कारगिल विजय दिवस मनाया,विभिन्न कार्यक्रम

बदायूं। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर गिन्दो देवी महिला महाविद्यालय की ओर से राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वाधान में प्राचार्या डॉ वंदना शर्मा के निर्देशन में कारगिल विजय दिवस के अवसर पर पोस्टर प्रतियोगिता एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम कारगिल युद्ध में शहीदों को नमन करते हुये कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।

इस अवसर पर प्राचार्या डॉ वंदना शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि वीर सैनिकों और उनके महान कारनामों को हम सलाम करते हैं,क्योंकि हमारे सैनिकों की शहादत को देश भूल नही सकता। उप प्राचार्या डॉ गार्गी बुलबुल ने कहा कि युद्ध का मुख्य कारण कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में सामरिक महत्त्व की ऊँची चोटियाँ थीं,उन दुर्गम चोटियों पर शीत ऋतु में रहना काफ़ी कष्टसाध्य होता है। इस कारण भारतीय सेना वहाँ शीत ऋतु में नहीं रहती थी।

इसका लाभ उठाकर पाकिस्तान ने आतंकवादियों के साथ पाकिस्तानी सेना को भी कारगिल पर क़ब्ज़ा करने के लिए भेज दिया।इस अवसर पर स्वयं सेविकाओं द्वारा पोस्टर प्रतियोगिता एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। पोस्टर प्रतियोगिता में बी.ए.द्वितीय वर्ष की प्रियंका ने प्रथम स्थान बी.ए. प्रथम वर्ष प्रियांशी ने द्वितीय तथा अंशिका ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।भाषण प्रतियोगिता में बी.ए. प्रथम वर्ष की अंबिका ने प्रथम स्थान,प्रियांशी द्वितीय स्थान तथा आशी रावत ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त अंबिका ने कहा,18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल का यह युद्ध दो माह तक चला, जिसमें 527 वीर सैनिकों शहीद हो हुये। 1300 से ज्यादा सैनिक इस जंग में घायल हुए। पाकिस्तान के लगभग 1000 से 1200 सैनिकों की इस जंग में मौत हुई। भारतीय सेना ने अदम्य साहस से जिस तरह कारगिल युद्ध में दुश्मन को खदेड़ा, उस पर हर भारतीय को गर्व है।इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ इति अधिकारी ने बताया कि1971 के युद्ध में मुंह की खाने के बाद लगातार छेड़े गए छद्म युद्ध के रूप में पाकिस्तान ने ऐसा ही छ्द्म हमला कारगिल में 1999 में किया परन्तु उसे फिर से मुंह की खानी पड़ी।
राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ अनीता सिंह ने बताया कि पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। जिसमें पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा और कश्मीर के कारगिल जिले में लड़ा गया,यह युद्ध कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है।इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार की शिक्षिकाएं डॉ उमा सिंह गौर, डॉ सरला देवी ,डॉ श्रद्धा,डॉ शिखा पांडे, डॉ सोनी डॉक्टर शुभी,डॉ पूनम,डॉ शिल्पी, डॉ शालू आदि उपस्थित रहीं।
