कब बनेगा डेलापीर एवम कुतुबखाना का उपरिगामी वाई शेप पुल ! =
कब बनेगा डेलापीर एवम कुतुबखाना का उपरिगामी वाई शेप पुल ! = जिला हॉस्पिटल में बन रहा फुट ओवर ब्रिज होगा सबसे बड़ा रोड़ा = सड़क घेरने वाले एक भी कारोबारी का पुलिस या नगर निगम ने आज तक नहीं किया चालान =सिटी शमशान घाट पर बनाया जाए अंडरपास = आज हर जिले के नियोजित विकास के लिए नगर निगम और जिला पंचायत की कोआर्डिनेशन टीम बनाकर जिले का मास्टर प्लान उसी आधार पर बनाया जाए — निर्भय सक्सेना —
बरेली। उत्तर प्रदेश विधान सभा में योगी आदित्य नाथ जी दोबारा मुख्यमंत्री पद संभाल चुके हैं। सभी मंत्रियों को 100 दिन का कार्य सूची भी मांग चुके हैं। विधान परिषद में भी बीजेपी का दबदबा कायम हो चुका है। आचार संहिता भी अब हटने का इंतजार है। वर्षा के बाद नवम्बर में नगर निगम चुनाव की बेला भी कुछ माह ही दूर रह गई है। मुख्यमंत्री योगी जी के शासन में बरेली में भी जाम की समस्या का सबब बना डेलापीर एवम कुतुबखाना पर प्रस्तावित उपरिगामी पुल भारतीय जनता पार्टी की सरकार में भी अभी ठंडे बस्ते में टेंडर प्रक्रिया एवम वाई शेप वाले डिजाइन की जटिल समस्या से ही बाहर नही आ पा रहा है। सिटी शमशान घाट पर अंडरपास की आवश्यकता है। इसके साथ ही आई वी आर आई का उपरिगामी पुल बनने के बाद डेलापीर अब शहर का सबसे बड़ा जाम का पॉइंट बन गया है। इसके समीप ही सब्जी, फल मंडी के साथ ही गल्ला मंडी समिति होने से यहां ट्रक एवम छोटे माल वाहक बाहन के कारण यहां निकलना तक दूभर हो जाता है। हाल यह है की जनहित में महानगर में सड़क घेरने वाले एक भी कारोबारी का सक्रिय पुलिस या नगर निगम ने आज तक एक भी चालान नहीं किया है। पुलिस को तो केवल मोटर साइकिल वाले लोग ही शिकार दिखाई देते हैं। ? पत्रकार निर्भय सक्सेना ने पूर्व सरकार को भी स्थानीय विधायक अब वन मंत्री डॉ अरुण कुमार के कवर लेटर के जरिए भी पत्र भेज कर डेलापीर पर उपरिगामी पुल की मांग की थी। भाजपा की सरकार में भी मुख्यमंत्री पोर्टल पर इसका सुझाव भेजा था। जिसका नम्बर 11150160069634 था। उस समय मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव अनिता सिंह ने भी प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को 14 जून 2016 को पत्र अग्रसारित किया था। जो अभी भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। बीजेपी के नगर विधायक डॉ अरूण कुमार ने भी बीते वर्ष में सरकार को पत्र भेजकर डेलापीर पर जल्द उपरिगामी पुल का निर्माण शुरू करवाने की मांग की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवम बरेली के बीजेपी सांसद संतोष कुमार गंगवार भी इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को पत्र भेज चुके हैं। बरेली में हालत यह है कि स्मार्ट सिटी होने पर भी डेलापीर और कुतुबखाना के पुल पर तो अधिकारी मोन बने हैं। अब जाकर केवल टेंडर के लिए ही कुतुबखाना पुल के लिए 3 कंपनियों के ही टेंडर आना बताया जा रहा हैं। अधिकारी जनहित पर ध्यान नही देकर अपनी मनमानी डिजाइन पर ही अड़े हैं ताकि भविष्य में इस कुतुबखाना पुल के नाम पर चौपला पुल की तरह फिर रिवाइज बजट के नाम पर धनराशि का अंश हड़प सकें। कुछ कथित व्यापारी फिर विरोध करने को व्यानबाजी करते रहते हैं। कुतुबखाना पर वाई शेप पुल नही बनने से उसका हाल भी चौपला पुल की तरह ही जाम वाला ही होगा। बदायूं रोड को जोड़ने की समस्या का अभी तक निदान नही कर सका है। आजकल स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का ध्यान जिला हॉस्पिटल में फुट ओवरब्रिज बनबाने की दिशा में अधिक है जिसकी कोई उपयोगिता भी नही है। टीबी हॉस्पिटल एवम उसके पास गिरताउ भवन तोड़ कर 100 बेड का अगर यहां नया एलोपैथी, होम्योपैथी या आयुर्वेदिक हॉस्पिटल बन जाए तो घनी आबादी के लिए यह अधिक उपयोगी होगा। 300 बेड का कोविड हॉस्पिटल के नाम पर कार्य कर रहा है जो अभी घपलो के कारण हैंडओवर भी नही हो सका है । कुतुबखाना पर जब भी वाई शेप उपरिगामी पुल बनेगा तो जिला हॉस्पिटल का यह बन रहा फुट ओवरब्रिज सबसे बड़ा रोड़ा साबित होगा। जिला हॉस्पिटल में इतनी राशि मे एक ऑपरेशन रूम बनाकर इस फुट ओवर ब्रिज को टाला भी जा सकता था। नगर निगम के मेयर डॉ उमेश गौतम ने अपने मेयर चुनाव में कुतुबखाना पुल बनबाने का जोर शोर से मुद्दा उठाया था। उनके कार्यकाल में अब कुछ माह ही बचे हैं। अब देखना है कि डेलापीर और कुतुबखाना पुल उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी की दोबारा आई सरकार में कब तक बन पाते हैं। स्मार्ट सिटी में अभी तक कहीं भी बाहन पार्किंग भी नही बन सकी है। जिसके चलते जिलाधिकारी कार्यालय, कचहरी, कुतुबखाना, श्यामगंज के साथ ही व्यस्त बाजारों कॉलेज रोड, जवाहर मार्किट, शास्त्री मार्केट, गली नवाबन, कटरा मानराय, आलमगीरी गंज, सिकलापुर, सराय खाम की सड़कें ही बाहन पार्किंग बन गई हैं। आजकल अब जब उत्तर प्रदेश में नगर निगम के चुनाव का समय भी निकट आ गया है तब भी इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवम मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के नाम का ही सभी भाजपा के संभावित प्रत्याशियों को आसरा है। वह अपने कम मुख्यमंत्री योगी – प्रधानमंत्री मोदी के ही आजकल ज्यादा काम गिना रहे हैं। बरेली स्मार्ट सिटी घोषित हुए कई वर्ष बीत गए पर बरेली में हाल यह है कि अधिकतर आला प्रशानिक एवम पुलिस अधिकारी भी जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुनते हैं। हाल यह कि बरेली मंडल में आज भी भाजपा में देश प्रदेश के सत्ताशीर्ष की प्रथम द्वितीय लाइन तो छोड़ उसके अगली लाइन में भी किसी पुराने भाजपा नेता को स्थान नहीं मिल सका जबकि बरेली जिले के सभी सांसद, 7 विधायक, एम एल सी, जिला पंचायत अध्यक्ष, मेयर तक कि सीट जनता ने बीजेपी की वर्तमान सीट भाजपा को दीं। भाजपा से 8 बार के सांसद संतोष कुमार गंगवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटा के अब संसद की फाइनेंशियल कमेटी का चैयरमेन, राजेश अग्रवाल को उत्तर प्रदेश मंत्री मंडल से हटाकर बीजेपी का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पद पर सरका दिया गया। ऐसे में बरेली महानगर की 1984 से लगातार बीजेपी के कब्जे बाली सीट से भी डॉ अरुण कुमार तीसरी बार विधायक बन कर प्रदेश सरकार में वन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बन चुके हैं। बरेली में स्मार्ट सिटी के काम तो अभी धरातल तक पर नहीं आये हैं। केवल रोटरी बनती और टूटती है। स्मार्ट सिटी का दर्जा पाया बरेली शहर आज भी बदहाल गड्ढादार सड़कों, चोक नाले नालियो, हर सड़क चोराहे पर जाम, कुतुबखाना उपरिगामी पुल एवम हवा हवाई कूड़ा निस्तारण प्लांट की योजना वाली घोषणाओ के प्रोजेक्ट बनने का ही अभी इंतजार कर रहा है। शहर में कोई भी वाहन पार्किंग की जगह अभी तक चिन्हित नहीं होने से जिला अधिकारी कार्यालय, कचहरी, जेल रोड, कुतुबखाना, कोहाड़ापीर, सिविल लाइन, श्यामगंज, किला, बड़ा बाजार आदि में भयंकर जाम जैसी स्थिति दिन भर बनी रहती है। स्मार्ट सिटी में अभी वहां पार्किंग की कोई जगह या योजना भी नही बनी है। साफ पेयजल को भी जनता परेशान है। त्यौहार आते ही महानगर की सड़कों को कुछ बेशर्म व्यापारी अपना सामान फैला कर मार्ग इतना अवरुद्ध कर देते हैं कि गंभीर मरीज जिला हॉस्पिटल तक पहुँचने को परेशान हो जाते हैं। बरेली में सड़क घेरने वाले कारोबारी का पुलिस या निगम ने एक भी चालान नही किया है। आज हर जिले के नियोजित विकास के लिए नगर निगम और जिला पंचायत की कोआर्डिनेशन टीम बनाकर जिले का मास्टर प्लान उसी आधार पर बनाया जाए ।
निर्भय सक्सेना, पत्रकार