पुण्यतिथि पर राष्ट्रकवि गुरू प्रवर डा.ब्रजेन्द्र अवस्थी को शत-शत नमन

बदायूं। मृत्युञ्जय शब्दों का योद्धा क्रूर-काल से छला गया ।
सरस्वती पूजन के पहले मुख्य पुजारी चला गया ।
जो माता सितवसना के चिन्तन में आठोंयाम रहा ।
तन से, मन से, धन से भारत माँ के लिये प्रणाम रहा ।
राष्ट्रवाद का प्रखर तूर्य जिसने अविराम बजाया था ।
जो जागरण काव्य का ले संदेश धरा पर आया था ।
जिस वाणी का चमत्कार दिनकर की किरणों ने देखा ।
श्याम नारायण और मैथिली के आचरणों ने देखा ।
सोहनलाल द्विवेदी को जिसकी हुंकार सुनाई दी ।
पूज्य निराला को भी पौरुष की ललकार सुनाई दी ।
ऐसे कवियों का मन्दिर अब सूना-सूना लगता है ।
सच पूछो तो मरघट का ही एक नमूना लगता है ।
जो साहित्यिक भवन बनाने में अपना तन गला गया ।
सरस्वती पूजन के पहले मुख्य पुजारी चला गया ।

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