांत अग्रिहोत्री और जनक सिंह सोशल कल्चरल एजुकेशनल सोसाइटी बरेली के कोषाध्यक्ष धीरज रस्तोगी को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह तथा अंगवस्त्र देकर सम्मानित भी किया गया। प्रो. आर.के. आजाद, प्राचार्य, एस.एस. पी.जी. कॉलेज ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों एवं अन्य गणमान्य लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। संगीत विभाग की डॉ. कविता भटनागर एवं छात्राओं द्वारा कुल गीत एवं वंदे मातरम प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर प्रो. अनूप कुमार फैजाबाद विश्वविद्यालय, फैजाबाद, एस.एस. लॉ कॉलेज के प्राचार्य, डॉ. जयशंकर ओझा जी , डा आलोक मिश्रा डॉ. दीपक सिंह, ईशपाल सिंह, प्रांत संघ चालक शशांक भाटिया, सह प्रांत प्रचारक धर्मेन्द्र,डॉ. अनिल कुमार शाह, डॉ. अमित कुमार यादव, डॉ. पवन कुमार गुप्ता, विजय सिंह, डॉ.प्रेमसागर, डॉ. अमरेंद्र सिंह, डा पदमजा मिश्रा,प्रियंक वर्मा, अमित सैनी, गौरव गुप्ता, शिव ओम शर्मा के अतिरिक्त महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक एवं 600 सेअधिक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।