राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने बेसिक शिक्षकों की 10 सूत्रीय मांगों को लेकर दिया ज्ञापन
बदायूँ । राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ बदायूँ द्वारा प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर गुरुवार को जिला संयोजक दुष्यन्त कुमार रघुवंशी के नेतृत्व में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन को संबोधित परिषदीय बेसिक शिक्षकों की लंबित मांगों और मौलिक समस्याओं को लेकर 10 सूत्रीय मांग पत्र देकर समस्याओं के निस्तारण की मांग की गई है। प्रधानाध्यापकों और अध्यापकों के वार्षिक गोपनीय आख्या के पैरामीटर्स निर्धारित करने वाले काला कानून-पत्र को वापस लेने, शिक्षकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने, 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा एवं दुर्घटना के कारण असमायिक निधन पर 20 लाख का सामूहिक बीमा कवर देने की मांग को लेकर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आवाहन पर मुख्यालय पर प्रदर्शन किया गया।
जिलाधिकारी के माध्यम से प्रदेश मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में कहा गया है कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों से संबंधित मौलिक समस्याओं को समय-समय पर विभागीय अधिकारियों के सम्मुख रखा गया है, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा शिक्षकों की समस्याओं और मांगों पर विचार- विमर्श के उपरांत भी समग्रता से अभी तक लागू नहीं किया गया है।
मांगों के सन्दर्भ में जिला संयोजक दुष्यन्त कुमार रघुवंशी ने बताया कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा लखनऊ के द्वारा 8 जनवरी 2021 को जारी पत्र में परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और अध्यापकों के वार्षिक गोपनीय आख्या के पैरामीटर्स निर्धारित किये गये हैं, जिनका शिक्षकों से सीधा संबंध नही होने के बाद भी अंक निर्धारण करना शिक्षकों का शोषण होने के अलावा कुछ नहीं है। इस काला कानून पत्र को वापस किया जाये।
ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षकों को भी उत्तराखंड राज्य की भांति राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के शिक्षकों को पुरानी पेंशन का लाभ तकनीकी बाधाओं को दूर करते हुए दिया जाये। प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान अध्यापक पदों पर पदोन्नति पूर्व में सृजित पदों के आधार पर यथाशीघ्र की जाये। साथ ही उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पदों पर भी पदोन्नतियां नियमित रूप से की जाएं।
ज्ञापन में मांग की गई है कि विगत कई वर्षों से जनपद के अंदर शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया स्थगित है, इसलिए जनपद के अंदर शिक्षकों के पारदर्शी स्थानांतरण प्रक्रिया को शैक्षिक सत्र 2020- 21 से पूर्व संपन्न किया जाए। प्रत्येक शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को रुपये दस लाख का स्वास्थ्य बीमा और विभिन्न घटनाओं के कारण आकस्मिक निधन की स्थिति में शिक्षकों को रुपए 20 लाख का सामूहिक बीमा कवर दिया जाए। शिक्षक की असामयिक मृत्यु की दशा में बेसिक शिक्षा विभाग में होने वाली अनुकंपा आधार पर नियुक्ति में शिक्षक पद की वांछित योग्यता ना होने की स्थिति में तृतीय श्रेणी कर्मचारी की योग्यता रखने वाले आश्रितों की नियुक्ति अनिवार्य रूप से लिपिक पद पर किए जाने के संबंध में शासनादेश निर्गत किया जाए। बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों को बर्खास्त किए जाने का अधिकार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी में निहित है बीएसए के असंवैधानिक कृत्यों का विरोध करने पर इसका खामियाजा शिक्षक प्रतिनिधियों या शिक्षकों को बर्खास्तगी के रूप में उठाना पड़ता है। इसलिए माध्यमिक शिक्षा विभाग की भांति बेसिक शिक्षा में भी शिक्षकों को बर्खास्त किए जाने का अधिक बीएसए से उच्च ए०डी० बेसिक अथवा अन्य किसी उच्चाधिकारी में निहित किया जाए। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पदोन्नति होने पर क्रमशः 17140 एवं 18150 का लाभ केंद्र से जारी नोटिफिकेशन 28 सितंबर 2018 के अनुक्रम में शासनादेश जारी किया जाए। विद्यालयों की सुरक्षा के लिए एक चौकीदार या विद्यालय सेवक सुरक्षा सेवक की नियुक्ति करने के संबंध में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा 9 सितंबर 2019 को मांग की गई थी जो अभी तक लंबित है। अतः प्रत्येक विद्यालय में एक ही चौकीदार या विद्यालय सेवक या सुरक्षा सेवक की नियुक्ति की जाए।
ज्ञापन में कहा गया है कि बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत लाखों शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के साथ-साथ उनके करोड़ों आश्रितों की उपरोक्त समस्याओं एवं मांगों पर विचार करते हुए शासनादेश और विभागीय आदेश जारी करने के लिए आवश्यक कार्यवाही कराने का कष्ट करें।
ज्ञापन देने वालों में दिनेश गुप्ता, संजीव मिश्रा, अंकुर गुप्ता, विवेक सिंह, कौशल गुप्ता,सचिन बघेल,अजय सक्सेना, राजीव शर्मा, सुशील रस्तोगी, प्रदीप गुप्ता आदि मुख्य उपस्थित रहे।