बदायू अध्याय यूपी के पटल पर तीन चरण में गोष्ठी का आयोजन किया गया
बदायूंँ। अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन,खुर्जा* नामक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था जो अंग्रेजी वर्णानुसार AIPC नाम से भी प्रसिद्ध है – के 23वें स्थापना दिवस के पुनीत अवसर पर संस्था से ही सम्बद् बदायूँ अध्याय, यूपी के पटल पर एक गोष्ठी का आयोजन तीन भागों में आवंटित कर’डॉ कमला माहेश्वरी कमल’ के आवास पर हर्षोल्ला स से मनाया गया । प्रथम भाग में संस्था का संक्षिप्त परिचय व उद्देश्य , द्वितीय में आ.डॉ इसहाक साहब की अनेकार्थी शतक *और *महिला शतक नामक पुस्तकों का विमोचन तथा तीन में काव्य गोष्ठी में प्रदत्त विषय-महिला सशक्तिकरण *सामाजिक-समरसता प्रेम और विश्व शांति के अनुसार काव्य पाठ किया गया । पर उससे पूर्व आयोजन कर्ता सदस्यों ने मिल जुल,जिसमें सुश्री सुनीता मिश्रा ,गहना माहेश्वरी ,कमला माहेश्वरी व मि.शरदमोहन माहेश्वरी ने सभी अभ्यागत जन का भावमय स्वागत रोली अक्षत,वेज फूलमाला आदि द्वारा किया ।
सभाध्यक्ष का दायित्व आ.डॉ.राम बहादुर व्यथित *, विशिष्ट अतिथि पद *डॉक्टर इसहाक तबीव साहब ने निर्वहित किया । अध्यक्ष और मुख्य अतिथि के साथ-साथ डा ममता नौगरिया,डॉ सोनरूपा विशाल व डॉ शुभ्रा माहेश्वरी आदि ने माँ वीणापाणी और विनायक का अर्चन,मन्त्रोच्चार पूजन और माल्यार्पण किया तथा सुनीता मिश्रा ने वन्दना प्रस्तुत की । सभी का स्वागत करते हुए संचालिका * डॉ.कमला माहेश्वरी कमल* ने संस्थागत परिचय कराया।उन्होंने बताया कि – संस्थापक ‘प्रो.डॉ लारी आजाद’खुरजा ने नारी उज्जागरण हेतु समर्पित उद्देश्य को लेकर “अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन”,(AIPC) नामक रजिस्टर्ड संस्था नं.987 .की स्थापना दि. 30 अप्रैल 2000 (नव सदी) को सदी की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित साहित्यकार,शिक्षाविद,समाज सुधारक व सहस्त्राब्दी की सबसे बड़ी कवयित्री’अमृता प्रीतम’ जी, फिल्म गीतकार ‘माया गोविंद पद्मश्री’, पद्मा सचदेव,पद्मश्री प्रभजोत कौर और ज्ञानपीठ अवार्डी इंदिरा गोस्वामी आदि के साथ मिलकर एक मंच की स्थापना की थी ।
जिसमें राज्यपालों, मुख्य मंत्रियों ,केंद्रीय और राज्य मन्त्रियों,तथा कला और संस्कृति के अन्य क्षेत्रों की हस्तियांँ भी सम्मिलित हुईं थीं। संस्था लक्ष्य और उद्देश्य रखा गया- ‘कवयित्रियों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय’ स्तर पर मंच प्रदान करना,महिलाओं को सामाजिक-सांस्कृतिक जागृति और उत्थान, लिखित साहित्य को बढ़ावा,नारी वादी आत्मीयता का विकास, कवयित्री की समस्याओं हेतु प्रयास,भाषाई सद्भाव,साहित्य प्रकाशन,जरूरमंद अनाथ,विधवा या अकेली वृद्ध महिलाओं की मदद,नारी सशक्तिकरण और लैंगिकसमानता, महिला साहित्य प्रकाशन तथा भारत और विश्व पर्यटन की खोज आदि मुख्य तथा अन्य ज्वलंत प्रश्नों के साथ जागृत हो ये संस्था अपना दाय पूर्ण निष्ठा से निभा रही है। प्रति वर्ष इसके द्वारा रु.राशि 1,50,000(एक लाख पचास हजार )की राशि 60 उक्तांकित जन व अच्छा कार्य करने वाली कवयित्रियों को सम्पादित कार्यक्रमों में दी जाती है । ये स्ववित्त पोषित संस्था भारतवर्ष के लगभग सभी राज्यों,पाँच महाद्वीपों के 51 देशों, राष्ट्रपति भवन भारत ,दूतावासों, फाइव/फोर स्टार होटलों तथा अन्य यथोपलब्ध स्थानों पर अपने कार्यक्रम सम्पन्न कर चुकी हैं। 3 देशों के राष्ट्राध्यक्ष इसके सदस्य हैं । इस वर्ष भी पंजाब , भूटान और यूनान में कार्यक्रम वाँक्षित हैं । इसके साथ ही साथ 1.अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका ‘कालजयी’ तथा शोध पत्रिका ‘जे एच एच एस ‘आदि का प्रकाशन- सम्पादन आदि किया जाता है । जिनका आवंटन लगभग 20-22 देशों में होता है। सदस्य एआईपीसी डॉ कमला माहेश्वरी ,सुनीता मिश्रा, गहना माहेश्वरी, शरद मोहन माहेश्वरी
डॉक्टर निशि, सविता चौहान,डॉ प्रतिभा मिश्रा,सीमा चौहान, दीप्ति गुप्ता, डॉ.सरला चक्रवर्ती, छवि माहेश्वरी,श्रद्धा सारस्वत, प्रमिला गुप्ता,वीर वाला सिंह, डॉ शिल्पी शर्मा,डॉ गार्गी बुलबुल,डॉ सरिता चौहान,डॉ शिखा पाण्डेय , शालू गुप्ता आदि आदि ने काव्य पाठ किया।