साहित्य सभा एवं आचमन संस्था की ओर से आंचलिक भाषा काव्य गोष्ठी हुई

बदायूं। बदायूँ क्लब में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा एवं आचमन संस्था के तत्वावधान में आंचलिक भाषा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसके प्रथम सत्र में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की प्रांतीय संगठन सचिव अंतर्राष्ट्रीय कवयित्री सोनरूपा विशाल के द्वारा संस्था की बदायूं इकाई के गठन की घोषणा की गई तथा नवनियुक्त पदाधिकारियों को एवं सदस्यों का नियुक्ति पत्र देकर अभिनंदन किया गया।
उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रधान वरिष्ठ व्यंगकार डॉ.सर्वेश अस्थाना ने
उत्तर प्रदेश साहित्य सभा बदायूँ इकाई की संचालन समिति में श्रीमती मंजुल शंखधार का जिला संयोजक,श्री नरेंद्र गरल अध्यक्ष,श्री टिल्लन वर्मा जी वरिष्ठ उपाध्यक्ष, डॉ राम बहादुर व्यथित उपाध्यक्ष,अभिषेक अनंत सचिव,डॉ.शुभ्रा माहेश्वरी प्रचार सचिव, डॉ.दीप्ति जोशी गुप्ता कोषाध्यक्ष, शराफत समीर सह सचिव,केशव सक्सेना का संगठन सचिव के रूप में स्वागत किया।
श्रीमती मधु राकेश,अंजलि अग्रवाल, अंजलि शर्मा,मधु शर्मा,सुषमा भट्टाचार्य, डॉ.निशि अवस्थी, शारदा बावेजा,सरिता चौहान,मधु अग्रवाल,शिल्पी रस्तोगी मिथिलेश गौतमी,शारदा बावेजा को सदस्यता नियुक्ति पत्र दिया गया।

सभा में संस्था सह सचिव शराफत समीर द्वारा संस्था के उद्देश्यों को सदस्यों के समक्ष पढ़कर सुनाया गया ।तत्पश्चात आंचलिक भाषा काव्य गोष्ठी में संस्था अध्यक्ष वरिष्ठ गीतकार नरेंद्र गरल एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष टिल्लन वर्मा के द्वारा मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलित किया गया ।आमंत्रित कवि गणों का संस्था के पदाधिकारियों द्वारा माल्यार्पण कर, अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह द्वारा सम्मान किया गया।कवियित्री मधु शर्मा ने मां शारदे के समक्ष वंदना प्रस्तुत की।
गोष्ठी में मनीष प्रेम ने कहा–
“मेरी कविता मेरी पूजा आनंद मेरा है मस्ती है
जैसे गुलाब की पंखुरी पर शबनम की बूंद थिरकती है।”
डॉ. अरविंद धवल ने पढ़ा–
“अंसु तुम्हारी देही को हैं समुझि ना बोझ उतारो तुम
हमहूं दुनिया देख लेन देओ,अम्मा हमैं ना मारो तुम”
डॉ.गीतम सिंह ने पढ़ा–
” तू क्या हुई पराई बेटी कमर हमारी टूट गई
पंख कटे एक पक्षी जैसी किस्मत मेरी फूट गई
जाती नहीं सही अब लाडो मुझको तेरी जुदाई है
आज अचानक बिटिया मुझको याद तेरी फिर आई है ”
डॉ.उपदेश शंखधार ने पढ़ा –
”जगत में सब नाते अजमाए
बनी बात पर सब ढिंग आए बिगरी पर इतराए”
उसके बाद अनंग पाल सिंह तोमर ने पड़ा–
” जब से सीखो भैया पीनो पापड़ वाली पापड़ी
गहने बर्तन बिक गए सबरे भैंस बिकानी खड़ी-खड़ी।”
चंद्रपाल सिंह सरल ने पढ़ा –
बात सुनौ ऐसे मत बोलौ जा मेरी भौजाई है ।
मेरी तो कछु बात नांय है भैया बड़ो कसाई है।
इसके बाद उझानी से पधारे टिल्लन वर्मा ने काव्य पाठ में कहा –
कैसे चलावैं गिरस्ती, जा दारी मंहगाई नै मारो री
चीज न मिलै कोई सस्ती,निगोड़ी मंहगाई नै मारो री

वरिष्ठ गीतकार नरेंद्र गरल ने पढ़ा–
वंदनीय हर भाषा ये मेरी बोली की बात और है
जिसमें सुख दुख कहें सुनें उस हमजोली की बात और है
अंत में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राम बहादुर व्यथित ने कहा बदायूं जो कभी साहित्य का मुख्य स्थान था उस बदायूं से साहित्य विलुप्त होता जा रहा था उस बदायूं में इस तरह के साहित्यिक आयोजन नई सुबह के समान हैं। काव्य गोष्ठी का संचालन युवा गीतकार अभिषेक अनंत द्वारा किया गया।
इस अवसर प्रसिद्ध कवि श्री चैतन्य चेतन,विनोद अग्रवाल,रवींद्र मोहन सक्सेना,अनूप रस्तोगी,नितिन गुप्ता, शर्मा,भारतेन्दु मिश्र,कुमार आशीष,राहुल चौबे,अनिल राज,इजहार अहमद,पूनम रस्तोगी,नमन रस्तोगी,ऋषि अग्रवाल इत्यादि उपस्थित रहे।
अंत में कार्यक्रम संयोजक सोनरूपा विशाल एवं विशाल रस्तोगी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
