नई दिल्ली। 7 जुलाई को वित्त मंत्रालय ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है इसमें GST को PMLA (ED) से जोड़ दिया गया है , चूंकि GST काउंसिल की 11 जुलाई को मीटिंग प्रस्तावित है इसलिए इस मुद्दे पर भी GST काउंसिल में चर्चा होनी चाहिए और सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों से भी सलाह लेनी चाहिए । जीएसटी काउंसिल की मीटिंग से 3 दिन पहले GST के बारे में ऐसा नोटिफिकेशन जारी करना आश्चर्य पैदा करता है और इसको लेकर गम्भीर आशंकाएं पैदा हो गई हैं । जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में इस बात पर चर्चा हो कि जीएसटी के मामलों में PMLA का अधिकार क्षेत्र क्या होगा। यह सिर्फ़ सूचनाओं का आदान प्रदान किया जाएगा या जीएसटी की तरह PMLA भी पैररल अथॉरिटी बनेगा , कौन से मामले GST में निपटाए जाएंगे और किन मामलों को ED देखेगा। ED के पास व्यापक अधिकार है । ऐसे बहुत से मामलों का स्पष्टीकरण ज़रूरी है ताकि व्यापारी वर्ग में व्याप्त भय कम हो। निवेदन इतना है कि सात जुलाई के नोटिफिकेशन के बाद जो असहज स्थिति उत्पन्न हुई है उसको स्पष्ट किया जाए । ईमानदारी से काम करने वाले व्यापारियों को परेशान न किया जाए । उनकी गलती को गलती माना जाए। हर गलती को टैक्स चोरी से जोड़ना ठीक नहीं होगा। जिस सप्लायर से माल ख़रीद रहे हैं उसका रिकार्ड कैसा है । रजिस्ट्रेशन जिन काग़ज़ों पर हुआ है क्या वो फ़र्ज़ी थे ? उसकी अपनी परचेज़ कैसी है उसने पूरा टैक्स जमा कराया या नहीं ,इसकी जानकारी व्यापारियों को नहीं होती है ।जब तक स्पष्ट रूप फ़र्ज़ीवाड़े में संलिप्तता ना हो, कार्यवाही न की जाए। हर आम नागरिक की तरह व्यापारी को नियम और क़ानून व्यवस्था पर पूरा भरोसा हैं । निर्दोष को सजा नहीं मिलती ,न्याय मिलता है पर लंबी कार्यवाही में भाग लेना, क़ानूनी पेचीदगियों को सुलझाना कष्टदायक और खर्चीला होता है ,अगर जीएसटी व्यापारी पर ED नोटिस बनाता है या कार्यवाही करे तो सिर्फ़ गंभीर से गंभीर मामलों में ये किया जाए ।