सत्ता संघर्ष के बीच नेपाल में संसद भंग
काठमांडू। नेपाल में मध्यावधि चुनाव की तारीखों की घोषणा भी कर दी गई है. नेपाल में 30 अप्रैल 2021 और 10 मई 2021 को चुनाव होंगे और इसके बाद वहां नई सरकार का गठन किया जाएगा. नेपाली प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने रविवार की सुबह ही नेपाल संसद भंग करने का फैसला किया.
संविधान में संसद भंग करने का प्रावधान नहीं
दिलचस्प यह है कि नेपाल के संविधान में ही सदन को भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है. ऐसे में अन्य राजनीतिक दल सरकार के इस फैसले को अदालत में भी चुनौती दे सकते हैं. अब देखने वाली बात यह है कि क्या नेपाल की राष्ट्रपति ओली सरकार के इस असवैंधानिक सलाह पर क्या फैसला सुनाती हैं?
विपक्ष ने सरकार पर अध्यादेश वापस लेने का दबाव बनाया
ओली की कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री बरशमैन पुन ने बताया कि आज की कैबिनेट की बैठक में संसद को भंग करने के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश भेजने का फैसला किया गया है. बता दें कि ओली पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को वापस लेने का दबाव था. मंगलवार को जारी इस अध्यादेश को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने भी मंजूरी दे दी थी.
ओली के नेतृत्व वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने कैबिनेट के इस फैसले का विरोध किया है. पार्टी के प्रवक्ता नारायणजी श्रेष्ठ ने कहा कि यह निर्णय जल्दबाजी में किया गया है क्योंकि आज सुबह कैबिनेट की बैठक में सभी मंत्री उपस्थित नहीं थे. यह लोकतांत्रिक मानदंडों के खिलाफ है और राष्ट्र को पीछे ले जाएगा और इसे लागू नहीं किया जा सकता है.
