युवा संकल्प सेवा समिति होली पर केमिकल युक्त रंगों से बचाव के लिए जन जागरूक अभियान चलायेगा

बदायूँ: युवा संकल्प सेवा समिति के कार्यालय पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें केमिकल युक्त रंगों/ चाइनीज पिचकारियों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया जिसकी अध्यक्षता संस्था के उपाध्यक्ष योगेश पटेल ने की व संचालन संस्था के सदस्य धर्मवीर कश्यप ने किया।
संस्था के सचिव पुनीत कुमार कश्यप एडवोकेट ने कहा कि आज कल बाजार में होली खेलने के लिए चाइनीज पिचकारियों बेचा जा रहा है, लोग यह जानते हैं कि चीन से ही कोरोना वायरस की शुरुआत हुई है लोग इसका प्रयोग बिल्कुल न करें।भारत के त्योहारों में बड़ा त्योहार होली है जो कुछ दिनों में आने वाली है, हमारे देश भारत में जितने भी रंग गुलाल एवं मास्क, पिचकारिया और भी बहुत सारा सामान चीन से आता है,आप जिसे सस्ता और आकर्षित सोच कर खरीदते हैं, उसमें पॉलीमर की कोसी का उपयोग होता है। आप को जानकारी दे की इसमें कोसी चीन के शहर हुनाई से बन कर आती है, जहां कोरोना वायरस का कहर शुरू हुआ। आप सभी से अपील है कि चीन से आने वाले सामान का प्रयोग न करें और अपने आस-पड़ोस के लोगों को भी इस्तेमाल ना करने के लिए उन्हें प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को सूखे गुलाल से होली खेेलनी चाहिए जिससे पानी की भी बचत की जा सके क्योंकि उस दिन सबसे ज्यादा पानी की बर्बादी होती है जो कि हमारे आने वाले भविष्य के लिए एक घातक व खतरनाक परिणाम साबित होगा। संस्था के कोषाध्यक्ष योगेन्द्र सागर ने कहा कि होली पर बेहद सस्ते और गाढ़े रंग खरीदने से बचना चाहिए। इन रंगों को बनाने में खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। लाल रंग को बनाने में मरकरी सल्फाइड का इस्तेमाल होता है तो हरा रंग कॉपर सल्फेट से बनाया जाता है। काला रंग लेड आक्साइड से बनाया जाता है। बैगनी रंग के लिए क्रोमियम आयोडाइड का इस्तेमाल होता है। यह दमा रोगियों के लिए खतरनाक है। सिल्वर रंग में मौजूद एल्युमिनियम ब्रोमाइड भी बहुत नुकसानदेह होता है। रंगों में मौजूद रसायन क्रोमियम, कैडमियम, निकल आदि भी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। संस्था के सदस्य धर्मवीर कश्यप ने कहा कि हालांकि अभी बच्चों की परीक्षाएं होने के कारण शहर की गलियों में होली का धमाल इतना तेज नहीं हुआ, लेकिन आने वाले दो-तीन दिन में शहर की गलियों-बाजारों में रंगों व पिचकारियों की बौछार आम हो जाएगी। रंगों का यह त्योहार किसी के लिए परेशानी का कारण न बने और लोग सुरक्षित इस त्योहार को मना सके, इसके लिए जरूरी है कि होली को रसायन (केमिकल) मुक्त रखा जाए।रंगों का त्योहार होली तो सबको खूब पसंद हैं, लेकिन इस त्योहार में भी केमिकल की मिलावट हो चुकी है। इस समय बाजार में जो रंग बिक रहे हैं, उनमें अधिकतर केमिकल के इस्तेमाल से बनें हैं, जिनसे आंखों की रोशनी जाने के अलावा त्वचा कैंसर तक हो सकता है। किसी जमाने में होली फूलों और प्राकृतिक मेंहदी, हल्दी आदि से बनाए रंगों से खेली जाती थी, लेकिन अब इन रंगों की जगह केमिकल ने ले ली है। इस समय बाजार में रंगों की भरमार है। इन रंगों में अधिकतर वे हैं, जो केमिकल से बने हैं। पिछले कुछ सालों से बाजार में ऐसे भी रंग बिक रहे हैं, जिनमें कांच का चूरा तक पाया जाता है। ऐसे में जरूरी है कि होली के रंग खरीदते समय व इस्तेमाल करते समय कुछ सावधानियां बरती जाए।
इस मौके पर अरूण पटेल, कुनाल राठौर, विशाल वैश्य, हरिओम सिंह, टिंवकल मेहतानी, सालिम खान, समोम सागर, मुनीश वर्मा, श्रीकांत सक्सेना, हिमांशु पाल, आदि लोग उपस्थित रहे।