सालारपुर। गन्ने की फसलों को भी पोक्का बोइंग जैसे,लाल सड़न,रेड रौड, गन्ने में कैंसर जैसा रोग, नामक बीमारी में जकड़ लिया है। जिसके बाद से गन्ना किसान परेशान है। किसानों को गन्ने में बीमारी चलते हुए किसानों को गन्ने मे कम उत्पादन की चिंता सताने लगी। पोक्का बोइंग का प्रकोप सबसे ज्यादा 0238,बैरायटी में है। गन्ने में पोक्का बोइंग का सबसे ज्यादा असर विकासखंड सालारपुर क्षेत्र के गांवों जैसे, सिलहरी, बरातेगदार, मोगर, बावट, हरीनगला, भगवतीपुर, बल्लिया, आदि गांवों में देखने को मिल रहा है। गन्ना किसान गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग बीमारी गन्ने मे लगने से परेशान हैं। एवं गन्ना किसान गन्ने के विशेषज्ञों के यहां चक्कर काट रहे हैं। गन्ना विशेषज्ञों ने गन्ना किसानों को गन्ने की फसलों में स्प्रे करने की सलाह दी है। गन्ना किसान, दुर्गपाल सिंह, अशोक कुमार, मुनेंद्र कुमार, सचिन कुमार, अरविंद कुमार, अनिल उर्फ बंटू कुमार, संतोष कुमार, पवन कुमार, रावेन्द्र सिंह, ने बताया कि गन्ने की ऊपरी पत्ती सूख रही है। जिससे गन्ने में पैदावार प्रभावित हो सकती है। पत्तियां मुड़ना शुरू पोक्का बोइंग की चपेट में आने के बाद गन्ने के अगोले की पत्तियां मुड़ कर सुखकर नीचे गिर रहीं हैं। जहां बीमारी का गन्ने में सबसे ज्यादा प्रकोप है। जहां गन्ने की फसल का ऊपरी भाग ठूंठ की तरह दिखाई देने लगे हैं। किसान गन्ने में बीमारी चलते काफी परेशान है। सफेद धब्बे, तो समझो तो पोक्का बोइंग है। पोक्का बोइंग टॉप राड तथा नइफ कट अवस्था वर्ष के अंत के प्रतीत होती है। इस रोग में गन्ने के पौधे में पत्र पलक के पास की पतियों के ऊपरी और निचले भाग पर सफेद धब्बे दिखाई देते हैं। इस रोग में गन्ने के पौधे की कोमल पत्तियां मुड़कर काली सी पड़ जाती हैं। और पत्तियों का ऊपरी भाग सढ़कर नीचे खेत में गिर जाता है। एवं गन्ने के पौधे की पत्तियों का हरापन समाप्त होने लगता है। फिर नाइफ कट अवस्था में पहुंच जाता है गन्ने का पौधा: पोक्का बोइंग की वजह से पतियों के सड़कर गिर जाने से पतियों की बड़वार प्रभावित होती है।रोग ग्रस्त अगोला के ठीक नीचे की पतियों की संख्या अधिक ब छोटी हो जाती है। पोंरियों के ऊपर चाकू से कटे जैसे निशान भी दिखाई देते हैं। इसे नाइफ कट अवस्था कहते हैं। रोग की अंतिम अवस्था में ग्रस्ति गन्ने के पौधे के ऊपर से सूख जाते हैं। इसे टाप राट कहते हैं।