गुरु गोलवरकर पर टिप्पणी कर मुश्किल में फंसे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह

वाराणसी। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के खिलाफ अतिरिक्त सिविल जज जूनियर डिवीजन अलका की अदालत में परिवाद दाखिल किया गया है। दिग्विजय सिंह पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर के खिलाफ भ्रामक तथ्यों का प्रकाशन और प्रसारण सोशल मीडिया पर करने का आरोप है। शनिवार को कोर्ट ने सुनवाई के बाद परिवाद को दर्ज करने का आदेश दिया। साथ ही, अदालत ने परिवाद दाखिल करने वाले अधिवक्ता व भाजपा काशी क्षेत्र के विधि प्रकोष्ठ के संयोजक शशांक शेखर त्रिपाठी का बयान दर्ज करने के लिए 18 जुलाई की तिथि नियत की है। अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी ने सीजेएम/एमपी-एमएलए उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट में परिवाद दाखिल किया था। उनके अवकाश पर रहने पर अतिरिक्त सिविल जज जूनियर डिवीजन अलका की अदालत में परिवाद पेश किया गया। अधिवक्ता के अनुसार आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर के खिलाफ दिग्विजय सिंह ने कूटरचित फोटो व भ्रामक तथ्यों का प्रकाशन व प्रसारण सोशल मीडिया पर किया। ऐसा करके सामाजिक विद्वेष पैदा कर संघ की सामाजिक छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया। गुरु गोलवलकर का पूरा जीवन सामाजिक भेदभाव समाप्त करने में लगा रहा। दिग्विजय सिंह का कृत्य समाज में विद्वेष फैलाने और सामाजिक सद्भावना बिगाड़ने के साथ ही देश की संप्रभुता, एकता व अखंडता को प्रभावित करने वाला है। इससे भाजपा, आरएसएस, भारत व यूपी सरकार अपमानित है। परिवाद में यह भी कहा गया कि माधव सदाशिवराव गोलवलकर की एक किताब का हवाला देकर दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा है कि यदि सत्ता हाथ लगे तो सबसे पहले सरकार की धन-संपत्ति, राज्यों की जमीन, और जंगल अपने दो-तीन विश्वसनीय धनी लोगों को सौंप दें। 95 फीसदी जनता को भिखारी बना दें। इसके बाद सात जन्मों तक सत्ता हाथ से नहीं जाएगी। परिवादी ने कोर्ट से आईटी एक्ट और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत विपक्षी को तलब कर विधिक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। परिवादी के अनुसार, इस मामले को लेकर बीते 10 जुलाई को कैंट थाने की पुलिस को आवेदन दिया गया था। कोई कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट में परिवाद दाखिल किया गया।