अयोध्या में इस बार भी रिकार्ड 14.50 लाख दिए जलाने की भी योजना
अयोध्या। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास का अनुमान है कि अब राम मंदिर की लागत 1000 करोड़ से बढ़कर 1800 करोड़ रुपए तक होने का अनुमान है। इसके साथ ही मकर संक्रांति 14 जनवरी 2024 को अयोध्या में भगवान रामलला को निर्माणाधीन राममंदिर के गर्भ गृह में विराजमान करा दिया जाएगा। 23 अक्तूबर 2022 को छटवें दीपोत्सव पर रिकार्ड 14.50 लाख दिए जलाने की भी योजना है। लगभग 75 एकड़ के राम जन्मभूमि मंदिर परिसर को भव्य राम मंदिर के साथ विश्व की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विकसित करने की योजना भी है। इसी क्रम में सरकार द्वारा भी कई निर्माण कार्य भी चल रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर की प्लिंथ बन जाने के बाद निर्माणाधीन भगवान श्री राम मंदिर को तीन मंजिला का तराशे गए पत्थर वाला जोड़ने वाला कार्य अब शुरू हो गया है जिसमे तांबे की पत्तियां भी लगेंगी। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने बैठक के बाद मीडिया से कहा है कि वर्तमान अनुमान के अनुसार मंदिर और परिसर की कुल निर्माण लागत अब बढ़कर लगभग 18 सौ करोड़ रुपये होगी अब तक 400 करोड़ रुपए निर्माण कार्य में खर्च हो चुके हैं। न्यास को अब तक लगभग 5500 करोड़ की धनराशि का दान भी मिल चुका है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर के निर्माण में लगे शिल्पियों, कार्य संगठन के विशेषज्ञों और न्यास के लोगों के साथ परामर्श के बाद यह बात कही थी। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर के गर्भगृह का आवश्यक निर्माण दिसंबर 2023 में ही पूरा हो जाएगा। गर्भगृह में रामलला की स्थापना के लिए उत्तरायण के लिए सूर्य की प्रतीक्षा की जाएगी और वर्ष 2024 की मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होगा, तभी यह शुभ कार्य किया जाएगा। गर्भगृह में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव एक माह पूर्व से शुरू होगा।
रामलला का परिक्रमा मार्ग भी लगभग एक किलोमीटर लंबाई वाला होगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की बैठक में तय किया गया कि परिक्रमा मार्ग पर निश्चित दूरी पर वयोवृद्ध राम भक्तो के बैठने के लिए बैंच भी बनाए जाएं। रामभक्त मंदिर की परिक्रमा मार्ग पर कुछ देर विश्राम भी कर सकें। श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर को भव्य राम मंदिर के साथ विश्व की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विकसित करने की सरकार की योजना है। इसी क्रम में कई निर्माण भी चल रहे हैं। न्यास की योजना है कि जरूरी निर्माण हो, लेकिन हरियाली पर ज्यादा जोर दिया जाए। बैठक में यह आदर्श वाक्य भी स्थापित किया गया कि निर्माण के दौरान मंदिर की सुंदरता कम नहीं होनी चाहिए। न्यास की बैठक में राममंदिर की विभिन्न रेलिंगों की नक्काशी की प्रकृति और मंदिर की स्थापना से जुड़ने वाली सीढ़ियों के और उसमें उपयोग होने वाली धातु पर भी चर्चा की गई। इस बात पर भी जोर था कि यह एक ऐसी धातु हो जो बड़ी संख्या में लोगों के स्पर्श के बावजूद कम गंदी हो। स्मरण रहे कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की इस योजना को साकार करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों और श्रमिकों की टीम भी दिन रात राम मंदिर के लिए पत्थर तराशी वाले कार्य में लगी हुई है। यही नहीं अयोध्या के चौतरफा विकास की योजनाएं भी अब धरातल पर नजर आने लगी हैं। श्री राम मंदिर न्यास समय-समय पर मंदिर निर्माण की प्रगति की फोटो भी जारी करता रहता है। पिछले दिनों निर्माणाधीन गर्भगृह के फोटो जारी हुए थे
अयोध्या के निर्माणाधीन राम मंदिर में रामलला के गर्भगृह के चारों ओर बंसी पहाड़पुर से आए पिंक स्टोन लगाए जा रहे हैं। अब राम मंदिर के गर्भगृह का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। रामलला के गर्भ गृह निर्माण की प्रगति भी अब स्पष्ट दिखाई दे रही है। वर्ष 2024 में मकर संक्रांति तक रामलला को उनके गर्भ गृह में विराजमान करने की श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास एवम सरकार की योजना है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास और सरकार का विचार है कि 14 जनवरी 2024 को रामलला को उनके गर्भ गृह में विराजमान कर दिया जाए। इस योजना को साकार करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों और श्रमिकों टीम दिन-रात मंदिर निर्माण में लगी हुई है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने विगत दिनों श्री राममंदिर गर्भगृह कमल के आकार का बनाया जाना भी बताया था। न्यास के महासचिव चंपत राय ने मीडिया को यह भी बताया कि बहुत जल्द ही चार दरवाजे वाले परकोटे के निर्माण का भी काम शुरू हो जाएगा। निर्माणाधीन भगवान श्री राममंदिर भव्य ही नहीं तकनीक के मामले में देश के मंदिरों में अति आधुनिक भी होगा। इसके लिए देश के नामी गिरामी वेगयानिको की राय भी ली जा रही है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास राम मंदिर के निर्माण में अब वैज्ञानिक पद्धति का भी प्रयोग कर रहा है जिससे राम मंदिर कम से कम 1 हजार साल तक पूर्ण रूप से सुरक्षित रहे। देश भर के नामी वैज्ञानिकों की भी राय श्री राम मंदिर न्यास ले कर उस पर मंथन कर रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने राम मंदिर निर्माण को वर्ष 2024 तक पूर्ण कर लेने का लक्ष्य रखा है। राममंदिर निर्माण कर रही देश की दो बड़ी कंपनियां लार्सन एंड टूब्रो और टाटा कंसल्टेंसी के इंजीनियर राममंदिर में हो रहे कार्य की समीक्षा करते हैं।
रामभक्त भी राम मंदिर निर्माण पूरा होने की अभी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
अयोध्या में राममंदिर जाने वाले तीनों मार्गो को भी नए रूप में विकसित करने की योजना को आकार देने का काम शुरू होने वाला है। राममंदिर के तीनों मार्गों को रामपथ, जन्मभूमि पथ व भक्ति पथ के रूप में विकसित किया जाना है। सहादतगंज-नया घाट मार्ग को रामपथ, सुग्रीव किला से रामजन्मभूमि को जन्मभूमि पथ व श्रृंगारहाट से श्रीरामजन्मभूमि को भक्ति पथ का नाम दिया गया है। अयोध्या के जिलाधिकारी नितीश कुमार ने मीडिया को बताया था कि तीनों मार्गों के लिए लगभग 120 करोड़ रुपये की धनराशि प्रशासन को मिली है।
रामनगरी अयोध्या की सीमा में प्रवेश करते ही भक्तों को रामजन्म भूमि की भव्यता का अहसास हो इस आशय से अयोध्या को जोड़ने वाले सभी 6 हाईवे पर भी प्रवेश द्वार बनाए जाने हैं।
इनकी ड्राइंग भी स्वीकृत हो चुकी है। सभी प्रवेश द्वार रामायणकाल के समय को दृष्टिगत रखकर बनाए गए हैं।
इस योजना के अनुरूप प्रवेश द्वार के निकट यात्री सुविधा केंद्र, वाहन पार्किंग स्थल सहित अन्य निर्माण कार्यों को किया जाना है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास राम मंदिर के लिए निर्माण तय समय समय से पूरा करने को प्रयासरत है। इस बार भी फिल्मी रामलीला मंचन एवम दीपावली पर भी 23 अक्तूबर 2022 को छटवें दीपोत्सव पर रिकार्ड 14.50 लाख दिए जलाने की भी योजना है। प्रदेश की 90 हजार गांव सभा से दस दस दिए भेजने की भी बात कही गई है।